सोहराबुद्दीन शेख मामले में अदालत ने सीबीआई को लगाई फटकार, कहा- राजनेताओं को फंसाने के लिए लिखी गई स्क्रिप्ट
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 29, 2018 16:07 IST2018-12-29T16:07:19+5:302018-12-29T16:07:19+5:30

सोहराबुद्दीन शेख और कौसर बी पुलिस मुठभेड़ में मारे गये थे। (फाइल फोटो)
सीबीआई अदालत ने कहा है कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ की जांच एक पहले से सोचे समझे गए एक सिद्धांत के साथ कई राजनीतिक नेताओं को फंसाने के लिए की. विशेष सीबीआई न्यायाधीश एसजे शर्मा ने 21 दिसंबर को मामले में 22 आरोपियों को बरी करते हुए 350 पृष्ठों वाले फैसले में यह टिप्पणी की है.
अदालत ने सबूतों के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया और तीन मौतों पर दुख प्रकट किया. फैसले की प्रति शुक्रवार को अनुपलब्ध रही, लेकिन मीडिया को फैसले के अंश मुहैया किए गए. अपने आदेश में न्यायाधीश शर्मा ने कहा कि उनके पूर्वाधिकारी (न्यायाधीश एमबी गोस्वामी) ने आरोपी संख्या 16 (भाजपा अध्यक्ष अमित शाह) की अर्जी पर आरोपमुक्त आदेश जारी करते हुए कहा था कि जांच राजनीति से प्रेरित थी.
फैसले में कहा गया है, मेरे समक्ष पेश किए गए तमाम सबूतों और गवाहों के बयानों पर करीब से विचार करते हुए मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि सीबीआई जैसी एक शीर्ष जांच एजेंसी के पास एक पूर्व निर्धारित सिद्धांत और पटकथा थी, जिसका मकसद राजनीतिक नेताओं को फंसाना था.
सीबीआई ने कानून के मुताबिक जांच करने के बजाय अपने लक्ष्य पर पहुंचने के लिए काम किया. अदालत ने इस बात का जिक्र किया कि महत्वपूर्ण साक्ष्य के प्रति सीबीआई ने लापरवाही बरती, जो यह स्पष्ट संकेत देता है कि जांच एजेंसी ने आनन- फानन में जांच पूरी की. अदालत ने इस बात का भी जिक्र किया कि तीन लोगों के मारे जाने का उसे दुख है और इसके लिए सजा नहीं मिल पा रही. साथ ही, उसके पास आरोपियों को दोषी नहीं करार देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.
फैसले में कहा गया है सीबीआई के इस सिद्धांत को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि एक पुलिस टीम ने तीनों लोगों (मृतकों) को अगवा किया था.
क्या है सोहराबुद्दीन मुठभेड़ केस?
सीबीआई के मुताबिक शेख 26 नवंबर 2005 को कथित तौर पर गुजरात और राजस्थान पुलिस की एक संयुक्त टीम ने मार गिराया और तीन दिन बाद कौसर बी मारी गई. प्रजापति 27 दिसंबर 2006 को गुजरात-राजस्थान सीमा पर एक मुठभेड़ में मारा गया. बड़े-बड़े दिग्गज थे आरोपी सीबीआई ने इस मामले में 38 लोगों को आरोपी बनाया था.
अभियोजन ने 210 गवाहों से पूछताछ की जिनमें से 92 मुकर गए. अदालत का 21 दिसंबर का फैसला आने से पहले सबूतों के अभाव में गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह, राजस्थान के तत्कालीन गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया तथा डीजी वंजारा और पीसी पांडे जैसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को बरी कर दिया गया था. न्यायाधीश शर्मा का 21 दिसंबर का फैसला उनके करियर का संभवत: आखिरी फैसला था क्योंकि वह 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं.
