जोनल कमांडर नारायण कोडा-सब जोनल कमांडर बहादुर कोडा पर 3-3 लाख का इनाम और विनोद कोडा ने किया आत्मसमर्पण, हवेली खड़गपुर में डीजीपी विनय कुमार के समक्ष सरेंडर
By एस पी सिन्हा | Updated: December 28, 2025 17:07 IST2025-12-28T17:04:49+5:302025-12-28T17:07:33+5:30
हर एक को पुनर्वास के लिए 9.10 लाख रुपये मिलेंगे, साथ ही 36 महीनों तक हर महीने 10 हजार रुपये दिए जाएंगे। हथियार जमा करने के लिए अलग से कुछ रकम मिलेंगे।

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पटनाः बिहार में मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर में डीजीपी विनय कुमार के समक्ष तीन माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें जोनल कमांडर नारायण कोडा, सब जोनल कमांडर बहादुर कोडा और एक सक्रिय सदस्य विनोद कोडा शामिल हैं। ये लोग काफी समय से माओवादी गतिविधियों में शामिल थे और पुलिस को इनकी तलाश थी। नारायण कोडा और बहादुर कोडा पर 3-3 लाख का इनाम था। विनोद कोडा पर कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे। कार्यक्रम में एक मानवीय पहल भी देखने को मिली, जहां आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की पत्नियों को सम्मानित किया गया।
यह आत्मसमर्पण खड़गपुर स्थित आरएसके कॉलेज मैदान में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के दौरान हुआ। कार्यक्रम में बिहार पुलिस के कई वरीय अधिकारी, नक्सल ऑपरेशन से जुड़े अफसर और स्थानीय प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे। आत्मसमर्पण के दौरान नक्सलियों ने अपने पास मौजूद हथियार, कारतूस और अन्य नक्सली सामग्री भी पुलिस के हवाले कर दी।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, नारायण कौड़ा और बहादुर कौड़ा नक्सली संगठन में लंबे समय से सक्रिय थे और कई गंभीर नक्सली वारदातों में उनकी संलिप्तता बताई जाती है। इनके खिलाफ कई थानों में हत्या, लूट, विस्फोट और पुलिस पर हमले जैसे संगीन मामले दर्ज हैं। बिहार पुलिस लगातार इनके खिलाफ अभियान चला रही थी, जिससे दबाव में आकर इन नक्सलियों ने मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया।
कार्यक्रम में ये लोग अपने हथियारों के साथ आए और उन्होंने कहा कि अब वे मुख्य धारा में लौटना चाहते हैं। पुलिस महानिदेशक ने इनका स्वागत करते हुए बताया कि सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर ये लोग आत्मसमर्पण कर रहे हैं। सरकार इन माओवादियों को मुख्यधारा में लाने के लिए कई सुविधाएं देगी।
हर एक को पुनर्वास के लिए 9.10 लाख रुपये मिलेंगे, साथ ही 36 महीनों तक हर महीने 10 हजार रुपये दिए जाएंगे। हथियार जमा करने के लिए अलग से कुछ रकम मिलेंगे। इसके अलावा हर एक को पांच डिसमिल जमीन, जन वितरण प्रणाली की दुकान, रोजगार का मौका, बुढ़ापे की पेंशन, सुरक्षा के लिए हथियार का लाइसेंस, बच्चों की शादी के लिए मदद, गाय या बकरी पालन की सुविधा, चापाकल और शौचालय भी मिलेगा। विनय कुमार ने कहा कि ये सब इसलिए ताकि ये लोग अच्छी जिंदगी जी सकें और दोबारा गलत रास्ते पर न जाएं।
डीजीपी ने कहा कि परिवार का सहयोग नक्सलियों को हिंसा छोड़ने के लिए प्रेरित करता है और समाज में सकारात्मक संदेश देता है। विनय कुमार बताया कि पूरे देश में माओवाद को खत्म करने में हर राज्य ने अच्छा काम किया है। कई इलाकों से माओवादी पूरी तरह खत्म हो गए हैं। बिहार में तो बहुत तेजी से काम हुआ है और 23 नक्सली प्रभावित इलाकों में अब उनकी कोई मौजूदगी नहीं है।
चार जिलों में जहां पुरानी समस्या है वहां निगरानी रखी जा रही है। माओवादी इलाकों में विकास के काम तेज हो रहे हैं जैसे सड़कें बन रही हैं, एक्सप्रेस वे, नेशनल हाईवे, युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट सेंटर, स्कूल और कॉलेज खोले जा रहे हैं। इससे युवा जो गलत रास्ते पर चले गए थे वे वापस आ रहे हैं। विनय कुमार ने कहा कि माओवाद को जड़ से उखाड़ने में बिहार ने अच्छी प्रगति की है।
अब फोकस विकास पर है ताकि कोई भी युवा गलत रास्ते न चुने। सरकार की योजनाएं सरेंडर करने वालों को नई जिंदगी दे रही हैं। इस कार्यक्रम से साफ है कि माओवादियों को मुख्य धारा में लाने का प्रयास सफल हो रहा है। कार्यक्रम में एडीजी कुंदन कृष्णन, आईजी विनय कुमार, डीआईजी मुंगेर राकेश कुमार, एसपी ऑपरेशन संजय कुमार सिंह और एसपी सैयद इमरान मसूद मौजूद रहे।