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छात्रवृत्ति में हुआ बड़ा घोटाला, 18 हजार करोड़ का लगा देश को चूना

By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: August 10, 2018 09:17 IST

देश में अब तक ना जाने कितने घोटाले हो चुके हैं, ऐसे में अनुसूचित जाति के छात्रों की पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप के नाम पर हुए एक घोटाले का खुलासा हुआ है।

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देश में अब तक ना जाने कितने घोटाले हो चुके हैं, ऐसे में अनुसूचित जाति के छात्रों की पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप के नाम पर हुए एक घोटाले का खुलासा हुआ है। एक कैग की ऑडिट के दौरान इसका खुलासा हुआ है। इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप की खबर के अनुसार पंजाब, यूपी, महाराष्ट्र, तमिनलनाडु और कर्नाटक में 5 सालों से 18 हजार करोड़ से ज्यादा की छात्रवृत्ति दी जा चुकी है। 

बिना किसी जांच और प्रमाणपत्र के ये छात्रवत्ति बांटी गई है। दौरान करने वाली बात ये है एक की रोल नंबर और जाति के हजारों छात्रों को धनराशि दी गई है। खबर के अनुसार 187581 छात्रों के खाते में तो निर्धारित से 4967.19 लाख रुपये ज्यादा भेज दिए गए। जांच के दौरान इस तरह की कई गड़बड़ियां पाई गई हैं। ओबीसी से लेकर जनरल आदि वर्गों की सभी छात्रवृत्ति वितरण की जांच हो तो यह देश के बड़े घोटालों में से एक होगा। 2018 में छात्रवृत्ति में हेरफेर का बड़ा रूप देखने को मिला है। 

वहीं,  कैग ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से वित्तीय अनियमितताओं की जांच कराकर दोषी अफसरों पर कार्रवाई की संस्तुति की है। ये छात्रवृत्ति दसवीं से ऊपर की कक्षाओं के छात्रों को मिलती है। कैग ने 2012 से लेकर 2017 तक की ऑडिट के दौरान सिर्फ उत्तर-प्रदेश में करीब 1.76 लाख मामलों का खुलासा हुआ है। वहीं, इस मामले में जाति प्रमाणपत्र की बात करें तो 233.55 करोड़ रुपये बांटने का खुलासा हुआ। इसी तरह से 34652 केस ऐसे मिले हैं। ऐसे आवेदनों पर 59.79 करोड़ रु जारी हुए।

 इसी तरह 13303 ऐसे मामले रहे, जिसमें एक ही बोर्ड रोल नंबर और एक ही जाति प्रमाण पत्र से 27.48 करोड़ का खेल हुआ। इसके पीछे कॉलेज और अफसरों की मिली भगत भी कही जा रही है। जांच के दौरान 2016-17 का डाटा जो पाया गया है कि वह और भी चौंकाने वाला रहा है। जब इन पांच राज्यों में 187581 छात्रों को 4967.19 लाख रुपे का अधिक भुगतान हुआ।

 बीए, बीएससी, बीकॉम जैसे कोर्स के लिए अधिकतम फीस 5000 रुपये निर्धारित थी, लेकिन मनमानी करते हुए इससे ज्यादा पैसे छात्रों पर लुटाए गए हैं। यूपी में 75 जिलों में से 10 जिलों में और 100 कॉलेजों में इस तरह की गड़बड़ी सामने आई है। जबकि कर्नाटक की बात की जाए तो 30 में से आठ, महाराष्ट्र के 36 में से नौ, पंजाब के 22 में से छह, तमिलनाडु के 32 में से आठ जिलों के कुल 12900 में से 410 संस्थानों को जांच में शामिल हैं। वहीं, छात्रवृत्ति में घोटाले का सबसे बड़ा रूप यूपी में ही सामने आया है। फिलहाल इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद से किसी भी राज्य सरकार या शिक्षा विभाग की तरफ से कोई भी सफाई पेश नहीं की गई है।

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