असम में दो महीने में 12 अपराधियों को मार गिराया गया; विपक्ष ने पुलिस को बताया 'क्रूर'

By भाषा | Updated: July 4, 2021 18:09 IST2021-07-04T18:09:18+5:302021-07-04T18:09:18+5:30

12 criminals gunned down in Assam in two months; Opposition calls police 'brutal' | असम में दो महीने में 12 अपराधियों को मार गिराया गया; विपक्ष ने पुलिस को बताया 'क्रूर'

असम में दो महीने में 12 अपराधियों को मार गिराया गया; विपक्ष ने पुलिस को बताया 'क्रूर'

गुवाहाटी, चार जुलाई असम में दो महीने से भी कम समय में हिरासत से ''भागने की कोशिश'' करने पर कम से कम एक दर्जन संदिग्ध उग्रवादियों और अपराधियों को मार गिराने व इस तरह के मुठभेड़ों की बढ़ती संख्या को लेकर राज्य में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गया है।

10 मई को नई सरकार के सत्ता में आने के बाद से ऐसी घटनाओं की संख्या में वृद्धि को लेकर विपक्ष ने आरोप लगाया है कि हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्त्व वाली सरकार में असम पुलिस "क्रूर" हो गई है।

हालांकि, असम पुलिस ने इस आरोप का खंडन करते हुए दावा किया है कि उग्रवादियों और अपराधियों ने ही उसके कर्मियों को गोलियां चलाने पर मजबूर किया था।

विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को एक साक्षात्कार में कहा, "पिछले कुछ महीनों में जब अपराधियों ने हिरासत से भागने की कोशिश की तो पुलिस मुठभेड़ों या गोलीबारी में लगभग 12 मौतें हुई हैं।"

उन्होंने बताया कि उनमें से छह संदिग्ध दीमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (डीएनएलए) के उग्रवादी और यूनाइटेड पीपुल्स रिवोल्यूशनरी फ्रंट (यूपीआरएफ) के दो कथित विद्रोही हैं, जो कार्बी आंगलोंग जिले में पुलिस के साथ अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए थे।

उन्होंने बताया कि धेमाजी, नलबाड़ी, शिवसागर और कार्बी आंगलोंग जिलों में अलग-अलग मुठभेड़ों में चार अन्य संदिग्ध अपराधी मारे गए। कई अपराधियों ने कथित तौर पर पुलिस अधिकारियों की सर्विस पिस्तौल छीन ली थी, जिसके बाद उन पर गोलियां चलानी पड़ीं।

उन्होंने बताया कि कुछ मुठभेड़ तब हुई जब पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार करने का प्रयास किया और कुछ ने भागने की कोशिश की।

अधिकारी ने कहा, "जब इन उग्रवादियों और अपराधियों ने हिरासत से भागने का प्रयास किया तो पुलिस को गोलियां चलानी पड़ी। केवल वे ही बता सकते हैं कि उन्होंने भागने की कोशिश क्यों की।"

मुठभेड़ों में इजाफे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने दावा किया कि असम पुलिस अपनी कमी को छिपाने और नई सरकार को खुश करने के लिए ऐसा कर रही है।

उन्होंने कहा, "जब अपराधी पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश करते हैं, तो यह पुलिस की ढिलाई है। अपराधियों को अपराध दृश्य की पुनर्रचना के लिए ले जाया जाता है और वे भागने की कोशिश करते हैं। यह अब एक नियमित मामला बन गया है। ऐसा लगता है कि असम पुलिस क्रूर हो रही है।"

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि पुलिस नई सरकार के सामने खुद को साबित करने की कोशिश कर रही है लेकिन अगर वह अपना काम ठीक से कर पाती तो इस तरह के हथकंडे की जरूरत नहीं पड़ती।

रायजोर दल के प्रमुख और विधायक अखिल गोगोई ने भी आरोप लगाया कि मुठभेड़ के नाम पर पुलिस द्वारा "सरेआम हत्या" की जा रही है।

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