कर्नाटकः तीन साल तक बंधक रहे मजदूरों ने सुनाई आपबीती, जानवरों से बदतर थी जिंदगी!

By आदित्य द्विवेदी | Updated: December 22, 2018 00:53 IST2018-12-22T00:50:40+5:302018-12-22T00:53:54+5:30

कैबिनेट मंत्री पीयूष गोयल ने इस खबर को ट्वीट करके कर्नाटक की जेडीएस-कांग्रेस सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। जानें क्या है पूरा मामला...

Karnataka: 52 Dalit and Tribals rescued after 3 years of hostage, whipped like animals | कर्नाटकः तीन साल तक बंधक रहे मजदूरों ने सुनाई आपबीती, जानवरों से बदतर थी जिंदगी!

कर्नाटकः तीन साल तक बंधक रहे मजदूरों ने सुनाई आपबीती, जानवरों से बदतर थी जिंदगी!

Highlightsकर्नाटक तीन से बंधक 52 लोगों को रिहा कराया गयाबिना मेहनताने के दिन में 19 घंटे तक करवाते थे काममहिलाओं के साथ होता था यौन दुर्व्यवहार

कर्नाटक के हसन जिले में मानवता को शर्मसार कर देने वाली भयावह घटना सामने आई है। रविवार (16 दिसंबर) को रिहा हुए 52 दलितों और आदिवासियों की आपबीती सुनकर किसी की भी रूह कांप जाए। महिलाओं और बच्चों समेत इन लोगों को तीन साल तक जानवरों की जिंदगी जीने पर मजबूर होना पड़ा। बंधुआ मजदूरी की इस खबर को केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी ट्वीट किया। उन्होंने कर्नाटक की जेडीएस-कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है।

क्या है पूरा मामला?

कर्नाटक के हसन जिले के सवकमहल्ली गांव में रविवार (16 दिसंबर) को पुलिस की एक टीम ने छापा मारा और 52 लोगों को रिहा करा लिया गया। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। इन्हें पिछले तीन साल से बंधक बनाकर बेहद कम मजदूरी में काम करवाया जाता था। हसन जिले के एसपी डॉ एएन प्रकाश गौड़ा ने बताया कि बचाए गए लोगों में कम से कम 24 लोग अनूसूचित जाति और जनजाति से ताल्लुक रखते हैं। इनमें अधिकांश कर्नाटक के अलग-अलग जिले से हैं जिनमें रायचूर, चिकमंगलुरू, तुमकुरु और चित्रदुर्ग शामि हैं। कुछ तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से भी लाए गए थे।


कैसे हुआ खुलासा

ये मजदूर सवकमहल्ली गांव की एक झोपड़ी में रखे गए थे। इनमें से एक व्यक्ति भाग निकलने में कामयाब रहा और स्थानीय थाने में शिकायत कर दी। इसके बाद पुलिस ने रेड मारकर अन्य लोगों को भी छुड़ा लिया। कर्नाटक पुलिस ने इस मामले में चार आरोपी बनाए हैं और मुनेशा नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार भी कर लिया है। इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 324, 344, 356 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा एससी-एसटी अत्याचार निवारण एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।

जानवरों जैसी जिंदगी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दलित और आदिवासियों को दिन में 19 घंटे काम कराया जाता है। बदले में मेहनताना भी नहीं मिलता था। अगर कोई मजदूर विरोध करता तो उसे जानवरों की तरह पीटा जाता। इसके अलावा महिलाओं को यौन प्रताड़ित भी किया जाता था। पीड़ितों में 62 वर्ष के बुजुर्ग से लेकर 6 साल की उम्र के बच्चे तक शामिल हैं। इन्हें मेहनताने के नाम पर सिर्फ तीन वक्त का खाना मिलता था। पुरुषों को कभी-कभी देसी शराब भी दी जाती थी। पुलिस ने मजदूरों को एक जगह से दूसरे जगह पर ले जाने में इस्तेमाल वाहन को भी सीज कर दिया है।

Web Title: Karnataka: 52 Dalit and Tribals rescued after 3 years of hostage, whipped like animals

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