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विकास दुबे हत्या के आरोप में जेल में रहते हुए जीता था पंचायत चुनाव, रियल इस्टेट और राजनीति में भी आजमाए थे हाथ

By भाषा | Updated: July 10, 2020 15:30 IST

विकास दुबे साल 2000 में हत्या के आरोप में जेल में बंद होने के बजाय उसने जिला पंचायत चुनाव में शिवराजपुर सीट से जीत हासिल की थी।

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ठळक मुद्देविकास दुबे पर जेल में घुसकर भाजपा नेता संतोष शुक्ला को मारने के आरोप थे, लेकिन वह सबूत के आभाव में आरोपमुक्त हो गया था।कांग्रेस ने दावा किया था कि यह दिखाता है कि उसे राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है।सूत्रों की मानें तो विकास दुबे जब जेल के अंदर था, तो वहां से ही हत्या और अन्य अपराधों की योजना बनाता था और उन्हें अंजाम देता था। 

कानपुरकुख्यात अपराधी एवं कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले का मुख्य आरोपी विकास दुबे शुक्रवार सुबह कानपुर के भौती इलाके में कथित पुलिस मुठभेड़ मे मारा गया। दुबे ने रियल इस्टेट में हाथ आजमाए, जिला स्तर का एक चुनाव भी जीता और राजनीतिक हस्तियों के साथ भी नजर आया।

अपने क्षेत्र में दबदबा बनाने वाला दुबे पिछले शुक्रवार को उस वक्त सुर्खियों में आया जब उसके खिलाफ कार्रवाई करने गए आठ पुलिसकर्मियों पर गोलियों की बौछार करते हुए उन्हें मौत के घाट उतारने की सनसनीखेज घटना हुई।

इस घटना के कुछ ही घंटों बाद विकास दुबे की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी, जिसमें वह एक कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री के साथ दिखाई दे रहा था।

कांग्रेस का दावा विकास दुबे को हमेशा से मिला है राजनीतिक संरक्षण -

कांग्रेस ने दावा किया था कि यह दिखाता है कि उसे राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। इसके अलावा, एक अन्य तस्वीर में दुबे जिला पंचायत के चुनाव में अपनी पत्नी रिचा दुबे के लिए वोट मांगते हुए दिखाई दे रहा था। रिचा यह चुनाव घिमाऊ से जीती थीं और बिकरू गांव इसी जिला पंचायत के अंतर्गत आता है।

इस पोस्टर में दो नेताओं की भी तस्वीरें हैं जो दिखाती है कि कुख्यात अपराधी की पत्नी को भी नेताओं का समर्थन था। ये दोनों अब विपक्ष में हैं। अधिकारियों के मुताबिक, वर्ष 2000 में दुबे ने जेल में रहते हुए खुद भी जिला पंचायत चुनाव में शिवराजपुर सीट से जीत हासिल की थी। उस दौरान वह हत्या के मामले में जेल में बंद था।

दुबे की गिरफ्तारी के बाद उसकी मां सरला देवी ने कहा था, ‘‘इस वक्त वह भाजपा में नहीं है, वह सपा में है।’’ इस पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि दुबे, ‘‘पार्टी का सदस्य नहीं है’’ और उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए और जैसा कि पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मांग की है, उसके कॉल डीटेल्स सार्वजनिक किए जाने चाहिए ताकि इस बात का खुलासा हो सके कि उसके किसके साथ संपर्क थे।

महाकाल दर्शन करने के बाद मंदिर से किया गया था गिरफ्तार- 

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘ दुबे अपनी कार से महाकाल मंदिर आया। एक पुलिसकर्मी उसे पहचान गया, इसके बाद तीन अन्य (सुरक्षाकर्मियों) को चौकन्ना किया गया, इसके बाद उसे पूछताछ के लिए एक तरफ ले जाया गया और बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया।’’

हालांकि मंदिर के सूत्रों का कुछ अलग कहना है। उन्होंने कहा कि दुबे सुबह मंदिर के गेट पर पहुंचा और पुलिस चौकी के पास एक काउंटर से 250 रुपये का टिकट खरीदा। जब वह प्रसाद खरीदने के लिए पास की एक दुकान पर गया तो दुकानदार ने उसे पहचान लिया और पुलिस को सतर्क कर दिया।

उन्होंने कहा कि जब पुलिसकर्मियों ने उससे उसका नाम पूछा, तो उसने जोर से कहा, ‘‘मैं कानपुर का विकास दुबे हूं’’ जिसके बाद मंदिर में तैनात पुलिस और निजी सुरक्षाकर्मियों ने उसे पकड़ लिया। मध्यप्रदेश पुलिस ने उसे उत्तर प्रदेश पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने दावा किया कि जब उसे राज्य में लाया जा रहा था तो शुक्रवार सुबह कानपुर के भौती इलाके में वाहन पलट गया।

पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बताया कि सड़क हादसे के बाद दुबे ने मौके से भागने का प्रयास किया, जिसके बाद हुई मुठभेड़ में वह मारा गया। वहीं, पुलिस वाहन पलटने से पुलिस निरीक्षक सहित चार पुलिसकर्मी घायल भी हो गए, जिनमें से एक की हालत गंभीर है।

कानपुर परिक्षेत्र के एडीजी जे. एन. सिंह ने कहा, ‘‘ मुठभेड़ में दुबे घायल हो गया था और अस्पताल में उसे मृत घोषित किया गया।’’

विकास दुबे 60 से अधिक मामलों में था आरोपी-

पुलिस का दावा है कि दुबे लगभग 60 मामलों में शामिल था। लेकिन अधिकारियों से प्राप्त विवरण से पता चलता है कि उसे हत्या जैसे मामलों में भी दोषी नहीं ठहराया गया था।

एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि वह 2001 में यहां शिवली पुलिस स्टेशन के अंदर भाजपा नेता संतोष शुक्ला की हत्या का मुख्य आरोपी था, लेकिन उसकी इतनी दहशत थी कि एक भी पुलिस अधिकारी ने उसके खिलाफ बयान नहीं दिया था।

उन्होंने कहा,‘‘ अदालत में कोई सुबूत पेश नहीं किए गए और साक्ष्यों के अभाव में वह आरोपमुक्त हो गया था।’’ उन्होंने दावा किया कि दुबे जेल के अंदर ही हत्या और अन्य अपराधों की योजना बनाता था और उन्हें अंजाम देता था। 

टॅग्स :विकास दुबेकानपुरहत्याकांडउत्तर प्रदेश
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