महिला ने तीन माह में दिया दो बार बच्चे को जन्म!, स्वास्थ्य विभाग का खेल देखकर सभी हैरान, जानिए मामला
By एस पी सिन्हा | Updated: December 29, 2021 15:08 IST2021-12-29T15:07:40+5:302021-12-29T15:08:55+5:30
महिला उजियारपुर अस्पताल में ही भर्ती हुई और प्रसव कराया. तीन माह 12 दिन में दो बच्चों का जन्म देने वाली महिला हरपुर रेबाड़ी गांव की है.

फर्जीवाड़ा के पीछे जननी बाल सुरक्षा योजना का लाभ बताया जाता है.
पटनाः बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर होने का दावा भले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा किया जा रहा हो, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का खेल देखकर सभी हैरान हो जा रहे हैं.
इसी कड़ी में समस्तीपुर जिले के उजियारपुर पीएचसी में एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है. जहां स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों ने चमत्कार करते हुए एक महिला को तीन माह 12 दिन में दो बार बच्चे को जन्म करवा दी. दोनों बार महिला ने लड़के को जन्म दिया है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह मामला सामने आने पर अधिकारी से आम लोग हैरत में पड़ गए हैं कि आखिर प्रकृति के नियमों के विरुद्ध ऐसा कैसे हो गया? दोनों बार उक्त महिला उजियारपुर अस्पताल में ही भर्ती हुई और प्रसव कराया. तीन माह 12 दिन में दो बच्चों का जन्म देने वाली महिला हरपुर रेबाड़ी गांव की है. इस फर्जीवाड़ा के पीछे जननी बाल सुरक्षा योजना का लाभ बताया जाता है.
इस मामले को न तो डॉक्टर ने और न ही किसी अन्य अधिकारी इस फर्जीवाडे़ को पकड़ सके. 28 वर्षीय महिला को उसी गांव की आशा रीता देवी की मदद से वह पहली बार 24 जुलाई को उजियारपुर पीएचसी में भर्ती हुई. उसी दिन महिला ने एक लड़के को जन्म भी दिया. इसके बाद उक्त महिला फिर तीन नवंबर को उजियारपुर पीएचसी में प्रसव के लिए भर्ती हुई तथा चार नवंबर को एक लड़के को जन्म दिया.
इसके बाद महिला को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी. इस माले का खुलासा तब हुआ जब संस्थागत प्रसव के बाद जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत लाभुकों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि के भुगतान के लिए विवरण तैयार किया जा रहा था. बताया जा रहा है कि अस्पताल प्रशासन ने 31 जुलाई को जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि का भी भुगतान करा दिया गया.
अब फिर से चार नवंबर को हुए प्रसव कराने को लेकर मामला फंस गया. अस्पताल के लेखापाल रितेश कुमार चौधरी ने तत्काल इसकी सूचना पीएचसी प्रभारी, अस्पताल प्रबंधक, डीएएम एवं डीपीएम को दी. साथ ही उसका भुगतान रोक दिया गया.
मामले का खुलासा होने के बाद सीएस डॉ. सत्येंद्र कुमार गुप्ता ने अपर उपाधीक्षक सह सहायक अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी गैर संचारी रोग के नेतृत्व में एक जांच टीम गठित कर दी है. जांच टीम की रिपोर्ट पर दोषी कर्मी के विरुद्ध कार्रवाई की गई है. भुगतान के लिए फर्जीवाडा प्रतीत हो रहा है.