मध्यप्रदेश में 19 सालों में 290 बाघों की मौत

By भाषा | Updated: November 30, 2020 19:32 IST2020-11-30T19:32:04+5:302020-11-30T19:32:04+5:30

290 tigers killed in 19 years in Madhya Pradesh | मध्यप्रदेश में 19 सालों में 290 बाघों की मौत

मध्यप्रदेश में 19 सालों में 290 बाघों की मौत

भोपाल, 30 नवंबर ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा प्राप्त मध्यप्रदेश में बीते लगभग 19 वर्षों में 290 बाघों की मौत के बाद भी वर्तमान में राज्य में बाघों की संख्या बढ़कर 675 से अधिक हो गई है, जिनमें 550 वयस्क बाघ एवं 125 से अधिक शावक शामिल हैं।

मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) आलोक कुमार ने सोमवार को ‘भाषा’ को बताया, ‘‘राज्य में वर्ष 2002 से नवंबर, 2020 तक 290 बाघों की मौत हुई है।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘इतने बाघों के मरने के बाद भी वर्तमान में समूचे मध्यप्रदेश में (बाघ संरक्षित एवं गैर संरक्षित क्षेत्र में) 550 वयस्क बाघ हैं। इनके अलावा, राज्य के छह बाघ अभयारण्यों बांधवगढ़, कान्हा, पेंच, सतपुड़ा, पन्ना एवं संजय में वर्तमान में 125 बाघ शावक हैं, जिन्हें हमने कैमरे की मदद से ट्रैपिंग करने के साथ-साथ गश्त के दौरान देखा है। हमारे पास इनके फोटोग्राफ भी हैं।’’

कुमार ने कहा, ‘‘इन शावकों के अतिरिक्त भी प्रदेश के अन्य खुले जंगलों में भी 10 से 20 बाघ शावक होने की उम्मीद है, लेकिन हम उन्हें कैमरे की मदद से देख नहीं सकते हैं, क्योंकि वहां पर इन्हें ट्रैपिंग करने के लिए कैमरे नहीं लगे हुए हैं। ये शावक जब थोड़ा बड़े हो जाते हैं, तभी दिख पाते हैं।’’

जब उनसे पूछा गया कि इन 19 वर्षों में इतनी बड़ी संख्या में बाघ क्यों मर गये, तो उन्होंने कहा, ‘‘हमारे प्रदेश में बहुत ज्यादा बाघ हो गये हैं। इसलिए उनमें क्षेत्र (एरिया) को लेकर आपसी संघर्ष बढ़ रहा है। हर साल 25 से 30 बाघ मरते हैं। जो बाघ मरते हैं उनमें से 95 प्रतिशत कमजोर एवं बूढ़े होते हैं। ऐसे कमजोर एवं बूढ़े बाघ इलाके एवं प्रभुत्व को लेकर बाघों की आपसी लड़ाई में मारे जाते हैं, जबकि पांच प्रतिशत बाघों का शिकारियों द्वारा शिकार कर दिया जाता है या मानव द्वारा रखे गये जहर खाने एवं करंट लगने से उनकी मौत हो जाती है।’’

जब उनसे पूछा गया कि क्या बाघों के लिए मध्यप्रदेश में वन क्षेत्र की कमी है तो इस पर कुमार ने कहा, ‘‘जितना क्षेत्र है, उसके हिसाब से पर्याप्त बाघ हैं। उनके लिए क्षेत्र बढ़ाने का विचार नहीं है। इन बाघों का उसी क्षेत्र में संरक्षण करना है। लोगों को इसके प्रति जागरूक करना है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बाघ की जंगल में उम्र 12 से 13 साल की है। हर साल 25 से 30 बाघों के मरने के बाद भी हमारे पास हर साल 100 से 125 नये बाघ उपलब्ध रहते हैं। इसलिए प्रदेश में बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है।’’

कुमार ने दावा किया, ‘‘आने वाली अगली राष्ट्रीय बाघ आकलन रिपोर्ट में भी बाघों की संख्या में मध्यप्रदेश अव्वल स्थान पर ही रहेगा और हम ‘टाइगर स्टेट’ के दर्जे को बरकरार रखेंगे।’’

वहीं, इन 19 वर्षों में 290 बाघों की हुई मौतों पर प्रतिक्रिया देते हुए मध्यप्रदेश वन्यप्राणी बोर्ड के सदस्य अभिलाष खांडेकर ने कहा, ‘’इतने सालों में इतनी मौतें होना शायद बहुत आश्चर्यजनक नहीं होगा। बाघ प्राकृतिक कारणों से भी मरते हैं और आपसी लड़ाई में भी मरते हैं। लेकिन, मुझे बाघों की अप्राकृतिक मौतों की चिंता है।’’

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश वन विभाग की वन्यप्राणी शाखा को हर वो कदम उठाना चाहिए जिससे बाघों का शिकार बंद हो जाए। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से प्रदेश के सभी छह बाघ अभयारण्य में शिकार की घटना नहीं होनी चाहिए।

खांडेकर ने कहा कि बाघ की खाल एवं अन्य अंगों की तस्करी पर हर तरीके से प्रभावकारी रोक होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि 2005 में पन्ना अभयारण्य में बाघों की संख्या कम होने पर पन्ना क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था। हालांकि उन्होंने दावा किया कि आज पन्ना देश का एक बहुत बढ़िया बाघ अभयारण्य हो गया है और इसे एक उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है।

गौरतलब है कि 31 जुलाई 2019 को जारी हुई राष्ट्रीय बाघ आकलन रिपोर्ट 2018 के अनुसार 526 बाघों के साथ मध्यप्रदेश ने प्रतिष्ठित ‘टाइगर स्टेट’ का अपना खोया हुआ दर्जा कर्नाटक से आठ साल बाद फिर से हासिल किया है। इससे पहले, 2006 में भी मध्यप्रदेश को 300 बाघों के होने के कारण टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त था। लेकिन कथित तौर पर शिकार आदि की वजह से 2010 में बाघों की संख्या घटकर 257 रह गई थी, जिसके कारण कर्नाटक ने मध्यप्रदेश से ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा छीन लिया था। तब कर्नाटक में 300 बाघ थे।

वहीं, 2014 में मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या बढ़कर 308 हुई। लेकिन मध्यप्रदेश बाघों की संख्या के मामले में देश में कर्नाटक (408) एवं उत्तराखंड (340) के बाद तीसरे स्थान पर खिसक गया था।

राष्ट्रीय बाघ आकलन रिपोर्ट 2018 के अनुसार देश में सबसे अधिक 526 बाघ मध्यप्रदेश में थे, जबकि कर्नाटक 524 बाघों के साथ दूसरे स्थान पर है।

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Web Title: 290 tigers killed in 19 years in Madhya Pradesh

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