बिहार के बाहुबली नेता सूरजभान सिंह का आपराधिक इतिहास, जिसकी वजह से पिता और भाई ने की खुदकुशी!

By पल्लवी कुमारी | Published: April 1, 2019 09:07 PM2019-04-01T21:07:02+5:302019-04-01T21:07:02+5:30

बिहार के एक आम परिवार से संबंध रखने वाला सूरजभान सिंह आज अपराध और बिहार की राजनीति में जाना-मान नाम है। 5 मार्च 1965 को बिहार के मोकाम जिले में जन्में सूरजभान सिंह पर तकरीबन 30 संगीन मामले दर्ज थे।

surajbhan singh mokama biography criminal History & Full Story | बिहार के बाहुबली नेता सूरजभान सिंह का आपराधिक इतिहास, जिसकी वजह से पिता और भाई ने की खुदकुशी!

बिहार के बाहुबली नेता सूरजभान सिंह का आपराधिक इतिहास, जिसकी वजह से पिता और भाई ने की खुदकुशी!

Highlightsसूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी बिहार मुंगेर की सांसद रह चुकी हैं और बिहार की राजनीति में सक्रिय भी हैं।पूर्व सांसद सूरजभान अस्सी के दशक में मोकामा में छिटपुट अपराध करता था। नब्बे की दशक में अपहरण, रंगदारी और हत्या जैसे कई संगीन अपराधों में शामिल था। 

अपराधियों के नेता बनने पर अब शायद ही, किसी को अफसोस होता हो... बिहार के बाहुबली डॉन सूरजभान सिंह इसका जीता जागता उदारहण हैं। बिहार से लोक जनशक्ति पार्टी के पूर्व सांसद रहे सूरजभान सिंह अपने समय के दबंग हुआ करते थे। कहा जाता है कि इनके गुर्गे इशारा मिलते ही बड़े से बड़े अपराध को चुटकियों में अंजाम देने को तैयार रहते थे। सूरजभान ने मोकामा से निर्दलीय चुनाव जीतकर विधानसभा में दस्तक दी थी। इसके बाद बलिया से निर्दलीय सांसद चुने गए थे। 

5 मार्च 1965 को बिहार के मोकाम जिले में जन्में सूरजभान सिंह पर तकरीबन 30 संगीन मामले दर्ज थे। लेकिन रसूख इतना कि रामविलास पासवान जसा नेता उन्हें समाजसेवी तक बुला चुके हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के दावों की मानें तो पूर्व सांसद सूरजभान अस्सी के दशक में मोकामा में छिटपुट अपराध करता था। नब्बे की दशक में अपहरण, रंगदारी और हत्या जैसे कई संगीन अपराधों में शामिल था। 

पिता और भाई ने की आत्महत्या

बिहार के एक आम परिवार से संबंध रखने वाला सूरजभान सिंह आज अपराध और बिहार की राजनीति में जाना-मान नाम है। लेकिन कहा जाता है कि सूर्या के चाल-चलन से उनके पिता रामनंदन सिंह और उनके भाई काफी दु:खी रहते थे। सूरजभान मूल रूप से मोकामा के शंकरबार टोला के निवासी हैं। मोकामा में इनके पिता एक व्यवसायी की दुकान पर काम किया करते थे। लेकिन जब सूर्या ने आपराधिक रास्ता अपनाकर मोकामा में रंगदारी और वसूली शुरू की तो उसने उन लोगों से भी वसूली और मार-पीट की जिनसे उनके परिवार की रोजी-रोटी चलती थी। पिता ने सूरजभान को काफी समझाने की कोशिश की लेकिन वो एक ना मानें।  मोकामा वासियों की मानें तो इन्ही घटनाओं से परेशान होकर सूरजभान के पिता ने गंगा में कूदकर आत्महत्या कर ली। इस घटना के कुछ दिन बाद सीआरपीएफ में कार्यरत उनके इकलौते भाई ने भी आत्महत्या कर ली। 
अशोक सम्राट ने सूरजभान पर मोकामा में हमला भी करवाया था

सूरजभान सिंह मोकामा में उस वक्त छाया जब उसका सामना उत्तर बिहार के डॉन माने जाने वाले अशोक सम्राट से टकराव हुआ। अशोक सम्राट ने सूरजभान पर मोकामा में हमला भी करवाया था। इस हमले में सूरजभान के पैर में गोली लगने के बाद भी वह बच गया था लेकिन उसका चचेरा भाई मारा गया था। कहा जाता है कि अशोक सम्राट जब तक जिन्दा रहा सूरजभान मोकामा से बाहर नहीं निकल पाया था। हाजीपुर में पुलिस मठभेड़ में अशोक सम्राट के मारे जाने के बाद सूरजभान ने अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार किया। इसी बीच सूरजभान के चचेरे भाई मोती सिंह की  गैंगस्टर नागा सिंह ने हत्या कर दी थी। जिसके बाद सूरजभान का मोकामा विधायक दिलीप सिंह से दुश्मनी बढ़ी और उस दौर में अपराधियों के हो रहे राजनीतिकरण में सूरजभान का भी नाम जुड़ गया।

तीन हत्याओं का लगा था सूरजभान पर आरोप 

पहला आरोप - रामी सिंह हत्याकांड

सूरजभान सिंह का नाम रामी सिंह हत्याकांड में भी सामने आया था। बिहार के बेगूसराय के मधुरापुर गांव में रहने वाले रामी सिंह की हत्या जनवरी 1992 में हुई थी। सुबह साढ़े पांच बजे चार लोगों ने गोली चलाकर रामी सिंह की हत्या की थी। इस केस में सूरजभान सिंह का भी नाम आया और निचली कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

 इसके बाद रामी सिंह हत्याकांड के मुख्यगवाह नागो सिंह और सरकारी वकील राम नरेश शर्मा की भी कुछ सालों के बाद हत्या हुई थी। जिसके एफआईआर में भी सूरजभान सिंह का नाम था।

दूसरा आरोप -  पूर्व मंत्री बृज बिहारी हत्याकांड 
 
बृज बिहारी प्रसाद बिहार की राबड़ी देवी सरकार में विज्ञान और प्रोद्यौगिकी विभाग के मंत्री पद पर थे ,जब उनकी हत्या हुई। 3 जून 1998 को इलाज के लिए बृज बिहारी प्रसाद पटना के इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती थे। रात आठ बजे के वक्त वह वहां के पार्क में ठहल रहे थे, जब 6 से 7 हमलावरों ने उन्हें गोलियों से भून डाला था। गोली चलाने वालों में उस वक्त गोरखपुर का डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला भी शामिल था।  पुलिस ने इस मामले में सूरज भान सिंह को भी अभियुक्त बनाया था। 1998 के जून महीने में हुए इस हत्याकांड को लेकर उस समय भारी बवाल मचा था और बाद में इस मामले की जांच cbi को सौंपी गई थी। 

निचली अदालत ने अगस्त, 2009 में सूरजभान सिंह सहित सारे आरोपियों को आजीवन कारावास और अर्थदंड की सजा दी थी। हालांकि बाद में हाईकोर्ट ने सूरजभान को बरी कर दिया था।

तीसरा आरोप -  उमेश यादव हत्याकांड 

मोकामा के पूर्व जिला पार्षद रहे कुख्यात अपराधी उमेश यादव की 2003 में दिनदहाड़े मोकामा गौशाला रोड पर गोलियों से छलनी कर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में  उमेश यादव के परिजनों ने मोकामा विधायक सूरजभान सिंह को आरोपी बनाया था। हालांकि केस की सुनवाई पूरी होने के बाद सूरजभान सिंह बरी कर दिया गया था। 

ये तो ऐसे अपराधों की लिस्ट थी, जो कानून की नजर में आई थी। लेकिन कितनों का तो कोई हिसाब ही नहीं है। कहते हैं एक वक्त था जब लोग सूरजभान सिंह के नाम से ही   डरते थे। लेकिन आज हालात ऐसे नहीं हैं। फिलहाल सूरजभान सिंह पर चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई है। लेकिन इनकी पत्नी वीणा देवी बिहार मुंगेर की सांसद रह चुकी हैं और बिहार की राजनीति में सक्रिय भी हैं। 

Web Title: surajbhan singh mokama biography criminal History & Full Story

क्राइम अलर्ट से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे