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कोविड संबंधी चिंताओं के समाधान के लिये 1000 बच्चों, अभिभावकों ने हेल्पलाइन पर किया संपर्क

By भाषा | Updated: May 18, 2021 17:24 IST

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नयी दिल्ली, 18 मई सरकार द्वारा शुरू की गई हेल्पलाइन पर संपर्क कर 1000 से ज्यादा बच्चे और अभिभावक अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर चुके हैं जिनमें कोविड-19 पृथकवास वार्ड में अकेलापन और माता-पिता के संक्रमित होने के बाद उपजी आक्रामकता जैसी समस्याएं भी शामिल थीं।

महामारी के दौरान प्रभावित बच्चों को मनोवैज्ञानिक प्राथमिक चिकित्सा और भावनात्मक समर्थन प्रदान करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) बच्चों को संवेदना (सेंसिटाइजिंग एक्शन ऑन मेंटल हेल्थ वल्नरेबिलिटी थ्रू इमोशनल डेवलपमेंट एंड नसेसरी एक्सेप्टेंस) के जरिये टेली काउंसिलिंग उपलब्ध करा रहा है। ‘संवेदना’ एक टोल-फ्री हेल्पलाइन है, जिसे प्रभावित बच्चों के मनो-सामाजिक मानसिक सहयोग के लिये शुरू किया गया था।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक सितंबर 2020 से सात मई 2021 के बीच 1009 शिकायतों का समाधान किया गया।

औरंगाबाद में एक कोविड-19 पृथकवास केंद्र के एक मामले में, 15 वर्षीय लड़की ने हेल्पलाइन पर बताया कि ज्यादा भाई-बहन होने की वजह से उसे माता-पिता से ज्यादा प्यार नहीं मिला जिससे वह व्यथित है और उसने माता-पिता के उसकी जल्दी शादी के दबाव के बारे में भी बताया।

परामर्शदाताओं ने लड़की और उसके माता-पिता से बात की और उन्हें बच्ची की पढ़ाई को बढ़ावा देने को कहा।

एक अन्य मामले में छह वर्षीय बच्चे के माता-पिता ने कानपुर से फोन किया और बच्चे के आक्रामक व्यवहार के बारे में चर्चा की, जो संक्रमित होने की वजह से एक पृथकवास केंद्र में था।

परामर्शदाताओं ने बच्चे को कहानी सुनाने और खिलौनों से खेलने जैसी विभिन्न गतिविधियों से जोड़ने के सुझाव दिये।

यह सेवा टोल-फ्री नंबर 1800-121-2830 पर सोमवार से शनिवार सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक और दोपहर 3 बजे से शाम 8 बजे तक उपलब्ध है। इस नंबर पर फोन करके वो बच्चे परामर्श ले सकते हैं, जो बात करने के इच्छुक हों।

जब कोई बच्चा/देखभाल करने वाला/माता-पिता ‘संवेदना’ पर संपर्क करते हैं तो उनकी बात सुरक्षित माहौल में पेशेवर परामर्शदाता से कराई जाती है।

यह टोल-फ्री टेली-परामर्श सुविधा देशभर के बच्चों को तमिल, तेलुगू, कन्नड़, उड़िया, मराठी, गुजराती, बंगाली आदि जैसी विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में सहायता प्रदान करती है।

इस सेवा की शुरुआत सितंबर 2020 में की गई थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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