27th edition of Exercise MALABAR: मालाबार अभ्यास का 27वां संस्करण 21 अगस्त को सिडनी के पास ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर संपन्न हुआ। इस अभ्यास में भारतीय नौसेना, रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना (आरएएन), जापान मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स (जेएमएसडीएफ) और अमेरिकी नौसेना (यूएसएन) के जहाजों, पनडुब्बियों और विमानों ने हिस्सा लिया।मालाबार अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया गया था, जिसमें 11-15 अगस्त 2023 तक बंदरगाह चरण और 16-21 अगस्त 2023 तक समुद्री चरण शामिल था।
मालाबार अभ्यास में भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व स्वदेश निर्मित विध्वंसक आईएनएस कोलकाता, फ्रिगेट आईएनएस सह्याद्री और पी8आई समुद्री गश्ती विमान द्वारा किया गया। अन्य भाग लेने वाली इकाइयों में आरएएन जहाज एचएमएएस चार्ल्स और एचएमएएस ब्रिस्बेन, यूएसएस राफेल पेराल्टा, जेएस शिरानुई के साथ-साथ पनडुब्बियां, लड़ाकू विमान, समुद्री गश्ती विमान और जहाज से उड़ान भरने वाले हेलीकॉप्टर शामिल थे। अभ्यास में जंगी जहाज सिडनी बंदरगाह से समुद्री चरण के लिए रवाना हुए, लड़ाकू और खोजी विमान आरएएएफ एम्बरले ब्रिस्बेन से संचालित हुए। ब्रिस्बेन में भारतीय नौसेना, आरएएएफ और यूएस नेवी के पी-8 आई डेट्स तैनात थे।
मालाबार अभ्यास के समुद्री चरण में हवा, सतह और समुद्र के नीचे के क्षेत्रों में जटिल और उच्च तीव्रता वाले अभ्यास, हथियार फायरिंग और क्रॉस डेक हेलीकॉप्टर संचालन का अभ्यास किया गया। समुद्र में संयुक्त अभ्यास से चारो देशों की नौसेनाओं ने युद्ध-लड़ने के कौशल को निखारा और उन्नत समुद्री संचालन करने के लिए अंतरसंचालनीयता को बढ़ाया।
इस अभ्यास में भारतीय, ऑस्ट्रेलियाई और अमेरिकी समुद्री गश्ती विमान इकाइयों के बीच असाधारण समन्वय और अंतरसंचालनीयता को भी प्रदर्शित किया गया। अभ्यास ने न केवल एक एकीकृत बल के रूप में एक साथ काम करने की चार नौसेनाओं की क्षमता की पुष्टि की, बल्कि सहयोगात्मक प्रशिक्षण और आपसी समझ के माध्यम से समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए उनकी साझा प्रतिबद्धता को भी उजागर किया।
बता दें कि वार्षिक मालाबार अभ्यास 1992 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय प्रयास के रूप में शुरू हुआ था। अब इसमें जापान और ऑस्ट्रेलिया नियमित भागीदार के रूप में शामिल हैं। हालाँकि इस साल का अभ्यास जो पहली बार ऑस्ट्रेलिया में आयोजित किया गया उसमें युद्धपोतों की संख्या पहले की अपेक्षा कम थी। इस बार तकनीक आधारित अभ्यास पर ज्यादा जोर दिया गया है।