जम्मू-कश्मीरः सुरक्षाबलों की गोलियों और धमाकों से 21 महीनों में 150 पत्थरबाजों की हुई मौतें 

By सुरेश डुग्गर | Updated: October 21, 2018 20:24 IST2018-10-21T20:24:45+5:302018-10-21T20:24:45+5:30

जम्मू कश्मीर पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने एक बार फिर लोगों से अपील की है कि लोगों की जानें सुरक्षित रखने के क्रम में मुठभेड़स्थलों के निकट जाकर सेना पर पथराव नहीं करना चाहिए क्योंकि सेना उनकी अपनी ही है। 

150 stone pelters deaths in 21 months from bullets and blasts of security forces in jammu kashmir | जम्मू-कश्मीरः सुरक्षाबलों की गोलियों और धमाकों से 21 महीनों में 150 पत्थरबाजों की हुई मौतें 

जम्मू-कश्मीरः सुरक्षाबलों की गोलियों और धमाकों से 21 महीनों में 150 पत्थरबाजों की हुई मौतें 

मुठभेड़स्थलों पर जाकर जान देने के मामलों में होने वाली वृद्धि ने कश्मीर पुलिस को परेशानी में डाल दिया है। यह परेशानी इसलिए भी है क्योंकि पिछले 21 महीनों में 150 से अधिक नागरिक मुठभेड़स्थलों पर सुरक्षाबलों पर पथराव के दौरान उनके द्वारा चलाई गई गोलियों या होने वाले विस्फोटों में मारे गए हैं।

जम्मू कश्मीर पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने एक बार फिर लोगों से अपील की है कि लोगों की जानें सुरक्षित रखने के क्रम में मुठभेड़स्थलों के निकट जाकर सेना पर पथराव नहीं करना चाहिए क्योंकि सेना उनकी अपनी ही है। 

पुलिस महानिदेशक ने संवाददाताओं से कहा कि अगर किसी की जान इस तरह से जाती है तो हमें दुख होता है। इसलिए हम लोगों से अपील कर रहे हैं कि जहां कहीं भी मुठभेड़ हो, लोगों को वहां जाकर सेना पर पथराव नहीं करना चाहिए क्योंकि यह सेना हमारी है।

उन्होंने कहा कि वह उन परिवारों के दुख को महसूस कर सकते हैं जिन्होंने इस तरह की घटना में अपने बच्चों को खोया। उन्होंने कहा कि जिन परिवारों ने इसमें अपना बच्चा खोया है, उनके दुख को हम महसूस कर सकते हैं। हम जानते हैं कि यह कितना मुश्किल है। हम दोबारा सभी से अपील करते हैं कि ऐसा नहीं होना चाहिए और उन्हें मुठभेड़ स्थल के निकट जाकर सेना पर पथराव नहीं करना चाहिए।

सिंह ने कहा कि पुलिस ने पथराव की घटनाओं के दौरान जान की क्षति को रोकने के संबंध में सेना और सीआरपीएफ से बातचीत की है। उन्होंने कहा कि हमने सेना के अधिकारियों और सीआरपीएफ से बात की है कि इस तरह की घटनाओं में जान की क्षति से कैसे बचा जा सकता है।

सिंह की अपील के पीछे आधिकारिक आंकड़ा है जो कहता है कि पिछले 21 महीनों में 150 के करीब पत्थरबाज और नागरिक अपनी जानें गंवा चुके हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो पिछले 30 सालों से पाक परस्त आतंकवाद से जूझ रही कश्मीर वादी में अब मौतों का भी वर्गीकरण हो चुका है। 

अधिकतर मौतें आतंकियों की हो रही हैं जो सुरक्षाबलों से जेहाद के नाम पर लड़ कर जान दे रहे हैं। जबकि कुछेक नागरिकों को आतंकी मार रहे हैं तो कुछेक नागरिकों को आतंकी सुरक्षाबलों से अप्रत्यक्ष तौर पर लड़वा कर जान देने को मजबूर कर रहे हैं। और यह सब कुछ उस तथाकथित जेहाद के नाम पर हो रहा है जिसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने कश्मीर में छेड़ रखा है।

बात हो रही है उन नागरिकों की जो मुठभेड़ों के दौरान आतंकियों की जानें बचाने की खातिर अब सुरक्षाबलांे से भिड़ रहे हैं। फर्क आतंकियों और इन नागरिकों की लड़ाई में इतना है कि आतंकी अगर सुरक्षाबलों पर गोलियों तथा हथगोलों से हमले बोलते हैं तो ये नागरिक पत्थरों से।

हालांकि सुरक्षाबल पत्थरबाजी को गोलियों से अधिक घातक बताने लगे हैं। ऐसा इसलिए है, एक सुरक्षाधिकारी के शब्दों में:‘गोलियां जब दागी जाती हैं तो आवाज करती हैं और हम आवाज सुन बचाव कर सकते हैं पर जब पत्थर फैंके जाते हैं तो वे कहां से आएगा कोई नहीं जानता।’

सुरक्षाबलों पर पत्थर मारने का ख्मियाजा भी कश्मीरी भुगत रहे हैं। पिछले 21 महीनों में पत्थर मारने वालों में से करीब 150 पत्थरबाज मारे जा चुके हैं। इनकी मौत उस समय हुई जब सुरक्षाबलों ने आतंकियों को निकल भागने में मदद करने की कोशिश करने वाले पत्थरबाजों पर गोलियां दागीं। नतीजा सामने था।

पिछले साल फरवरी महीने में सेनाध्यक्ष बिपीन रावत द्वारा ऐसे तत्वों को दी गई चेतावनी के बाद तो सुरक्षाबलों की पत्थरबाजों के विरूद्ध होने वाली कार्रवाई में बिजली सी तेजी आई है। यही कारण था कि जहां पहले सेना के जवान ऐसे पत्थरबाजों पर सीधे गोली चलाने से परहेज करते थे अब वे ऐसा नहीं कर रहे हैं।

कश्मीर के आतंकवाद के इतिहास में पत्थरबाजी की उम्र कुछ ज्यादा नहीं है। यह तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के शासन के दौरान आरंभ हुई थी। फिलहाल गोलियों की बरसात और पैलेट गन भी पत्थरबाजों के कदमों को रोक पाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। 

दरअसल, भारत सरकार कहती है कि पत्थरबाजी के लिए युवकों को धन मुहैया करवाया जाता है और नोटबंदी के बाद इनमें जबरदस्त कमी आने का जो दावा किया जा रहा है उसकी हकीकत से पर्दा 150 युवकों की 21 महीनों में गोलियों से होने वाली मौत जरूर हटा रही है।

Web Title: 150 stone pelters deaths in 21 months from bullets and blasts of security forces in jammu kashmir

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