महाराष्ट्र: फड़नवीस सरकार भीमा कोरेगांव और मराठा आरक्षण आंदोलन से जुड़े केस ले सकती है वापस, विचार के लिए किया समिति का गठन
By भाषा | Updated: October 27, 2018 15:13 IST2018-10-27T15:13:59+5:302018-10-27T15:13:59+5:30
भीमा कोरेगांव और मराठा प्रदर्शनों से जुड़े मामले पर निर्णय लेने के लिए तीन सदस्यीय समिति की अध्यक्षता अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) करेंगे और दो पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) इसके सदस्य होंगे।

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मुंबई, 27 अक्टूबर: महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जो यह जांच करेगी कि क्या भीमा कोरेगांव हिंसा और मराठा आरक्षण आंदोलन के बाद हुए प्रदर्शनों के दौरान दायर मामलों में से किसी मामले को वापस लिया जा सकता है। समिति को अपनी रिपोर्ट दायर करने के लिए कोई समय सीमा नहीं दी गई है।
पुणे जिले में भीमा कोरेगांव स्थित एक युद्ध स्मारक पर दलितों के जाने और वहां उन पर हमले के बाद इस साल जनवरी में महाराष्ट्र के कई स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन हुए थे।
इसी तरह, नौकरी और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर मराठा समुदाय का आंदोलन इस साल जुलाई और अगस्त में हिंसक हो गया था।
मराठा समुदायों और अन्य संगठनों ने इन दो अवधियों के दौरान कार्यकर्ताओं के खिलाफ दायर मामले वापस लेने की मांग की थी।
तीन सदस्यीय समिति की अध्यक्षता अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) करेंगे और दो पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) इसके सदस्य होंगे।
समिति ऐसे मामले वापस लेने पर विचार कर सकती है जिसमें निजी या सरकारी संपत्तियों का नुकसान 10 लाख रूपये से अधिक नहीं है ,जहां किसी की जान नहीं गई है और जहां पुलिस पर सीधा हमला नहीं किया गया हो।
समिति ऐसे मामले भी वापस लेने पर विचार कर सकती है जिसमें आरोपी नुकसान की कीमत चुकाने के लिए तैयार हैं।