अध्यापकों से JNU ने की अपील, कहा-कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर धूमिल न करें यूनिवर्सिटी की छवि
By भाषा | Published: June 5, 2020 08:15 PM2020-06-05T20:15:20+5:302020-06-05T20:15:20+5:30
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने अपने अध्यापकों से एक अपील की है। जेएनयू ने अपील की कि कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर विश्वविद्यालय की छवि धूमिल न करें।
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने अपने अध्यापकों से कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर विश्वविद्यालय की छवि धूमिल नहीं करने की अपील की। दो दिन पहले ही कुछ शिक्षकों ने सीएए के खिलाफ तथा गिरफ्तार किए गए छात्रों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए परिसर में प्रदर्शन किया था। हालांकि, जेएनयू अध्यापक संघ (जेएनयूटीए) ने कहा कि अध्यापकों ने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया और सामाजिक दूरी के नियमों का पालन किया गया।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा और सीएए के खिलाफ पूर्व के प्रदर्शनों के मामले में जामिया मिल्लिया इस्लामिया और जेएनयू के छात्रों की गिरफ्तारी के खिलाफ उन्होंने विरोध कर रहे छात्र संगठनों का भी समर्थन किया। रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने शुक्रवार को कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन को पता चला है कि संकाय के कुछ सदस्यों ने तीन जून को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ कैंपस में प्रदर्शन किया।
उन्होंने कहा, ‘‘विरोध करने का अधिकार है लेकिन कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने से गलत उदाहरण कायम होता है, खासकर जब जेएनयू जैसे अग्रणी विश्विविद्यालय में बुद्धिजीवी वर्ग ऐसा करते हैं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे समय जब कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए देश कठिन मेहनत कर रहा है, प्रदर्शन करने वाले संकाय के सदस्यों से अनुरोध है कि कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल नहीं करें।’’
जेएनयूटीए के सचिव सुरजीत मजूमदार ने कहा कि केंद्रीय विश्विद्यालयों के अध्यापकों के संगठन के फेडरेशन (एफईडीसीयूटीए) ने प्रदर्शन के प्रति एकजुटता प्रकट की है। मजूमदार ने कहा कि संकाय के कुछ सदस्य प्रदर्शन करने के लिए कैंपस में इकट्ठा हुए थे लेकिन उन्होंने सामाजिक दूरी का पालन किया और किसी भी नियम को नहीं तोड़ा।
उन्होंने कहा कि कुछ अध्यापकों ने तख्तियां लेकर घरों से ही प्रदर्शन किया और कुछ शिक्षक ही एक जगह जमा हुए थे। मजूमदार ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘महामारी के बीच जब अनुचित गिरफ्तारियां हुई हैं तो यह कहना बेतुका है कि कोविड-19 के कारण लोगों को विरोध नहीं करना चाहिए। विश्वविद्यालय की छवि तब खराब होगी अगर विश्वविद्यालय की बिरादरी अपने सामने नाइंसाफी को देखकर चुप रह जाए। ’’