कोरोना वायरस के लक्षण और इसके फैलने को लेकर कई अध्ययन हो चुके हैं और अभी तक नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं। हाल ही में एक अध्ययन में यह दावा किया गया था कि किसी व्यक्ति में कोरोना वायरस के लक्षण दोबारा विकसित हो सकते हैं। हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है, इसे लेकर अभी और अध्ययन किये जा रहे हैं। यही वजह है कि डॉक्टर और एक्सपर्ट्स ठीक हुए मरीज को विशेष सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं।
चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक होने के बाद भी रोगी को अपने घर में बिल्कुल अलग थलग अकेले जिंदगी गुजारनी होती है, क्योंकि अभी यह दावा नही किया जा सकता है कि ठीक हो गया व्यक्ति दोबारा इस वायरस के संक्रमण की चपेट में आयेगा या नहीं।
इतना ही नहीं, कोरोना वायरस संक्रमित रोगियों का इलाज करने वाले डाक्टर और नर्सो को भी अपने घर परिवार से अलग 14 दिन के एकांत वास में रहना में पड़ता है और वहीं सावधानियां बरतनी पड़ती है जो कि एक कोरोना वायरस से ठीक हुये मरीज को।
लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से अब तक चार मरीज ठीक होकर जा चुके है । इनमें 11 मार्च को भर्ती विदेश से आई पहली रोगी, महिला डाक्टर, उनका एक रिश्तेदार, केजीएमयू का एक रेजीडेंट डाक्टर और एक लंदन से आया युवक शामिल हैं । यह सभी अपने अपने घरों में पृथक वास में विशेष सावधानियों के बीच रहे हैं । इस समय केजीएमयू के आइसोलेशन वार्ड में सात रोगी भर्ती है जिनकी हालत स्थिर बताई जा रही है ।
केजीएमयू के इनफेक्शियस डिजीज हॉस्पिटल:संक्रामक रोग: के प्रभारी और कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की देखभाल करने वाले डॉ. डी हिमांशु ने बताया ''कोरोना संक्रमित मरीज की दो रिपोर्ट लगातार निगेटिव आने के बाद वे डिस्चार्ज किए जा रहे हैं। सावधानी यह भी बरती जा रही है कि जब एक रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है तो उसके 48 घंटे के अंतर पर दूसरी जांच कराई जाती है। यानी इस प्रक्रिया में यदि कहीं वायरस की कोई संभावना थोड़ी भी शेष बची हो तो वह भी समाप्त हो जाए।
मरीज व उसके परिवार वालों को इस बात के निर्देश दिए जा रहे हैं कि वह 14 दिन तक घर में घर में पृथक वास में रहकर निर्देशों का सख्ती से अनुपालन करें।'' वह बताते हैं कि मरीज को डिस्चार्ज करने से पहले उनके घर वालों की भी काउंसलिंग की जाती है । उनसे पूछा गया कि एक बार संक्रमण के बाद क्या दोबारा कोरोना वायरस संक्रमण की संभावना रहती है, इस पर डा हिमांशु बताते है कि इस विषय पर अभी शोध चल रहा है और कुछ भी कह पाना असंभव है.
डॉ. हिमांशु कहते हैं कि तीन मरीजों को डिस्चार्ज किया गया जिनमें केजीएमयू का एक रेजीडेंट डाक्टर, पहली महिला डाक्टर रोगी का एक रिश्तेदार तथा तीसरा लंदन से आया एक युवक । मरीजों को डिस्चार्ज करने से पहले नहाने के लिए कहा जाता है। इसके बाद उन्हें एक (विशेष रसायन) वाइप से क्लीन किया जाता है। विसंक्रमित किए गए कपड़े पहनाए जाते हैं। उनके द्वारा उतारे गए कपड़ों को इंसीनरेटर में भेज दिया जाता है। उनके सभी सामान को संक्रमण मुक्त किया जाता है। कमरे से बाहर निकलने से पहले उन्हें मास्क व शू कवर पहनाए जाते हैं।
घर जाने के बाद इन बातों का ख्याल रखें मरीज
डॉक्टर ने बताया कि उनकी कोशिश यही रहती है कि ठीक हुए मरीजों को एंबुलेंस से ही घर छोड़ा जाए। जो लोग अपनी गाड़ी में जाना चाहते हैं उनकी गाड़ी को हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन स्प्रे कर सैनिटाइज कराया जाता है।- घर पहुंचने के बाद अपनी गाड़ी को फिर से साफ कर सैनीटाइज करें- घर जाकर सबसे पहले नहाएं- कपड़ों को 0.5 फीसद ब्लीचिंग पाउडर डालकर 70 डिग्री सेल्सियस पर गर्म किए हुए पानी में धोएं- मोबाइल, लैपटॉप, घड़ी ,चश्मा आदि को भी सैनिटाइज करें - घर में उन्हें एक कमरे में 14 दिन तक पृथक वास में रहने की कड़ी हिदायत दी जाती है - घर पर रहने के दौरान भी उन्हें अकेले कमरे में रहना पड़ेगा- हमेशा खाना डिस्पोजल बर्तनों में खाना खाएं - हमेशा मास्क पहने रहना होगा- पहने हुये कपड़ों को अलग रखना होगा, साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना होगा
समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ