दुनिया में तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण मत्स्य उद्योग और प्रवाल भित्ति पर्यटन बर्बाद हो सकता है जिससे वर्ष 2050 तक सैकड़ों अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। यह 14 समुद्र तटीय देशों द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया है।
मैड्रिड में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में प्रकाशित होने वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने से तटीय देशों को कम आर्थिक क्षति होगी लेकिन इसके लिए उन्हें उद्योग को सामुद्रिक परिवर्तनों के अनुकूल ढालना होगा।
अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि महासागरों में गर्मी बढ़ने से पानी अम्लीय हो जाता है इसलिए मछलियां ठंडे पानी में ही जीवित रह पाएंगी। भूमध्य रेखा के आसपास के क्षेत्रों में मत्स्य उद्योग में गिरावट आएगी जबकि आर्कटिक और अंटार्कटिक महासागरों में मत्स्य उद्योग बढ़ने का पूर्वानुमान है।
रिपोर्ट के मुताबिक कोरलों की मौत की कारण मूंगा भित्ति पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है जिससे कई समुद्र तटीय देशों में वर्षों से चले आ रहे इस कई अरब डॉलर के इस उद्योग का सफाया हो सकता है।