COVID effect: वैज्ञानिकों का दावा, ऐसे लोगों को है कोरोना से गंभीर बीमार होने और मौत का खतरा ज्यादा
By उस्मान | Updated: April 14, 2021 17:31 IST2021-04-14T17:30:07+5:302021-04-14T17:31:11+5:30
वैज्ञानिकों का मानना है कि जो लोग कम फिजिकल एक्टिविटी करते हैं उन्हें कोरोना का अधिक खतरा

कोरोना वायरस
कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार होने का शारीरिक रूप से निष्क्रिय जीवनशैली से संबंध देखा गया है। साथ ही चलते इसके चलते मौत का खतरा बढ़ने की बात भी सामने आई है। बड़े पैमाने पर किये गए एक अध्ययन में यह बात कही गई है।
कैलिफॉर्निया सैन डिएगो विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं समेत विभिन्न अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि अमेरिका में कोविड-19 से पीड़ित वे लोग जो दो साल से शारीरिक गतिविधियों से दूर थे, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराए जाने की अधिक संभावना थी।
उन्होंने कहा शारीरिक रूप से निष्क्रिय कोविड-19 रोगियों को उन रोगियों के मुकाबले देखभाल की अत्यधिक आवश्यकता थी, जो नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां करते रहे थे।
साथ ही ऐसे रोगियों की मौत की भी अधिक आशंका कम थी। 'ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन' में प्रकाशित इस अध्ययन में अधिक आयु के लोगों और अंग प्रतिरोपण करा चुके व्यक्तियों की शारीरिक निष्क्रियता को शामिल नहीं किया गया।
अध्ययनकर्ताओं ने कहा, ''अध्ययन में पता चला कि शारीरिक रूप से सक्रिय न होना गंभीर रूप से कोविड-19 की चपेट में आने का सबसे मजबूत कारक रहा।
उन्होंने कहा, ''धूम्रपान, मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कैंसर की तुलना में शारीरिक रूप से सक्रिय न होना सभी कारकों में सबसे मजबूत कारक रहा।
धूप में ज्यादा समय रहने, कोविड-19 से मौत का खतरा घटने के बीच है जुड़ाव
एक अन्य अध्ययन में कहा गया है कि ज्यादा देर तक सूरज की रोशनी में रहने खासकर अल्ट्रावायलेट किरण के संपर्क में आने का जुड़ाव कोविड-19 से कम मौतों के साथ है।
ब्रिटेन में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक अगर आगे शोध में मृत्यु दर में कमी से जुड़ाव का पता चलता है तो सूरज की रोशनी के संपर्क में ज्यादा देर रहने से सामान्य लोक स्वास्थ्य में मदद मिल सकती है।
‘ब्रिटिश जर्नल ऑफ डर्माटोलोजी’ में प्रकाशित अध्ययन में अमेरिकी महाद्वीप में जनवरी से अप्रैल 2020 के बीच हुई मौतों के साथ उस अवधि में 2474 काउंटी में अल्ट्रावायलेट स्तर की तुलना की गयी। टीम ने पाया कि अल्ट्रावायलेट किरण के उच्च स्तर वाले इलाके में रहने वाले लोगों के बीच कोविड-19 से कम मौतें हुई।
शोधकर्ताओं के मुताबिक इंग्लैंड और इटली में भी इसी तरह के अध्ययन किए गए। शोधकर्ताओं ने उम्र, समुदाय, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, जनसंख्या घनत्व, वायु प्रदूषण, तापमान और स्थानीय इलाके में संक्रमण के स्तर को ध्यान में रखते हुए वायरस से संक्रमित होने और मौत के खतरे का विश्लेषण किया।
शोधकर्ताओं का कहना है कि सूरज की रोशनी में ज्यादा समय तक रहने से त्वचा नाइट्रिक ऑक्साइड को बाहर निकाल देती है। इससे वायरस के आगे बढ़ने की क्षमता संभवत: घट जाती है।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)