National Science Day 2020: जानिए क्यों मनाया जाता है 'राष्ट्रीय विज्ञान दिवस', वैज्ञानिक सीवी रमन से क्या है कनेक्शन?
By ज्ञानेश चौहान | Updated: February 28, 2020 12:40 IST2020-02-28T12:40:19+5:302020-02-28T12:40:19+5:30
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर हर साल एक थीम होती है। इस साल की थीम है- महिलाएं और विज्ञान।

National Science Day 2020: जानिए क्यों मनाया जाता है 'राष्ट्रीय विज्ञान दिवस', वैज्ञानिक सीवी रमन से क्या है कनेक्शन?
भारत में आज (28 फरवरी को) 'राष्ट्रीय विज्ञान दिवस' मनाया जा रहा है। लेकिन आज ही के दिन यह क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे भारत की काफी बड़ी उपलब्धि छिपी हुई है। इस दिन का प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक सीवी रमन से गहरा कनेक्शन है।
वैज्ञानिक सीवी रमन से कनेक्शन
आज ही के दिन यानी 28 फरवरी को भारतीय वैज्ञानिक सीवी रमन ने 'रमन इफेक्ट' की घोषणा की थी। इस खोज के लिए उन्हें साल 1930 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सीवी रमन ने 'रमन इफेक्ट' की खोज उस वक्त की थी जब उनके पास उन्नत किस्म के इक्विपमेंट्स नहीं थे। इस रिसर्च में यूज किये गए कुछ इक्विपमेंट्स तो उन्होंने खुद ही डिजाइन किये थे।
क्यों मनाया जाता है 'राष्ट्रीय विज्ञान दिवस'
भारत में की गई इस बड़ी खोज को सेलिब्रेट करने के लिए भारत सरकार ने साल 1986 में यह तय किया कि अब हर साल 28 फरवरी को सीवी रमन की खोज रमन इफेक्ट को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर हर साल एक थीम होती है। इस साल की थीम है- महिलाएं और विज्ञान। इस दिन को सेलिब्रेट करने का खास उद्देश्य यह है कि इस दिन देश भर में विज्ञान और नई टेक्नोलॉजी को प्रोत्साहित किया जाता है। साथ ही देश के कई हिस्सों में सीवी रमन सहित देश के महान वैज्ञानिकों को याद किया जाता है और उनकी उपलब्धियों से लोगों को अवगत कराया जाता है। साथ ही विज्ञान के बड़े और छोटे आविष्कारों की जानकारी लोगों तक पहुंचाई जाती है।
जानिए क्या है 'रमन इफेक्ट'
जब प्रकाश की किरणें किसी जगह से गुजरती हैं तो उनमें से ज्यादातर की वेवलेंथ एक समान ही रहती है। लेकिन कहीं कहीं पर इसमें बदलाव नजर आता है। यह बदलाव उसके अंदर मौजूद अणुओं की सरंचना के बारे में बताता है। इन किरणों की वेवलेंथ में ये बदलाव उनकी ऊर्जा में परिवर्तन के कारण होता है।
ऊर्जा में बढ़ोतरी हो जाने से तरंग की लंबाई कम हो जाती है और ऊर्जा में कमी आने से तरंग की लंबाई बढ़ जाती है। इस परिवर्तन को स्कैनर की मदद से ग्राफ के रूप में रिकॉर्ड किया जाता है। इसके बाद इसके विश्लेषण के जरिये उस चीज के बारे में जानकारी हासिल की जाती है।