दिल्ली हाई कोर्ट निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि चारों दोषियों को एक साथ फांसी होगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की याचिका खारिज की है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि चारों के खिलाफ अलग-अलग डेथ वॉरंट जारी नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने दोषियों को सात दिन का वक्त दिया है। कोर्ट ने कहा है कि दोषियों के पास जितने भी कानूनी विकल्प बचे हैं, उसे सात दिनों के भीतर पूरी करे। निर्भया केस को दोषियों की डेथ वारंट दो बार टाली चा चुकी है। दोषी अलग-अलग मामले में कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करते हुए लगातार डेथ वारंट टलवाने में सफल हो रहे थे।
केंद्र सरकार की ओर से दायर याचिका में चारों दोषियों की फांसी पर रोक से जुड़े निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने रविवार (2 फरवरी) को विशेष सुनवाई के तहत इस मुद्दे पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
केंद्र और दिल्ली सरकार ने निचली अदालत के 31 जनवरी के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसके जरिए मामले में चार दोषियों की फांसी पर ‘‘अगले आदेश तक’’ रोक लगा दी गई थी। ये चार दोषी -- मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31)-- तिहाड़ जेल में कैद हैं। इससे पहले दिन में, निर्भया के माता-पिता ने दिल्ली उच्च न्यायालय से केंद्र की उस याचिका पर जल्द निर्णय का अनुरोध किया, जिसमें दोषियों की फांसी पर रोक को चुनौती दी गयी थी।
जानें निर्भया गैंगरेप और हत्या के बारे में
साल 2012 के 16 दिसंबर को एक चलती बस में निर्भया (बदला हुआ नाम) के साथ सामूहिक गैंगरेप हुआ था। आरोपियों ने पीड़िता के साथ ना सिर्फ बलात्कार किया बल्कि उसे बेहद चोटें भी पहुंचाई थी। जिसकी वजह से निर्भया की मौत हो गई। इस घटना के विरोध में पूरे देश में उग्र व शान्तिपूर्ण प्रदर्शन हुए। इस केस में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था।
जिसमें से 11 मार्च 2013 को राम सिंह नामक मुख्य आरोपी ने सुबह तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। एक और आरोपी नाबालिग था। जिसे कार्रवाई के बाद सुधार गृह में भेज दिया गया। इसके अलावा बाकी चारों आरोपी अक्षय कुमार सिंह, विनय शर्मा, मुकेश और पवन गुप्ता चारों ही तिहाड़ जेल में बंद हैं। इन चारों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई है।