भारत में 20 फीसदी से अधिक महिलाएं थायराइड समस्या से पीड़ित हैं। इससे उन्हें बांझपन यानी इनफर्टिलिटी सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। थायराइड गर्दन में तितली के आकार की एक छोटी ग्रंथि है, जो थायराइड हार्मोन का उत्पादन करती है जो मानव शरीर के ऊर्जा उपयोग को रेगुलेट करता है। कभी-कभी थायरॉयड इन हार्मोनों के बहुत अधिक या बहुत कम बनाता है।
जब थायराइड हार्मोन का उत्पादन कम होता है, तो उस स्थिति को हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है। इससे शरीर की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और बदल जाती है। दूसरी ओर, हार्मोन का अधिक उत्पादन हाइपरथायरायडिज्म कहलाता है जो शरीर के कार्यों को तेजी प्रदान कर सकता है। हाइपोथायरायडिज्म महिलाओं को गर्भ धारण करने में असमर्थ बना सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, थायराइड हार्मोन कम होने से ओव्यूलेशन में बाधा आ सकती है, जो प्रजनन क्षमता को बाधित करता है।
गाइनोकोलॉजिस्ट माया चौधरी के अनुसार, थायराइड एक बहुत ही आम समस्या है, विशेष रूप से 25 साल की उम्र के बाद इसका अधिक खतरा होता है। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में थायराइड विकारों का चार गुना अधिक खतरा होता है। इसका इलाज नहीं कराने से महिलाओं को बार-बार गर्भपात की समस्या हो सकती है। सबसे दुखद इससे महिलाओं में बांझपन का खतरा हो सकता है।
महिलाओं में थायराइड के लक्षणथकानज्यादा ठंड लगनाकब्जड्राई स्किनवजन बढ़नाचेहरे पर सूजनआवाज बैठनामांसपेशियों में कमजोरीकोलेस्ट्रॉल बढ़नामांसपेशियों में दर्दजोड़ों में सूजनअनियमित मासिक धर्मपतले बालहार्ट बीत कम होनाअवसादयाददाश्त कमजोर
स्तनों में दर्द
घर पर ऐसे करें थायराइड टेस्ट
अपने बिस्तर में एक थर्मामीटर रखेंतीन दिनों तक सुबह उठने के बाद एक ही समय पर अपना तापमान चेक करेंचेक करने के लिए थर्मामीटर को दस मिनट बगल में रखेंतीनों दिन ऐसा ही करें
कई विशेषज्ञों के अनुसार, एक हेल्दी टेम्प्रेचर 97.8 से 98.2 डिग्री फ़ारेनहाइट या 36.6 से 36.8 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। इसलिए यदि आपका तापमान कम से कम तीन दिनों के लिए इससे कम है, तो यह हाइपोथायरायडिज्म का संकेत हो सकता है।
दूसरी ओर, हेल्दी टेम्प्रेचर की तुलना में लगातार अधिक तापमान हाइपरथायरायडिज्म या संक्रमण का संकेत दे सकता है। डॉक्टर 98 डिग्री से नीचे के किसी भी तापमान को संभावित हाइपोथायरायडिज्म का संकेत मानते हैं।