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कोविड-19 टीके की भारत की तैयारी के बीच शीत भंडारण केंद्रों की संख्या में करनी होगी वृद्धि: विशेषज्ञ

By भाषा | Updated: October 9, 2020 08:52 IST

Coronavirus vaccine: जुलाई 2021 तक कोविड-19 के 40-50 करोड़ टीके मिलने की उम्मीद

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ठळक मुद्देमहामारी का यह तोड़ अगले साल तक बाजार में आ सकता हैजुलाई 2021 तक कोविड-19 के 40-50 करोड़ टीके मिलने की उम्मीदभंडारण तथा वितरण के लिए 15 अक्टूबर तक बन सकती है योजना

कोविड-19 टीके की भारत की तैयारी के बीच विशेषज्ञों ने कहा है कि इसके लिए शीत भंडारण केंद्रों की संख्या में भी महत्वपूर्ण वृद्धि करनी होगी। कई विशेषज्ञों और संबंधित उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि टीका विकसित करने के प्रयासों में सबसे आगे चल रही कंपनियों को टीका उपलब्ध होने की स्थिति में अतिरिक्त शीत भंडारण केंद्रों की जरूरत होगी। 

इसकी प्रभावी प्रदायगी के लिए निजी क्षेत्र को भी मैदान में उतारा जा सकता है। टीका विकसित करने के काम में लगीं कई कंपनियां परीक्षण के महत्वपूर्ण चरणों में हैं और महामारी का यह तोड़ अगले साल तक बाजार में आ सकता है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इस सप्ताह के शुरू में कहा था कि सरकार को जुलाई 2021 तक कोविड-19 के 40-50 करोड़ टीके मिलने तथा इन्हें 20-25 करोड़ लोगों को दिए जाने की उम्मीद है। 

ऐसी खबर है कि केंद्र ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे टीकों के भंडारण तथा वितरण के लिए 15 अक्टूबर तक एक मजबूत योजना बनाएं। नयी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान के सत्यजीत रथ ने कहा कि टीका बनाने के काम में आगे चल रही कंपनियों के लिए टीकों का भंडारण अनुकूल तापमान पर रखना जरूरी है और भारत के लिए इसे क्रियान्वित करना अत्यधिक चुनौतीपूर्ण है। 

प्रतिरक्षा विशेषज्ञ ने उल्लेख किया कि कोविड-19 संबंधी टीकों को बेहद कम तापमान में रखने की जरूरत होगी कि जो भारत में व्यावहारिक नहीं है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मॉडर्ना और पीफाइजर जैसी कंपनियों को टीकों के शीतलन के लिए कड़े मानकों की आवश्यकता होगी जिससे भारत में लाखों लोगों को इनके वितरण में दिक्कत आ सकती है। 

बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर राघवन वरदराजन ने कहा कि दवाओं के विपरीत, आम तौर पर सभी टीकों का परिवहन सामान्यत: दो से आठ डिग्री सेल्सियस के बीच कम तापमान पर करने की आवश्यकता होती है। उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा कि आवश्यकता टीका उत्पाद को ठंडा या प्रशीतित रखने की है। खासकर, बड़ी संख्या में टीकों के लिए ऐसा करना एक मुश्किल काम है। 

भारत में यह समस्या इसकी 1.3 अरब आबादी की वजह से है जो दुनिया में चीन के बाद सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है। वरदराजन ने कहा कि अनेक टीके अधिक तापमान की वजह से बेकार हो जाते हैं और उन्हें दोबारा ठंडा करने का कोई अनुकूल परिणाम नहीं निकलता।

भारतीय विज्ञान संस्थान में वरदराजन की टीम 'गर्म टीका' बनाने पर काम कर रही है जिसे एक महीने से अधिक समय तक 37 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जा सकता है और इसके भंडारण के लिए किसी शीतलन केंद्र की आवश्यकता नहीं है।

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