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Doctor day 2020: क्यों मनाया जाता है डॉक्टर दिवस, जानें इसका पूरा इतिहास

By प्रिया कुमारी | Updated: July 1, 2020 13:37 IST

1 जुलाई को हर साल डॉक्टर डे के रूप में मनाया जाता है। इस दिन डॉक्टरों के महत्व के बारे में बताया जाता है। इस दिन की शरुआत साल 1991से हुई थी।

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ठळक मुद्देहर साल 1 जुलाई को डॉक्टर डे मनाया जाता है।क्यों मनाया जाता है डॉक्टर दिवस कब से हुई थी इसकी शुरुआत, जानें।

हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाया जाता है। देश के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधानचंद्र रॉय के सम्मान में यह दिन मनाया जाता है। डॉ. बिधानचंद्र रॉय का जन्‍मदिवस और पुण्यतिथि दोनों इसी तारीख को पड़ती है। इस दिन पूरी चिकित्सा विभाग को श्रद्धांजलि दी जाती है, और मानव जीवन में डॉक्टरों का क्या महत्व है इस पर भी ध्यान दिया जाता है। केंद्र सरकार ने साल 1991 में डॉक्टर डे मनाने की शुरुआत की थी। घरती पर डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया जाता है, डॉक्टर मानव का न केवल इलाज करते हैं बल्कि उन्हें जीवन दान देते हैं। 

इसलिए उन्हें धरती पर भगवान का दर्जा दिया जाता है, उन्हें जीवनदाता कहा जाता है। डॉक्टरों के समर्पण और ईमानदारी के प्रति सम्मान जाहिर करने के लिए हर साल 1 जुलाई को यह दिवस मनाया जाता है। देश के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ बिधान चंद्र रॉय को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिए उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर इसे मनाया जाता है।डॉ बिधान चंद्र रॉय जन्म 1 जुलाई 1882 में बिहार के पटना जिले में हुआ था। कोलकाता में मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद डॉ. राय एमआरसीपी और एफआरसीएस की उपाधी लंदन से प्राप्त की थी। 

1911 में उन्होंने भारत में चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत की। इसके बाद डॉ. रॉय कोलकाता मेडिकल कॉलेद में लेक्चर बने वहां से वह कैंपबैल मेडिकल स्कूल और फिर कारमिकेल मेडिकल कॉलेज गए। इतने दिन कॉलेज के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा। जिसके बाद वह कांग्रेस पार्टी के सदस्य बने और बाद में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने।

डॉ. राय को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। 80 वर्ष की आयु में 1962 में अपने जन्मदिन के दिन यानी 1 जुलाई को ही उनकी मृत्यु हो गई थी। महान फिजिशियन डॉ. बिधान चंद्र रॉय पं. बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री भी थे और उन्हें उनके दूरदर्शी नेतृत्व के लिए पं. बंगाल राज्य का आर्किटेक्ट भी कहा जाता है। 1961 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था।

डॉक्टर की क्या अहमियत होती है वो इस कोरोना काल ने बता दिया। इस परिस्थिति में डॉक्टरों की भूमिका बेहद अहम हो जाती है। इस कोरोना काल में कई डॉक्टरों की जान चली गई। लेकिन फिर भी डॉक्टर आज भी अस्पताल में मरीजो की सेवा में लगे हैं। कोरोना काल में डॉक्टरों ने एक योद्धा की तरह लड़ाई लड़ी है। इस खास दिन को मनाने का उद्देश्य डॉक्टरों के प्रति सम्मान बढ़ाना भी है। 

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