खराब जीवनशैली और खानपान के कारण महिलाओं में रसौली (Fibroid) एक आम समस्या बनती जा रही है। रसौली ऐसी गांठें (Tumor) होती हैं जो कि महिलाओं के गर्भाशय में हो जाती हैं। रसौली होने पर आपको हैवी फ्लो, पेट के निचले हिस्से में दर्द, बार-बार पेशाब आना, कब्ज, पीठ या पैर में दर्द होना आदि लक्षण महसूस हो सकते हैं।
डॉक्टर मानते हैं कि अधिकतर महिलाएं अपने जीवनकाल में इस समस्या का सामना करती हैं लेकिन इसमें हमेशा इलाज की जरूरत नहीं होती है। कभी-कभी रसौली खुद सही हो जाती हैं। हालांकि कई मामलों में आपको ऑपरेशन की जरूरत हो सकती है। डॉक्टर यह भी मानते हैं कि रसौली होने के बावजूद भी कई महिलाएं नार्मल डिलीवरी से ही बच्चे को जन्म देती हैं और रसौली का शिशु पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
रसौली होने पर दर्द निवारक दवाओं से राहत मिल सकती है लेकिन कई बार स्थिति ज्यादा गंभीर हो जाती है जिसके लिए इलाज की सख्त जरूरत पड़ती है। इसका कारण यह है कि समय पर इलाज नहीं कराने से रसौली की मात्रा और आकार बढ़ सकता है, जिस वजह से आपको पेट दर्द और रक्तस्त्राव जैसे लक्षण और ज्यादा बढ़ सकते हैं।
वैसे तो रसौली के लिए कई तरह के इलाज उपलब्ध हैं लेकिन आप आयुर्वेदिक इलाज से भी इससे राहत पा सकते हैं। आप इसके इलाज के लिए कचनार (Bauhinia variegata) और गोरखमुंडी (Sphaeranthus indicus) पौधे का इस्तेमाल कर सकते हैं।
रसौली के इलाज में कैसे सहायक हैं कचनार और गोरखमुंडी
यह दोनों जड़ी-बूटी आपको आयुर्वेदिक दवाएं बेचने वाले किसी पंसारी की दुकान पर आसानी से मिल सकती हैं। बेहतर उपाय यह है कि कचनार की ताजा छाल का इस्तेमाल करें। वैसे कचनार और गोरखमुंडी का पौधा आपको आसानी से नहीं मिलता है इसलिए आपको इसे खरीदना ही होगा।
इस्तेमाल करने के लिए पहले कचनार जड़ी बूटी को मोटा-मोटा कूटकर एक गिलास पानी में उबाल लें। दो मिनट बाद इसमें मोटी पिसी हुई गोरखमुंडी डालकर एक मिनट तक उबालकर छोड़ दें। बेहतर परिणाम के लिए दिन में दो बार इसका सेवन करें।
इस बात का ध्यान रखेंयह एक आयुर्वेदिक उपाय है और इसका रिजल्ट आने में थोड़ा समय लगता है इसलिए लंबे समय तक इसका सेवन करते रहने से आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं। इसका इस्तेमाल करने से पहले आपो डॉक्टर या एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए।