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जम्मू-कश्मीर: अभी तक 144 आतंकी ढेर, 199 आतंकी कश्मीर में अभी भी सक्रिय

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: November 25, 2021 16:00 IST

इस साल अभी तक 144 आतंकी ढेर किए गए तो केरिपुब यह संख्या 148 बताती थी। जबकि गृहमंत्रालय के जोड़तोड़ के मुताबिक, यह संख्या 161 को पार कर चुकी है। इतना जरूर था कि केरिपुब के जोड़ के मुताबिक, 199 आतंकी कश्मीर में अभी भी सक्रिय हैं।

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ठळक मुद्देसुरक्षाबलों के द्वारा इस साल अभी तक 144 आतंकी हुए ढेर कश्मीर घाटी में 199 आतंकी अभी भी हैं सक्रिय

जम्मू: कश्मीर में आतंकवाद फैलने से लेकर अब तक मारे जाने वाले आतंकियों और एक्टिव आतंकियों की संख्या को लेकर हमेशा ही विवाद रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रत्येक सुरक्षा एजेंसियां अपने अपने सूत्रों पर ही विश्वास करती आई हैं जिस कारण सक्रिय आतंकियों की संख्या कभी मेल नहीं खा पाई और मारे जाने वालों की संख्या में हमेशा अपने बल की संख्या को भी बढ़ा कर जोड़ने से ऐसा हो रहा है।

ऐसा ही विवाद कल श्रीनगर में तीन आतंकियों को ढेर किए जाने के बाद ही उस समय पैदा हुआ जब कश्मीर पुलिस और केरिपुब (केन्द्रीय रिजर्ब पुलिस बल) ने मारे जाने वालों और एक्टिव आतंकियों की संख्या के प्रति अलग अलग दावे किए। हालांकि दोनों के दावों की संख्या में ज्यादा अंतर तो नहीं था पर वे गृहमंत्रालय की संख्या से भी मेल नहीं खाते थे।

कश्मीर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार के मुताबिक, इस साल अभी तक 144 आतंकी ढेर किए गए तो केरिपुब यह संख्या 148 बताती थी। जबकि गृहमंत्रालय के जोड़तोड़ के मुताबिक, यह संख्या 161 को पार कर चुकी है। इतना जरूर था कि केरिपुब के जोड़ के मुताबिक, 199 आतंकी कश्मीर में अभी भी सक्रिय हैं। पर पुलिस ऐसा नहीं मानती जो इस संख्या को 225 से 250 के बीच मानती है।

दरअसल एक्टिव आतंकियों की संख्या को लेकर सेना, पुलिस और अन्य सुरक्षाबलों के बीच हमेशा ही मनमुटाव रहा है क्योंकि यह आंकड़ा उन सभी के अपने अपने सूत्रों द्वारा जुटाई गई संख्या पर आधारित अनुमान पर होता है। जबकि कश्मीर पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारी मानते थे कि एक्टिव आतंकियों की संख्या के प्रति कोई भी दावा पूरी तरह से सच इसलिए नहीं हो सकता है क्योंकि सीमा पार से घुसपैठ लगातार होती रहती है।

वहीं कई आतंकी अक्सर हथियार छोड़ देश के अन्य हिस्सों में चले जाते रहे हैं। जबकि पुलिस कहती है कि यह अनुमान घरों से लापता हुए युवकों की संख्या पर ही आधारित होता है या फिर उन सूचनाओं पर जो आतंकी गुट अपने नए रंगरूटों के फोटो और विवरण सोशल मीडिया पर प्रसारित करते हैं। 

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