क्या तीसरी लहर का कारण बनेगा कोरोना का नया वैरिएंट 'Delta Plus'?, जानें इस घातक रूप की 10 बातें
By उस्मान | Updated: June 15, 2021 14:56 IST2021-06-15T14:56:26+5:302021-06-15T14:56:26+5:30
दूसरी लहर में तबाही मचाने वाले वैरिएंट का नया रूप मिला है, जानिए इसके बारे में सब-कुछ

कोरोना वायरस
भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर धीरे-धीरे कम हो रही है। इस बीच देश में कोरोना के घातक रूप 'डेल्टा' के नए रूप का पता चला है। वैज्ञानिकों ने इसे 'डेल्टा प्लस' 'एवाई.1' नाम दिया है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि कोरोना का यह घातक रूप तीसरी लहर का कारण बन सकता है।चलिए जानते हैं इससे जुड़ी सारी बातें।
- 'डेल्टा प्लस' प्रकार, वायरस के डेल्टा या 'बी1.617.2' प्रकार में उत्परिवर्तन होने से बना है जिसकी पहचान पहली बार भारत में हुई थी और यह महामारी की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था। इस जीनोम का सबसे पहला क्रम इस साल मार्च के अंत में यूरोप में पाया गया था।
- हालांकि, वायरस के नए प्रकार के कारण बीमारी कितनी घातक हो सकती है इसका अभी तक कोई संकेत नहीं मिला है, डेल्टा प्लस उस 'मोनोक्लोनल एंटीबाडी कॉकटेल' उपचार का रोधी है जिसे हाल ही में भारत में स्वीकृति मिली है।
- दिल्ली स्थित सीएसआईआर- जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान (आईजीआईबी) में वैज्ञानिक विनोद स्कारिया ने रविवार को ट्वीट किया, 'के417एन उत्परिवर्तन के कारण बी1.617.2 प्रकार बना है जिसे एवाई.1 के नाम से भी जाना जाता है।
- उन्होंने कहा कि यह उत्परिवर्तन सार्स सीओवी-2 के स्पाइक प्रोटीन में हुआ है जो वायरस को मानव कोशिकाओं के भीतर जाकर संक्रमित करने में सहायता करता है। स्कारिया ने ट्विटर पर लिखा, 'भारत में के417एन से उपजा प्रकार अभी बहुत ज्यादा नहीं है। यह सीक्वेंस ज्यादातर यूरोप, एशिया और अमेरिका से सामने आए हैं।
- पिछले शुक्रवार तक अपडेट किए गए कोरोनावायरस वेरिएंट पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में, स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि डेल्टा प्लस 7 जून तक भारत के छह जीनोम में मौजूद था।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता विशेषज्ञ विनीता बल ने कहा कि हालांकि, वायरस के नए प्रकार के कारण 'एंटीबाडी कॉकटेल' के प्रयोग को झटका लगा है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वायरस अधिक संक्रामक है या इससे बीमारी और ज्यादा घातक हो जाएगी।
- भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, पुणे में अतिथि शिक्षक बल ने कहा, 'यह नया प्रकार कितना संक्रामक है यह इसके तेजी से फैलने की क्षमता को परखने में अहम होगा या इसका उलट भी हो सकता है।
- श्वास रोग विशेषज्ञ और चिकित्सा अनुसंधानकर्ता अनुराग अग्रवाल ने बल के मत का समर्थन किया। सीएसआईआर-आईजीआईबी के निदेशक अग्रवाल ने कहा, 'अभी वायरस के इस प्रकार को लेकर भारत में चिंता की कोई बात नहीं है।
- उन्होंने कहा कि टीके की पूरी खुराक ले चुके लोगों के रक्त प्लाज्मा से वायरस के इस प्रकार का परीक्षण करना होगा जिससे पता चलेगा कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को चकमा दे पाता है या नहीं।
महाराष्ट्र सरकार ने विभिन्न जिलों से जीनोम अनुक्रमण के लिए पर्याप्त संख्या में नमूने भेजे हैं ताकि यह सत्यापित किया जा सके कि Sars-CoV-2 का कोई नया उत्परिवर्तन हुआ है या नहीं। मंगलवार तक रिपोर्ट आने की उम्मीद है।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)