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COVID-19: शरीर में कैसे घुसता है कोरोना वायरस, उसके बाद शरीर में क्या होता है ?

By उस्मान | Updated: April 23, 2021 11:01 IST

कोरोना वायरस शरीर को कैसे प्रभावित करता है

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ठळक मुद्देकोरोना वायरस शरीर को कैसे प्रभावित करता है जानिये शरीर में कैसे प्रवेश करता है कोरोनाफेफड़ों को अधिक नुकसान करता है वायरस

भारत सहित पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। दूसरी लहर में संक्रमितों और मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्ल्डओ मीटर के अनुसार पूरी दुनिया में कोरोना के मामले 145,346,871 पार हो गए हैं जबकि 3,085,288 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।

अगर बात करें भारत की तो यहां पिछले 24 घंटे में तीन लाख 32 हजार 730 नए मामले सामने आए हैं। साथ ही 2263 लोगों की जान भी चली गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या 1 लाख 86 हजार 920 हो गई है। वहीं एक्टिव केस 24 लाख 28 हजार 616 हो गए हैं।

अब तक कुल 13 करोड़ 54 लाख 78 हजार 420 लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है। ये लगातार दूसरा दिन है जब संक्रमण के तीन लाख से अधिक केस भारत में आए हैं। यही नहीं, ये लगातार 17वां दिन भी है जब भारत में एक लाख से अधिक केस दर्ज किए गए हैं। 

साथ ही दुनिया के किसी भी देश में दो दिन में कोरोना के आने वाले ये सबसे अधिक केस हैं। आंकडो़ं का सिलसिला यहीं नहीं रूकता है। ये लगातार 10वां दिन है जब भारत में कोरोना से एक हजार से ज्यादा मौतें दर्ज हुई। वहीं ये लगातार तीसरा दिन भी है जब 2000 से ज्यादा मौत देश में कोरोना से हुई है।

कोरोना संक्रमित लोगों के स्वस्थ होने की दर भारत में अब गिरकर 83.9 प्रतिशत रह गई है। वहीं, कोरोना से राष्ट्रीय स्तर पर मृत्यु दर गिरकर 1.1 प्रतिशत हो गई है। 

कोरोना का वायरस कैसे फैलता है

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वायरस संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसके अलावा खुली हवा में खांसने और छींकने, हाथ मिलाने या गले मिलने, किसी संक्रमित वस्तु को छूने और उसके बाद हाथ को मुंह या आंखों पर लगाने से भी फैलता है।  

कोरोना वायरस शरीर में कैसे प्रवेश करता है

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस खांसी या छींकने से हवा में संचारित बूंदों के माध्यम से फैलता है। यह प्रभावित व्यक्ति से आस-पास के लोगों में नाक, मुंह या आंखों के माध्यम से शरीर के भीतर प्रवेश कर सकता है।

इन बूंदों में वायरल के कण आपके नाक मार्ग के पीछे से आपके गले के पीछे की श्लेष्म झिल्ली में पहुंचकर कोशिकाओं में एक विशेष रिसेप्टर से जुड़ते हैं। कोरोना के यह कण कोशिकाओं को कमजोर करते हैं और उनके कामकाज को प्रभावित करते हैं। इस जगह पर वायरस के यह कण और अधिक मात्रा में बढ़ते रहते हैं। 

वायरस के शरीर में घुसने के बाद क्या होता है?

शरीर के भीतर जाने के बाद ये वायरस इंसान के लिए सांस लेने में तकलीफ़ पैदा कर सकता है. इसका पहला हमला आपके गले के आसपास की कोशिकाओं पर होता है. इसके बाद सांस की नली और फेफड़ों पर हमला करता है.

जैसे ही वायरस के यह कण बढ़ने लगते हैं, तो वे बाहर निकलते हैं और वो गले के आसपास की कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं। ऐसा होने से अक्सर गले में खराश और गले में सूखी खांसी शुरू होने लगती है। यह कण गले में ब्रोन्कियल ट्यूब यानी सांस के नालियों को धीमा करने लगते हैं। 

फेफड़ों की थैली को डैमेज करता है वायरस

जब वायरस फेफड़ों में पहुंचता है, तो उनके श्लेष्म झिल्ली में सूजन हो जाती है। इससे एल्वियोली या फेफड़ों की थैली डैमेज हो सकती है। इतना ही नहीं इससे फेफड़ों को पूरे शरीर में घूमने वाले रक्त में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने और रक्त से कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने में बाधा पैदा होती है। अगर यहां सूजन आती है, तो यह ऑक्सीजन को श्लेष्म झिल्ली में तैरने के लिए और अधिक कठिन बना देता है। 

फेफड़ों में भर जाता है पानी, मवाद

फेफड़ों की सूजन और ऑक्सीजन का प्रवाह बिगड़ने से फेफड़ों में द्रव, मवाद और मृत कोशिकाएं भर सकते हैं। इससे फेफड़ों की बीमारी निमोनिया हो जाती है।

काम करना बंद कर देते हैं फेफड़े, हो जाती है मौतकुछ लोगों को सांस लेने में इतनी परेशानी होती है कि उन्हें वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत होती है। सबसे खराब मामलों में, एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है। इसमें फेफड़ों में इतने अधिक तरल पदार्थ से भर जाते हैं कि सांस ही नहीं आता है और रोगी की मृत्यु हो जाती है।

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