1) ठंड और बुखारलक्षण: कमजोरी, थकान, सिरदर्द, बदन दर्द और स्वाद में कमी महसूस होना इसके लक्षण हैं। कारण: मौसम के बदलने से इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होने के कारण और किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ संपर्क से बचें। सावधानियां: अपने बच्चे को कुछ भी ठंडा खिलाने से बचें, इससे श्लेष्मा पैदा हो सकता जैसे दही या केला खासतौर पर रात में। बच्चों को विटामिन सी से भरपूर फल और सब्जियां खिलाएं जैसे कि संतरे, अनानास और नट्स दें जिससे उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा मिले। उपचार: तुलसी के पत्तों, काली मिर्च, कद्दूकस किए हुए अदरक और शहद कस इस्तेमाल करें। पेरासिटामोल, गर्म सरल भोजन और गंभीर मामलों में, डॉक्टर से परामर्श करें।
2) टॉन्सिल इन्फेक्शनलक्षण: गले में जलन, गले में दर्द, बढ़े हुए टॉन्सिल, खाने में या तरल पदार्थ निगलने में परेशानी।कारण: ठंडी हवा, ठंडी चीजों का सेवन, वायरस या बैक्टीरिया।सावधानियां: मौसम ठंडा होने पर अपने बच्चे को कुछ भी खिलाने से बचें। उनके कान और गर्दन को हवा से बचाएं। बच्चों को विटामिन सी वाले फल और सब्जियां दें। उन्हें नट्स भी दें जिससे उनकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा मिल सके। नमक के पानी का गरारे करें और गर्म पानी पियें। उपचार: नमक के पानी से गरारे करें। एक चिकित्सक से परामर्श लें।
3) जूं लक्षण: खुजली वाली खोपड़ी, जलन, सिरदर्द, सिर लाल होना, खोपड़ी पर कुछ चलने का एहसास होना। कारण: बालों की सफाई पर ध्यान नहीं देना, जूं से संक्रमित व्यक्ति के बहुत करीब होना, उसकी चीजों का उपयोग करना। सावधानियां: अपने बच्चों को जूँ से संक्रमित व्यक्ति से दूर रखें, या उनसे परहेज करें, उनके बिस्तर/बाल कंघी आदि का उपयोग करना न करें।उपचार: एंटी-जूँ शैंपू और कंघी का इस्तेमाल करें। बालों को साफ़ रखें, बिस्तर, तौलिए और कंघी को साफ रखें।
4) ब्रोन्किइक्टेसिसलक्षण: एक वायरस जो बच्चों को प्रभावित करता है, ज्यादातर दो साल से कम उम्र के बच्चों को। ब्रोन्किइक्टेसिस में सबसे छोटे फेफड़े के वायु मार्ग के भीतर सूजन और बलगम का निर्माण होता है। इसकी रोकथाम के लिए सबसे आसान तरीका यह है कि हमेशा हाथ धोयें। कारण: यह आमतौर पर एक वायरल संक्रमण के कारण होता है और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। यह वायरस व्यक्ति के नाक और गले के तरल पदार्थ के सीधे संपर्क से फैलता है। सावधानियां: भीड़ या प्रदूषित स्थान पर जाने से बचें और मुंह को ढंकने की कोशिश करें। सांस लेने में असुविधा का अनुभव होने पर भाप लें।इलाज: डॉक्टर से सलाह लें।
5) हाथ पैर और मुहं की बीमारीलक्षण: दर्दनाक, मुंह में छाले जैसा और हथेलियों, अंगुलियों और मुंह पर छाले, पैरों के तलवे, अक्सर बुखार के साथ होते हैं। कारण: यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। आमतौर पर जहां स्वच्छता पर ध्यान नहीं दिया जाता। सावधानियां: नमकीन या मसालेदार भोजन से बचें। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। इलाज: डॉक्टर से सलाह लें।
6) कान का इन्फेक्शनलक्षण: कान में दर्द, कान का बंद होना और कान में खुजली होना इसके आम लक्षण हैं। कारण: बहुत ज्यादा ठंड बढ़ने से कान का इन्फेक्शन हो सकता है। इसके अलावा कान में नमी के कारण भी इसका खतरा है। सावधानी: इस तरह के लक्षण महसूस होने पर तुरंत इलाज कराना चाहिए। कानों को हमेशा साफ़ और सूखा रखें और ठण्ड से बचें। इलाज: तुरंत डॉक्टर से बचें।
7) स्टोमच फ्लूलक्षण: पेट में दर्द, डायरिया, उल्टी और बुखार होना। कारण : गंदा पानी पीना, गंदे हाथों से खाना। यह वायरस कई दिनों तक आपको प्रभावित कर सकता है। सावधानी: साफ़-सफाई का ध्यान रखें, गंदे हाथों से खाने से बचें। इलाज: लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।
8) चिकन पॉक्सलक्षण: इस बीमारी में शरीर पर छोटे-छोटे लाल या भूरे दाने हो जाते हैं। कारण: इसका वायरस हवा में होता है और किसी संक्रमित व्यक्ति से भी फैल सकता है। सावधानी : संक्रमित व्यक्ति से दूर रहे, नीम के पानी से नहाएं। इलाज: खुजली करने से बचें, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।