चिकनपॉक्स (Chickenpox) को आम भाषा में चेचक कहा जाता है जोकि एक त्वचा से जुड़ी बीमारी है। यह वेरिसेला-जोस्टर वायरस के कारण होने वाला एक बहुत ही संक्रामक संक्रमण है। यह मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है, लेकिन वयस्क भी इससे पीड़ित हो सकते हैं।
चेचक होने पर क्या होता है
चिकनपॉक्स होने पर शरीर में हर जगह लाल दाने हो जाते हैं जिनमें खुजली भी होती है। कई दिनों के दौरान यह दाने फफोले का रूप ले लेते हैं और रिसाव शुरू हो जाता है।
चेचक को माता क्यों कहते है?
भारत में चेचक की बीमारी को माता शीतला से जोड़कर देखा जाता है। इसलिए इस बीमारी को माता कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि शीतला माता हमारे शरीर को शीतलता प्रदान करती है।
चेचक के लक्षण
चेचक के लक्षण वायरस होने के 10 से 21 दिनों के भीतर दिखाई देते हैं। अधिकांश लोग लगभग 2 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। चिकनपॉक्स के लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं लेकिन गंभीर मामलों में, छाले आपकी नाक, मुंह, आंख और यहां तक कि जननांगों तक भी फैल सकते हैं।
रोगी को शरीर में दर्द, बुखार, अत्यधिक थकान (थकान) महसूस करना, चिड़चिड़ा महसूस करना, भूख में कमी और सरदर्द जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। स्थिति गंभीर होने पर आपको सिर चकराना, सांस लेने में कठिनाई, उल्टी, गर्दन में अकड़न और 102 से अधिक बुखार हो सकता है।
माता आने के कारण
चिकनपॉक्स वेरिसेला-जोस्टर वायरस के कारण होने वाला संक्रमण है। यह छोटे पानी से भरे फफोले के साथ खुजलीदार दाने का कारण बनता है। चिकनपॉक्स उन लोगों को हो सकता है, जिन्हें इसका टीका नहीं लगाया गया था। हालांकि एक टीका उपलब्ध है जो बच्चों को चिकनपॉक्स से बचाता है।
क्या चेचक में नहाना चाहिए
चेचक हो जाने पर नीम की पत्तियों से नहाना बहुत ही फायदेमंद रहेगा। आप चाहे तो नीम की पत्तियों को एक गहरे बर्तन में ढककर उबाल सकते हैं। जब ये पानी ठंडा हो जाए तो इसे छान लें। पत्तियों को अलग रख दें और पानी को नहाने वाली बाल्टी में नॉर्मल पानी के साथ मिला दें।
चेचक का टीका किसने बनाया
1976 में अंग्रेज चिकित्सक एडवर्ड जेनर ने चेचक के टीके का आविष्कार किया। वह एक प्रसिद्ध चिकित्सक थे। विश्व में इनका नाम इसलिए भी प्रसिद्ध है कि इन्होंने 'चेचक' के टीके का आविष्कार किया था। एडवर्ड जेनर के इस आविष्कार से आज करोड़ों लोग चेचक जैसी घातक बीमारी से ठीक हो रहे हैं और अपने जीवन का आनंद ले रहे हैं।
चिकन पॉक्स कितने दिन में ठीक होता है?
चेचक के फफोले तीन-चार दिनों तक रहते हैं, फिर सूखकर स्कैब बनाते हैं। सामान्य तौर पर दो-चार सप्ताह में ठीक होता है। जिन व्यक्तियों को चिकन पॉक्स का टीका लगा है, उन्हें फिर से चिकन पॉक्स (जिसे 'ब्रेकथ्रू बीमारी' कहा जाता है) हो सकता है।
चिकन पॉक्स होने पर क्या खाना चाहिए?
चिकन पॉ़क्स के मरीजों को खाने में पानी से भरपूर खाने को शामिल करना चाहिए जैस गाजर का ताजा जूस, तरबूज, किवी, नाशपती आदि फल। योगर्ट या दही, आइसटी और ठंडा पानी जैसी चीजें लेने से आराम मिलेगा। चिकनपॉक्स के शुरू के तीन दिन दही और चावल ही खिलाना चाहिए।1
चिकन पॉक्स में क्या नहीं करना चाहिए?
याद रखें कि हवा और खांसी के माध्यम से संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर तक पहुंच जाता है। बच्चों को विशेष रूप से चिकन पॉक्स के रोगी से दूर रखें। चिकन पॉक्स के रोगी घर से कम से कम निकलें। इससे एक परिवार का संक्रमण दूसरे परिवार तक पहुंचने से रुकेगा।
चेचक का घरेलू उपचार
नींबूनींबू में विटामिन सी के साथ इसका नेचर अम्लीय होता है जो स्किन से आसानी से दाग निकाल देता है। इसके लिए नींबू का रस कॉटन में लेकर प्रभावित जगह पर लगाएं और थोड़ा देर बाद साफ पानी से धो लें।
शहदशहद में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है। जिसके द्वारा भी चेचक के दागों को हटाया जा सकता है। इसके लिए शहद दाग में लगाएं और कुछ देर बाद साफ पानी से धो लें। सप्ताह में कम से कम 3-4 बार ऐसा करें।
नीम के पत्ते
चेचक को ठीक करने में घरेलू उपचार यानि आयुर्वेदिक उपाय भी कारगर साबित होते हैं। इसके लिए ताजी नीम की पत्तियों को पीसकर दानों पर लगाने खुजली और दर्द से राहत मिलती है।
चेचक के दाग की दवा
चेचक के दाग धीरे-धीरे खुद ठीक हो जाते हैं। अगर आप इनसे जल्दी राहत पाना चाहते हैं, तो आपको किसी बेहतर डॉक्टर से इसकी दवा की राय लेनी चाहिए। हालांकि एक्सपर्ट्स मानते हैं कि कुछ घरेलू उपायों के जरिये भी दाग-धब्बों से छुटकारा पाया जा सकता है।