एक्सक्लूसिव: कोरोना वायरस के खतरे से बेपरवाह नागपुर यूनिवर्सिटी और शिक्षा मंडल, 4.5 लाख छात्र देने वाले हैं परीक्षा
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 12, 2020 03:16 PM2020-03-12T15:16:10+5:302020-03-12T18:09:48+5:30
महाराष्ट्र के नागपुर में कल ही कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया है. महाराष्ट्र में अब तक कोरोना वायरस के 11 मामले सामने आ चुके हैं.
आशीष दुबे
देशभर में कोरोना वायरस (Covid-19) के खतरे से निपटने के कई सारे इंतजाम किए जा रहे हैं. राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय व राज्य शिक्षा मंडल कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरी तरह से बेपरवाह हैं. यही वजह है कि किसी भी परीक्षा केंद्र को अब तक कोई एडवाइजरी जारी नहीं की गई. किसी तरह के कोई इंतजाम भी नहीं किए गए हैं, जिससे हजारों विद्यार्थियों का स्वास्थ्य खतरे में है. जबकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पिछले दिनों राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय को एक एडवाइजरी जारी की थी.
विश्वविद्यालय प्रशासन ने उस एडवाइजरी को वेबसाइट पर जस का तस अपलोड कर दिया. जबकि जरूरत थी कि ग्रीष्मकालीन परीक्षा को देखते हुए परीक्षा केंद्रों को अलग से एडवाइजरी जारी की जाए. साथ ही उन्हें केंद्रों में हैंड सैनेटाइजर व प्राथमिक उपचार सुविधा मुहैया कराने के निर्देश दें. इसके अलावा साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने के लिए कहें. लेकिन विश्वविद्यालय परीक्षा विभाग की ओर से ऐसी किसी तरह की कोई एडवाइजरी जारी नहीं की गई है.
विश्वविद्यालय के रुख को देखते हुए परीक्षा केंद्रों ने भी अपनी ओर से कोई पहल नहीं की है. इस संबंध में विवि परीक्षा व मूल्यमापन मंडल के निदेशक डॉ. प्रफुल्ल साबले से संपर्क करने पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. विश्वविद्यालय की परीक्षाएं 4 चरणों में होने वाली हैं. परीक्षा का पहला चरण 27 फरवरी से शुरू हो चुका है. तीन दिन बाद परीक्षा का दूसरा चरण शुरू होगा.
4.5 लाख परीक्षार्थी होंगे बोर्ड परीक्षा में शामिल
परीक्षा में 4.5 लाख से अधिक विद्यार्थी शामिल होने वाले हैं. परीक्षा के लिए हर चरण में 150 से अधिक परीक्षा केंद्र होते हैं. परीएक्षाएं दो सत्रों में होती है. एक केंद्र में एक सत्र में कम से कम 500 से 700 विद्यार्थी शामिल होते हैं, बावजूद इसके विश्वविद्यालय परीक्षा विभाग ने विद्यार्थियों के स्वास्थ्य की दृष्टि से कोई व्यवस्था नहीं की है.
विश्वविद्यालय की तरह ही राज्य शिक्षा मंडल भी कोरोना वायरस के संक्रमण से विद्यार्थियों को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा है. राज्य शिक्षा मंडल की कक्षा 12वीं की परीक्षा 18 फरवरी से और कक्षा 10वीं की परीक्षा 3 मार्च से शुरु हो चुकी हैं. दोनों ही परीक्षा के लिए संभाग में 1500 से अधिक परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं लेकिन अब तक बोर्ड की ओर से किसी तरह की कोई एडवाइजरी या फिर व्यवस्था केंद्रों पर नहीं की गई है.
बोर्ड परीक्षा लाखों रुपये होते हैं खर्च
विश्वविद्यालय की ग्रीष्मकालीन परीक्षा के दौरान एक-एक परीक्षा केंद्र को एडवांस के तौर पर लाखों रुपए दिए जाते है. बावजूद इसके केंद्रों पर विद्यार्थियों के स्वास्थ सुरक्षा की अनदेखी की जाती है. यही स्थिति अभी भी बनी हुई है. केंद्रों पर विद्यार्थियों के लिए पीने का साफ पानी मुहैया नहीं कराया जाता. स्वच्छता गृह में भी साफ सफाई का अभाव होता है. केंद्रों पर प्राथमिक चिकित्सा सुविधा मुहैया नहीं कराई जाती. ऐसे में सवाल उठता है कि परीक्षा आयोजन के लिए विश्वविद्यालय की ओर से दी जाने वाली राशि खर्च कहां होती है. विश्वविद्यालय परीक्षा विभाग ने आज तक किसी परीक्षा केंद्र से इस सवाल का जवाब नहीं मांगा. यहां तक कि कई ऐसे परीक्षा केंद्र है जिन्होंने पिछले 10 सालों से विवि को परीक्षा खर्च का हिसाब तक नहीं दिया.
सीबीएसई से लें सीख
देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए पिछले दिनों केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने देश व विदेश के सभी परीक्षा केंद्रों को एक अधिसूचना जारी कर कहा था कि यदि कक्षा 10वीं व 12वीं के परीक्षा के दरम्यान कोई परीक्षार्थी परीक्षा केंद्र में मॉस्क पहनने व हैंड सैनिटाइजर लेकर आता है तो उसे इसकी अनुमति दी है.