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COVID-19 in kids: बच्चों को कोरोना से गंभीर बीमारी और और मृत्यु का कितना जोखिम, बच्चों को कोरोना से कैसे बचाएं ?

By उस्मान | Updated: July 23, 2021 12:25 IST

कोरोना वायरस बच्चों को भी नहीं छोड़ रहा, बताया जा रहा है कि तीसरी लहर में बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे

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ठळक मुद्देकोरोना वायरस बच्चों को भी नहीं छोड़ रहाबताया जा रहा है कि तीसरी लहर में बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे जानिये बच्चों में कोरोना की पहचान के क्या तरीके हैं

कोरोना वायरस बच्चों को भी नहीं छोड़ रहा है हालांकि बड़ों की तुलना में बच्चों को कोरोना का जोखिम कम है लेकिन बताया जा रहा है कि तीसरी लहर में बच्चे अधिक प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि वैज्ञानिकों ने कहा है कि बच्चों और किशोरों में कोविड-19 से गंभीर बीमार होने और मृत्यु होने का खतरा बहुत कम होता है।

ब्रिटेन में सार्वजनिक स्वास्थ्य आंकड़ों के व्यापक विश्लेषण में यह बात सामने आई। हालांकि, अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि कोरोना वायरस संक्रमण होने से उन युवाओं के गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका हो सकती है, जो पहले से गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं। 

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल), यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल, यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क और यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल के अनुसंधानकर्ताओं की रिपोर्ट में 18 साल से कम उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण की नीति भी सुझाई गयी है। इनमें कुल तीन अध्ययनों का विश्लेषण किया गया। एक अध्ययन में पता चला कि इंग्लैंड में 18 साल से कम उम्र के 251 लोगों को फरवरी 2021 तक कोविड-19 के उपचार के लिए गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती कराया गया था। 

अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, इससे पता चला कि ब्रिटेन में 47,903 लोगों में से एक किशोर के सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित होने की और आईसीयू में भर्ती कराने की आशंका थी। एक अन्य अध्ययन में बताया गया कि इंग्लैंड में कोविड-19 से 25 बच्चों और किशोरों की मृत्यु हो गयी। यानी 4,81,000 लोगों में से किसी एक को या दस लाख में दो लोगों को संक्रमण से मौत का खतरा था। 

दोनों अध्ययनों के प्रमुख अध्ययनकर्ता प्रोफेसर रसेल वाइनर ने कहा, 'ये नये अध्ययन दिखाते हैं कि सार्स-सीओवी-2 से गंभीर रोग या मृत्यु का खतरा बच्चों और किशोरों में बहुत कम है।' तीसरे अध्ययन में 55 शोधपत्रों का विश्लेषण करने के बाद उक्त दोनों अध्ययनों के समान ही निष्कर्ष निकाले गये। 

कैसे पता चलेगा कि बच्चे को कोरोना वायरस है

कोरोना वायरस अब बिना लक्षणों के भी तेजी से फैल रहा है। यही वजह है कि दुनियाभर में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अधिकतर लोग कोरोना के लक्षणों को आम सर्दी या फ्लू के लक्षण समझ लेते हैं और आधे लोगों को लक्षण महससू ही नहीं होते हैं। नतीजन ऐसे लोग कोरोना संक्रमण को तेजी से बढ़ाने का काम करते हैं। 

सबसे ज्यादा परेशानी पेरेंट्स को झेलनी पड़ रही है। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि छोटे बच्चों में कोरोना की कैसे पहचान की जाए। जाहिर है बच्चे अक्सर आम सर्दी या फ्लू के लक्षणों से पीड़ित रहते हैं। यह कैसे मालूम किया जाए कि उनके लक्षण सर्दी-फ्लू के हैं या कोरोना वायरस के। 

एनएचएस डॉट यूके के अनुसार, कोरोना वायरस के तीन सबसे बड़े लक्षण होते हैं और अगर किसी को यह भी लक्षण पाए जाते हैं, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। कोरोना के अधिकतर लोगों में इनमें से एक लक्षण जरूर पाया जाता है।

पहला लक्षण है तेज बुखार होना। इसका मतलब है कि आप अपनी छाती या पीठ पर छूने पर गर्म महसूस करेंगे (आपको अपने तापमान को मापने की आवश्यकता नहीं है)। 

दूसरा लक्षण है एक नई और लगातार खांसी होना। इसका मतलब है कि एक घंटे से अधिक समय तक खांसी रहना, या 24 घंटे में 3 या अधिक बार खांसी के झटके आना (यदि आपको आमतौर पर खांसी रहती है, तो इस मामले में यह सामान्य से अधिक खराब हो सकता है)। 

तीसरा लक्षण है गंध या स्वाद की कमी। इसका मतलब है कि आपने देखा है कि आप कुछ भी सूंघ या स्वाद नहीं ले सकते हैं। या आपको सामान्य से अलग गंध या स्वाद आ रहा है।

लक्षण जानने के बाद क्या करें

अगर आपको ऊपर बताये गए तीन लक्षणों में से एक भी महसूस होता है, तो आपको तुरंत कोरोना वायरस का टेस्ट कराना चाहिए। जब तक आपका रिजल्ट नहीं आ जाता, तब तक आपको सबसे अलग रहना चाहिए। माना जाता है कि अधिकतर मामलों में कोरोना के लक्षण खुद ठीक हो जाते हैं, लेकिन लक्षणों के बिगड़ने पर आपको तुरंत अस्पताल जाना चाहिए।

इस बात का रखें ध्यान

जाहिर है अगर आपके बच्चे में इनमें से कोई लक्षण है तो उसे अलग नहीं रखा जा सकते है। ऐसे मामले में आपको परिवार में से किसी व्यक्ति को उसके साथ रहना चाहिए। इस दौरान आप दोनों को किसी तीसरे सदस्य से नहीं मिलना चाहिए। 

बच्चों के लक्षणों पर रखें नजर

- ध्यान रहे अगर बच्चा 3 महीने से कम उम्र का है और उसका तापमान 38 सेल्सियस या इससे अधिक नहीं होना चाहिए  - अगर बच्चा 3 से 6 महीने का है, तो उसका तापमान 39 सेल्सियस या इससे अधिक नहीं होना चाहिए - इस बात का ध्यान रखें कि बुखार के साथ उसे अन्य लक्षण हैं, जैसे कि दाने तो नहीं हैं - ध्यान रखें कि तापमान 5 दिनों या उससे अधिक समय तक तो नहीं रहता है - डिहाइड्रेशन का ध्यान रखें कि वो बार-बार पेशाब तो नहीं कर रहा 

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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