निर्भया गैंगरेप केस: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, दोषी पवन की आखिरी याचिका भी खारिज, एक फरवरी को ही होगी फांसी
By पल्लवी कुमारी | Updated: January 20, 2020 15:13 IST2020-01-20T15:13:14+5:302020-01-20T15:13:14+5:30
Nirbhaya Gangrape: दिल्ली में सात साल पहले 16 दिसंबर 2021 की रात को एक नाबालिग समेत छह लोगों ने चलती बस में 23 वर्षीय छात्रा से सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बस से बाहर सड़क के किनारे फेंक दिया था। सिंगापुर में 29 दिसंबर 2012 को एक अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गयी थी।

निर्भया गैंगरेप केस: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, दोषी पवन की आखिरी याचिका भी खारिज, एक फरवरी को ही होगी फांसी
निर्भया गैंगरेप-हत्याकांड मामले में चारों दोषियों में से एक पवन कुमार गुप्ता की एसएलपी (स्पेशल लीव पिटीशन) पर सुप्रीम कोर्ट ने आज (20 जनवरी 2020) सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी है। दोषी पवन ने दावा किया है कि वारदात के वक्त उसकी उम्र 18 साल से कम थी और वह नाबालिग था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि पवन का जन्म प्रमाण पत्र पेश किया गया था और इससे साबित हुआ था कि वह नाबालिग नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2018 में रिव्यू पिटिशन पर फैसला दिया था और नाबालिग होने का दावा खारिज किया था। यानी अब चारों दोषियों को एक फरवरी को ही फांसी दी जाएगी।
न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ पवन कुमार गुप्ता की याचिका पर सुनवाई शुरू की है। दोषी के वकील एपी सिंह ने अपनी दलील देते हुए कहा है कि 'दोषी पवन की जन्मतिथि 8 अक्टूबर 1996 है। हमारे पास दस्तावेज हैं। पवन अपराध के समय नाबालिग था।' वकील एपी सिंह ने गायत्री बाल स्कूल के सर्टिफिकेट का भी जिक्र किया है।
2012 Delhi gang-rape case: Supreme Court dismisses Special Leave Petition (SLP) filed by convict Pawan Kumar Gupta as the Court did not find any fresh ground in the matter. Pawan has claimed that he was a juvenile at the time of crime,& the Delhi High Court had ignored this fact. pic.twitter.com/8DrDGwSqQh
— ANI (@ANI) January 20, 2020
सुनवाई के दौरान जज भानुमति ने वकील को कहा कि जो दस्तावेज आप दे रहे हैं वह 2017 का है, जब कोर्ट ने आपको सजा सुना दी थी। वकील एपी सिंह ने दलील देते हुए कहा है कि इस दिल्ली पुलिस ने जानबूझकर पवन की उम्र संबंधी दस्तावेजों की जानकारी छिपाई है।
2012 Delhi gang-rape case: AP Singh, lawyer for convict Pawan K Gupta states before SC three-judge bench that Pawan's age was 17 years, 1 month and 20 days, when the offence was committed, that's why his role should be considered as a juvenile in the case.
— ANI (@ANI) January 20, 2020
दोषी पवन की दिल्ली हाई कोर्ट ने नाबालिग वाली याचिका खारिज कर दी थी
दोषी पवन ने दावा किया है कि वारदात के वक्त उसकी उम्र 18 साल से कम थी और वह नाबालिग था। हालांकि, इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने उसकी इस दलील को खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट ने पवन के वकील पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया है।
वकील ए पी सिंह के जरिए दायर अपनी याचिका में, पवन ने दावा किया कि 16 दिसंबर, 2012 को हुए अपराध के दौरान वह नाबालिग था। पवन कुमार गुप्ता ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष मामले में मृत्युदंड के खिलाफ अपनी पुनर्विचार याचिका में नाबालिग होने का दावा किया था।
शीर्ष न्यायालय ने पिछले साल नौ जुलाई को उसकी याचिका खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में उसने दावा किया था कि उसके स्कूल प्रमाण-पत्र में उसकी जन्मतिथि आठ अक्टूबर, 1996 है। पवन ने इससे पहले निचली अदालत में भी अपने नाबालिग होने के दावे संबंधी याचिका दायर की थी जिसे पिछले साल 21 दिसंबर को खारिज कर दिया गया था।
एक फरवरी का दिया गया है डेथ वारंट
दोषियों को फांसी देने के लिये एक फरवरी की तारीख तय की गई है। उसने उच्च न्यायालय के 19 दिसंबर के आदेश को चुनौती दी है जिसमें गुप्ता के वकील को फर्जी दस्तावेज दायर करने और अदालत में पेश नहीं होने के लिए फटकार भी लगाई गई थी। दिल्ली की एक अदालत ने मामले के चार दोषियों - विनय शर्मा (26), मुकेश कुमार (32), अक्षय कुमार (31) और पवन (25) के खिलाफ एक फरवरी के लिए शुक्रवार को फिर से मृत्यु वारंट जारी किए। इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुकेश की दया याचिका खारिज कर दी। अन्य तीन दोषियों ने दया याचिका दायर करने के संवैधानिक उपाय का फिलहाल इस्तेमाल नहीं किया है।
शीर्ष अदालत ने 14 जनवरी को विनय और मुकेश की सुधारात्मक याचिकाएं खारिज कर दी थी। दो अन्य दोषियों - अक्षय और पवन ने शीर्ष अदालत में अब तक सुधारात्मक याचिकाएं दायर नहीं की है।
दिल्ली में सात साल पहले 16 दिसंबर 2021 की रात को एक नाबालिग समेत छह लोगों ने चलती बस में 23 वर्षीय छात्रा से सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बस से बाहर सड़क के किनारे फेंक दिया था। सिंगापुर में 29 दिसंबर 2012 को एक अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गयी थी। मामले में एक दोषी राम सिंह ने यहां तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। आरोपियों में से एक नाबालिग था, जिसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया था और तीन साल की सजा के बाद उसे सुधार गृह से रिहा किया गया था। शीर्ष अदालत ने अपने 2017 के फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा मामले में सुनाई गई फांसी की सजा को बरकरार रखा था।