विपक्ष के 18 दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार का फैसला किया

By भाषा | Updated: January 28, 2021 22:05 IST2021-01-28T22:05:54+5:302021-01-28T22:05:54+5:30

18 parties of opposition decided to boycott President's address | विपक्ष के 18 दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार का फैसला किया

विपक्ष के 18 दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार का फैसला किया

नयी दिल्ली, 28 जनवरी संसद के बजट सत्र के आरंभ होने से एक दिन पहले कांग्रेस, शिवसेना और तृणमूल कांग्रेस समेत देश के 18 विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए शुक्रवार को संसद में होने वाले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बहिष्कार का फैसला किया है।

कांग्रेस और 15 अन्य पार्टियों ने एक संयुक्त बयान जारी कर बहिष्कार की घोषणा की तो आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल ने भी राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान मौजूद नहीं रहने का ऐलान किया।

ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल ने फैसला किया गया है कि उसके सांसद राष्ट्रपति के अभिभाषण को सुनने के लिए दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में शामिल होंगे।

बसपा के रुख को लेकर अभी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुई है, हालांकि पार्टी के एक नेता ने बताया, ‘‘बसपा आलाकमान की तरफ से सांसदों के इसमें शामिल नहीं होने जैसा कोई निर्णय नहीं हुआ है और ऐसे में यह माना जा रहा है कि पार्टी के सांसद शुक्रवार के संसद की संयुक्त बैठक में शामिल हो सकते हैं।’’

उल्लेखनीय है कि संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के पारंपरिक संबोधन के साथ शुक्रवार को बजट सत्र शुरू होगा।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि 16 विपक्षी दलों ने अभिभाषण के बहिष्कार का निर्णय लेने के साथ ही किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा में केंद्र की भूमिका की स्वतंत्र जांच की मांग भी की है।

कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, सपा, राजद, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, आरएसपी, पीडीपी, एमडीएमके, केरल कांग्रेस(एम) और एआईयूडीएफ ने राष्ट्रपति अभिभाषण के बहिष्कार का फैसला संयुक्त रूप से किया है।

इन विपक्षी दलों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘हम हालात को संभालने के दौरान दिल्ली पुलिस के जवानों के घायल होने को लेकर भी दुख प्रकट करते हैं। लेकिन हमारा मानना है कि इस पूरे घटनाक्रम में केंद्र सरकार की भूमिका को सामने लाने के लिए निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों से भारतीय कृषि क्षेत्र के भविष्य के लिए खतरा पैदा हो गया है।

विपक्षी दलों ने दावा किया, ‘‘ये तीनों कानून राज्यों के अधिकारों पर प्रहार हैं तथा संविधान की संघीय भावना का उल्लंघन करते हैं। अगर इनको निरस्त नहीं किया गया तो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा नष्ट हो जाएगी।’’

इन दलों ने कहा, ‘‘किसानों की मांगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार अहंकारी, अड़ियल और अलोकतांत्रिक बनी हुई है। सरकार की असंवेदनशीलता से स्तब्ध हम विपक्षी दलों ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग दोहराते हुए और किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए यह फैसला किया है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया जाएगा।

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Web Title: 18 parties of opposition decided to boycott President's address

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