टी-बैग का इस्तेमाल करने वालों के लिए एक बुरी खबर है। शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि इसके अधिक इस्तेमाल से धीरे-धीरे आप कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। मैकगिल यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर का कहना है कि टी-बैग का इस्तेमाल करने वाले लोग हर घूंट के साथ प्लास्टिक के अरबों छोटे कणों को निगल रहे हैं।
अमेरिकी पत्रिका एनवायरनमेंटल साइंस एंड टेक्नॉलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ता नाथाली तुफेंकजी ने अपनी शोध के दौरान चार अलग-अलग ब्रांड के टी-बैग को गर्म पानी में डुबोया और उन्होंने पाया कि कप में अरबों की संख्या में माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक्स जारी हो रहे थे। यह ऐसे तत्व हैं जो धीरे-धीरे शरीर में कैंसर पैदा कर सकते हैं।
तुफेंकजी ने कहा, 'हमें थोड़े-बहुत कणों के जारी होने की उम्मीद थी लेकिन हम उस समय हैरान रह गए, जब हमने देखा कि सिर्फ एक टी-बैग से उस कप में प्लास्टिक के अरबों कण जारी हो रहे हैं।
शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने 'अल्ट्रा प्योर' पानी में बैग को पांच मिनट के लिए 95 डिग्री सेल्सियस तक गर्म कर किया। जब उन्होंने पानी के एक नमूने का विश्लेषण किया, तो उन्होंने पाया कि एक प्लास्टिक के टी बैग ने लगभग 11.6 बिलियन माइक्रोप्लास्टिक और 3.1 बिलियन नैनोप्लास्टिक एक कप में छोड़े।
तुफेंकजी ने कहा कि कई अध्ययन इस बात का दावा करते हैं कि कई टेबल साल्ट जैसे अन्य खाद्य पदार्थों में इन कणों की संख्या को अधिक होती है। लेकिन हमें उस समस्य हैरानी हुई, जब हमने देखा कि एक कप चाय में 16 माइक्रोग्राम प्लास्टिक के कण हैं जो जबकि टेबल साल्ट में इसकी संख्या सिर्फ 0.005 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम देखी गई है।
प्लास्टिक के कण कितने घातक? तुफेंकजी ने कहा, 'हमारे पास कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है कि प्लास्टिक माइक्रोप्रोटिकल्स रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं या उनका मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लेकिन इन कणों से कई संभावित हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं।
हालांकि एक अन्य अध्ययन के अनुसार, इस तरह के कण पॉडकोनिओसिस (एलीफेंटियासिस का एक रूप) का कारण बन सकते हैं। इतना ही नहीं, इन कणों सांस लेने में परेशानी और फेफड़ों के कैंसर का भी खतरा हो सकता है।