भारत में सीजेरियन डिलीवरी के मामले दोगुने हुए, ये हैं सी-सेक्शन डिलीवरी के बड़े कारण

By उस्मान | Updated: October 16, 2018 17:38 IST2018-10-16T17:38:33+5:302018-10-16T17:38:33+5:30

एक नए अध्ययन से पता चला है कि भारत में ऑपरेशन के जरिए बच्चों को दुनिया में लाने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। वर्ष 2005-6 से बीच यह आंकड़ा नौ प्रतिशत था जो 2015-16 में बढ़ कर 18.5 प्रतिशत पर पहुंच गया।

C-section rates have nearly doubled, causes of cesarean delivery | भारत में सीजेरियन डिलीवरी के मामले दोगुने हुए, ये हैं सी-सेक्शन डिलीवरी के बड़े कारण

भारत में सीजेरियन डिलीवरी के मामले दोगुने हुए, ये हैं सी-सेक्शन डिलीवरी के बड़े कारण

एक नए अध्ययन से पता चला है कि भारत में ऑपरेशन के जरिए बच्चों को दुनिया में लाने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। वर्ष 2005-6 से बीच यह आंकड़ा नौ प्रतिशत था जो 2015-16 में बढ़ कर 18.5 प्रतिशत पर पहुंच गया। लैंसेट जर्नल में प्रकाशित तीन शोधपत्रों से यह खुलासा हुआ है। साथ ही यह भी पता चला है कि विश्वभर में वर्ष 2000 से 2015 के बीच सर्जरी के जरिए बच्चों के जन्म के मामले लगभग दोगुने हो गए हैं।

 शोधकर्ताओं में बेल्जियम के गेंट विश्वविद्यालय के शोधकर्ता भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां कम आय वाले देशों और क्षेत्रों में अनेक महिलाओं और बच्चों के लिए जीवन रक्षक सर्जरी उपलब्ध नहीं हैं वहीं मध्य और उच्च आय वाले देशों में इस प्रक्रिया का अत्याधिक इस्तेमाल हो रहा है। शोधकर्ताओं ने बताया कि भारत में 2005-6 में सी-सेक्शन के मामले नौ प्रतिशत थे जो 2015-16 में बढ़ कर 18.5 प्रतिशत पर पहुंच गए।

 गौरतलब है कि सी-सेक्शन महिला और नवजात के लिए एक जीवन रक्षक प्रक्रिया है जिसे रक्तस्राव, भ्रूण संकट, अतिसंवेदनशील बीमारी और शिशु की असामान्य स्थिति के दौरान अंजाम दिया जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि सर्जरी में मां और शिशु दोनों को खतरा रहता है। साथ ही दूसरे बच्चे के जन्म की प्रक्रिया में जटिलताएं पैदा होती है।

एक अनुमान के मुताबिक जन्म के 10 से 15 प्रतिशत मामलों में जटिलताओं को देखते हुए सर्जरी की जरूरत होती है। वहीं सी-सेक्शन के औसत मामले इन्ही स्तरों के बीच होने चाहिए। लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि 2015 में चार देशों में से एक से ज्याद देश में यह स्तर कम (28 प्रतिशत) रहा वहीं अधिकतर देशों ने अनुशंसित स्तर(63 प्रतिशत) से अधिक सी-सेक्शन का इस्तेमाल किया।

 श्रृंखला प्रमुख मरलीन टेमेरमेन कहती हैं, 'गर्भावस्था और प्रसव सामान्य प्रक्रिया है और अधिकतर मामलों में यह सुरक्षित हो जाता है। लेकिन बिना चिकित्सकीय जरूरत के सी-सेक्शन का अधिक इस्तेमाल चिंता का विषय है क्योंकि इससे महिलाओं और बच्चों को खतरा होता है। 

सीजेरियन डिलीवरी के बढ़ते मामलों की वजह

मोटापा

नॉर्मल डिलीवरी न होने की एक अन्य वजह गर्भवती महिला के मोटापे का शिकार होना भी है। गर्भावस्था के दौरान या उससे पहले युवती का अधिक मोटा होना बच्चों के जन्म के समय परेशानी का कारण बन जाता है। यही वजह है कि मोटापे पर नियंत्रण रखने की सलाह दी जाती है।

 

डायबिटीज

यदि मां को मधुमेह, थॉयराइड या फिर उच्च रक्तचाप हो तो भी नॉर्मल डिलीवरी में परेशानियां आती ही हैं। गर्भाधारण से लेकर डिलीवरी तक बीच-बीच में गर्भवती महिला को डॉक्टर की निगरानी में अल्ट्रासाउंड करवाते रहना चाहिए।  
 
अन्‍य कारण कुछ
- महिलाओं का फीजिकल वर्क पर ज्‍यादा ध्‍यान नहीं देना
- कामकाजी महिलाओं का लंबे समय तक बैठकर काम करना
-एक्‍सरसाइज कम होने क वजह से भी वजन बढ़ना 
- महिलाएं लेबर पेन सहन नहीं कर सकती है इसलिए वो सी-सेक्‍शन का सहारा लेती है। 
- कुछ लोगों को एक खास डेट पर ही बच्चा चाहिए होता है। इन कारणों से भी सीजेरियन डिलीवरी बढ़ रही है।

Web Title: C-section rates have nearly doubled, causes of cesarean delivery

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