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World AIDS Day : एचआईवी/एड्स से पीड़ित कोई व्यक्ति कितने दिन जीवित रह सकता है?

By उस्मान | Updated: November 28, 2018 12:02 IST

एचआईवी/एड्स एक ऐसी खतरनाक बीमारी है जिसका नाम सुनते ही पैरों तले जमीन खिसकने लगती है। एड्स का नाम सुनकर बहुत से लोगों के जेहन में यह सवाल आता है कि एचआईवी/एड्स से पीड़ित कोई व्यक्ति कितने दिन जिंदा रह सकता है? क्या एचआईवी/एड्स से पीड़ित कोई व्यक्ति लंबा जीवन जी सकता है?

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वर्ल्ड एड्स डे World AIDS Day  हर साल 1 दिसंबर को मनाया जाता है जिसका लक्ष्य एचआईवी इन्फेक्शन के प्रसार के कारण होने वाली महामारी एड्स के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। एचआईवी/एड्स एक खतरनाक बीमारी है। डब्ल्यूएचओ के साल 2017 के एक आंकड़े के अनुसार, इस जानलेवा बीमारी से लगभग 36.9 मिलियन लोग पीड़ित हैं। साल 2018 में वर्ल्ड एड्स डे की थीम है 'अपनी स्थिति जानें'। इसका मतलब यह है कि हर इंसान को अपने एचआईवी स्टेटस की जानकारी होनी चाहिए। 

एचआईवी/एड्स एक ऐसी खतरनाक बीमारी है जिसका नाम सुनते ही पैरों तले जमीन खिसकने लगती है। एड्स का नाम सुनकर बहुत से लोगों के जेहन में यह सवाल आता है कि एचआईवी/एड्स से पीड़ित कोई व्यक्ति कितने दिन जिंदा रह सकता है? क्या एचआईवी/एड्स से पीड़ित कोई व्यक्ति लंबा जीवन जी सकता है? या फिर मरीज कितने दिन जिंदा रह सकता है? वास्तव में ऐसे मरीज का औसतन जीवन कितना होता है?   

एचआईवी/एड्स से पीड़ित व्यक्ति कितने दिन जिंदा रह सकता है इस सवाल का सही जवाब देना मुश्किल है। इसका कारण यह है कि साल 1980 के दशक में एड्स से पीड़ित हुए कुछ मरीज अभी तक जिंदा हैं। एक हालिया अध्ययन में यह अनुमान लगाने के लिए मैथमेटिकल मॉडलिंग का यूज किया गया था कि कुछ एचआईवी पॉजिटिव लोग (शायद 10% या अधिक) एड्स हुए बिना 25 साल तक जीवित रह सकते हैं।  

पिछले कई सालों में ट्रीटमेंट में काफी सुधार हुआ है इसलिए यह कहना मुश्किल है कि एड्स से पीड़ित कोई औसतन कितने समय तक जीवित रह सकता है। हालांकि डॉक्टर और डाइटीशियन इस बात पर भी जोर देते हैं कि एचआईवी से पीड़ित कोई मरीज अगर बेहतर ट्रीटमेंट और डाइट ले रहा है, तो वो लंबा जीवन जी सकता है। इस संबंध में दिल्ली के मशहूर जरनल फिजिशियन डॉक्टर अजय लेखी कई ऐसी बातें हैं जो यह निर्धारित करती हैं कि कोई व्यक्ति एचआईवी के साथ कितने समय तक जीवित रह सकता है। 

1) मरीज का इलाज कैसा चल रहा है। बेहतर जीवन के लिए डाइट, एक्सरसाइज का भी अहम रोल है। ऐसे लोग जिन्हें दूसरी अन्य गंभीर रोग हैं या गलत पदार्थों का सेवन करते हैं वे लंबा जीवन नहीं जी सकते।  

2) मरीज  भावनात्मक रूप से अपनी देखभाल किस तरह कर रहा है। सकारात्मक मानसिक रवैये वाले लोग निराशावादी या नकारात्मक मानसिक दृष्टिकोण वाले लोगों की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहते हैं। 

3) ऐसे लोग जो दवा प्रतिरोधी हैं और उपलब्ध दवाएं अब प्रभावी नहीं हैं, तो वे लंबे समय तक नहीं जी सकते हैं। लेकिन अगर कोई व्यक्ति दवाओं के प्रति सही जवाब दे रहा है, तो उसके लंबे समय तक जीवित रहने की उम्मीद है।

4) कुछ लोगों को उनके सफेद रक्त कोशिकाओं (सीसीआर -5 रिसेप्टर और अन्य रिसेप्टर्स में उत्परिवर्तन सहित) में अनुवांशिक उत्परिवर्तन होते हैं, जो रोग की प्रगति को धीमा कर सकते हैं। 

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