भारत में पहली बार एक ड्रोन के जरिए एक जगह से दूसरी जगह ब्लड पहुंचाने का काम किया गया। उत्तराखंड के एक उजाड़ इलाके से ब्लड लेकर टेहरी जिले के हेल्थ सेंटर तक पहुंचाया गया। ड्रोन के जरिए यह ब्लड मात्र 18 मिनट में टेहरी जिले के हेल्थ सेंटर तक पहुंच गया, जबकि सड़क मार्ग से कम से कम 50 से 60 मिनट का समय लगता है।
उत्तराखंड में टेहरी जिले से करीब 35 किमी की दूरी पर नंदगांव पड़ता है। यहां से ब्लड क एक सैंपल को ड्रोन में रखकर टेहरी जिले के जिला अस्पताल तक पहुंचाया गया। सड़क मार्ग से यह रास्ता तय करने में सामान्य रूप से 50 से 60 मिनट का वक्त लग जाता है मगर ड्रोन की सहायता से यह काम केवल 18 मिनट में पूरा हुआ।
IIT कानपुर के एक भूतपूर्व छात्र निखिल उपाध्ये ने ड्रोन के जरिए एक जगह से दूसरी जगह ब्लड पहुंचाने के इस प्रोजेक्ट को अंजाम दिया है। निखिल इस समय Cdspace Robotics Limited नाम की एक कंपनी चला रहे हैं जो तकनीकी सिस्टम पर ही जोरों शोरों से काम करती है।
बताया जा रहा है कि ड्रोन से ब्लड पहुंचाने के इस पायलट प्रोजेक्ट के बाद जल्द ही और कोशिशें भी की जाएँगी। एक अंग्रेजी वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार यह ड्रोन कम से कम 500 ग्राम का वजन अपने ऊपर ले जा सकता है और एक चार्जिंग पर करीब 50 किमी की दूरी तय कर सकता है। यह ड्रोन हर तरह के अमुसम में आसानी से उड़कर निशिचित स्थान तक पहुँचने में भी सक्षम है।
उत्तराखंड जैसे राज्य में स्वास्थ्य सुविधाएं काफी कमजोर हैं। इसलिए इस प्रोजेत्क को चला रहे लोगों को यह प्रोजेक्ट स्वास्थ्य के क्षेत्र में विकास लाने वाला लग रहा है। मगर वहीं कुछ विशेषग्य इस पायलट प्रोजेक्ट पर हुए खर्च को देखते हुए इसे आगे बढ़ाने के विचार पर असमंजस जता रहे हैं। केवल इस पायलट प्रोजेक्ट पर ही 10 लाख का खर्च आया है। यदि फासला और बढ़ा दिया जाए तो खर्च भी बढ़ जाएगा।
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वक्त पर खून ना पहुँचने से हर साल मरते हैं लाखो लोग (WHO की रिपोर्ट)
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल करीब 12 लाख लोगों को अपनी जान बचाने के लिए खून की जरूरत पड़ती है। मगर इसमें से भारी मात्रा में लोगों को ब्लड मिलता ही नहीं। इसके पीछे कई कारण हैं जैसे कि ब्लड बैंक में आवश्यक ब्लड ग्रुप का ब्लड ना होना और यदि किसी अन्य सेंटर पर ब्लड हो तो समय से वह मरीज तक ना पहुँचने के कारण भी मरीज को अपनी जान गवानी पड़ती है।
रिपोर्ट की मानें तो हर साल भारतीय को 3 लाख यूनिट ब्लड की कमी महसूस होती है। इस कमी को तभी पूरा किया जा सकता है जब भारत में रोजाना करीब 38 हजार लोग रक्त दाना करें। इसके अलावा ब्लड यूनिट भी अस्पतालों के करीब होनी चाहिए और अगर करीब ना हो तो ब्लड को जल्द से जल्द तक पहुंचाने के साधन में सुधार लाना चाहिए।