वातावरण के निरंतर बिगड़ने के साथ पानी की कमी बढ़ती जा रही है. वर्षा की कमी से नदियाँ सूख रही हैं और लोगों तक पानी नहीं पहुंच रहा है. लेकिन परेशानी सिर्फ इतनी ही नहीं है. पानी अगर कहीं मौजूद भी है तो वह स्वच्छ नहीं है और उसे स्वच्छ बनाने में सरकारों का लाखों-करोड़ों रुपया खर्च होता है.
वैज्ञानिकों ने एक सरल तरीका खोजा है जिसकी बदालैत सूरज की रोशनी का इस्तेमाल करते हुए पानी में मौजूद प्रदूषकों को हटाया जा सकता है. जर्मनी में मार्टिन लूथर विश्वविद्यालय हेले विटेनबर्ग के शोध कर्मियों ने घुले हुए प्रदूषकों को हटाने के लिए पानी में आसानी से गतिशील इलेक्ट्रॉन्स यानि हाइड्रेटेड इलेक्ट्रॉन्स का उपयोग किया.
एमएलयू में प्रोफेसर मार्टिन गोएज ने बताया, ''ये इलेक्ट्रॉन काफी प्रतिक्रियाशील हैं और प्रतिक्रिया के वास्ते इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. ये सख्त प्रदूषकों को भी तोड़ने में सक्षम हैं.'' इस कार्य के लिए इलेक्ट्रॉन को आणविक यौगिकों से छोड़ना पड़ता है जहां इन्हें पूरी तरह से बंद रखा जाता है. अब तक ऐसे इलेक्ट्रॉन को पैदा करना बहुत जटिल और खर्चीला है.
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शोधकर्मियों ने एक नई प्रक्रिया विकसित की है जिसमें ऊर्जा के एकमात्र स्रोत के रूप में ग्रीन लाइट एमिटिंग डायोड की जरूरत होती है. वांछित प्रतिक्रिया कराने के लिए उत्प्ररेक के तौर पर विटामिन सी और धातु मिश्रण का इस्तेमाल किया जाता है.
नई प्रक्रिया की आगे जांच से पता चला कि हाइड्रेटेड इलेक्ट्रॉन पैदा करने का यह सक्षम तरीका है और साथ ही इसके और भी उपयोग हो सकते हैं. शोधकर्मियों ने नए तरीके का इस्तमाल प्रदूषित पानी पर किया. छोटे सैंपल में इस विधि से पानी के प्रदूषकों को हटाने में सहायता मिली.