भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लगभग धीरे-धीरे खत्म हो रही है। नए मामलों में कमी आ रही है और मरने वालों की संख्या भी कम हो रही है। लेकिन इस बीच सबसे बड़ा डर तीसरी लहर को लेकर है। माना जा रहा है कि कोरोना के नए रूप डेल्टा प्लस की वजह से तीसरी लहर आ सकती है। पिछले हफ्ते इस वैरिएंट के कई मामले भी देखने को मिले हैं।
लोगों में खौफ है कि कोरोना डेल्टा प्लस वेरिएंट देश में तीसरी लहर को लेकर आ सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का ऐसा मानना नहीं है। भारत के टॉप डॉक्टरों में से एक जीनोम सीक्वेंसर ने इन चिंताओं को दूर कर दिया है कि तीसरी लहर का कारण डेल्टा वेरिएंट बनेगा।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल ने बताया है कि कि डेल्टा प्लस वैरिएंट से तीसरी लहर आने का कोई सबूत नहीं है। डेल्टा प्लस का संभावित तीसरी लहर से कोई लेना-देना है।
डॉ अनुराग अग्रवाल ने कोरोना की दूसरी लहर पर ही सतर्कता को कम न करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हमें इस बात की चिंता होनी चाहिए कि दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है। हमें ध्यान रखना है कि दूसरी लहर को कमजोर करने के दौरान हमारी सतर्कता कम न हो।
डॉ अग्रवाल के संस्थान ने महाराष्ट्र में इस महीने 3500 से ज्यादा सैंपल लिए हैं। उन्होंने पाया कि डेल्टा प्लस वेरिएंट बहुत ज्यादा है लेकिन अब भी यह एक फीसदी से कम ही है और यह तीसरी लहर पैदा नहीं कर सकता है।
देश भर में डेल्टा प्लस वैरिएंट के 40 से अधिक मामलों का पता चला है। सरकार ने इस मोर्चे पर महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश को चेतावनी भेजकर "तत्काल रोकथाम के उपाय" करने का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा कि हमें सीए लेकर बहुत चिंतित नहीं होना चाहिए। हमें तीसरी लहर के बारे में चिंता करने से पहले दूसरी लहर के समाप्त न होने के बारे में चिंतित होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मुझे निश्चित रूप से इस समय लोगों के घबराने का कोई कारण नहीं दिखता है कि डेल्टा प्लस डेल्टा से काफी खराब है या एक बड़ी तीसरी लहर पैदा कर रहा है। इसके लिए बिल्कुल कोई सबूत नहीं है।