बिहारः शेल्टर होम सेक्स स्कैंडल पर TISS की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे, अप्राकृतिक सेक्स के लिए किया जाता था मजबूर
By एस पी सिन्हा | Updated: August 13, 2018 17:05 IST2018-08-13T17:05:40+5:302018-08-13T17:05:40+5:30
मोतिहारी और गया के बाल गृहों में नाबालिग लड़कों के साथ जबर्दस्ती अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और कैमूर, गोपालगंज, मोतिहारी और सारण के अल्पवास गृह में महिलाओं के यौन उत्पीडन का जिक्र है।

बिहारः शेल्टर होम सेक्स स्कैंडल पर TISS की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे, अप्राकृतिक सेक्स के लिए किया जाता था मजबूर
पटना, 13 अगस्तः टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) की सोशल ऑडिट रिपोर्ट के कारण बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह सेक्स स्कैंडल को सुर्खियों में ला दिया। रिपोर्ट के अनुसार वहां के पुरुष कर्मचारी हर दिन लडकियों के साथ छेडछाड करते थे। आश्रय गृह के पुरुष कर्मचारी कभी भी किसी भी वक्त लडकियों के कमरे में चले जाते थे और उनके प्राइवेट पार्ट्स पर हाथ मारते थे। रिपोर्ट में मोतिहारी और गया के बाल गृहों में नाबालिग लड़कों के साथ जबर्दस्ती अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और कैमूर, गोपालगंज, मोतिहारी और सारण के अल्पवास गृह में महिलाओं के यौन उत्पीडन का जिक्र है।
इस रिपोर्ट के बाद सरकारी कार्रवाई में हुई देरी का चौंकाने वाला मामला भी सामने आया है। जहां मुजफ्फरपुर अल्पवास गृह सेक्स स्कैंडल मामले में 28 मई को प्राथमिकी दर्ज कर वहां रहने वाली सभी लडकियों को दूसरी जगहों पर शिफ्ट कर दिया गया। वहीं गया बाल गृह के बच्चों को 11 अगस्त को पटना शिफ्ट किया गया है। मोतिहारी और कैमूर में हुई घटनाओं पर भी पुलिस की कार्रवाई कई सवाल पैदा करती है। जहां कैमूर में अल्पवास गृह के गार्ड को गिरफ्तार किया गया, वहीं मोतिहारी में भी एक जूनियर स्टाफ को गिरफ्तार किया गया। लेकिन एनजीओ संचालकों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
टिस की यह रिपोर्ट 111 पेज की है। जिसमें कहा गया है कि मुजफ्फरपुर अल्पवास गृह बेहद संदिग्ध तरीके से चलाया जा रहा था। जिसकी कार्यशैली पर कई सवाल उठते हैं। उस अल्पवास गृह में हिंसा के कई गंभीर घटनाएं देखने में आई थीं। मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में लडकियों के साथ यौन हिंसा के मामलों में सबसे आगे था। वह छोटी उम्र से लेकर बडी आयु वाली लडकियों के साथ भी जमकर यौन हिंसा होती थी। बताया जाता है कि वहां के पुरुष कर्मचारी हर दिन लडकियों के साथ छेडछाड करते थे।
रिपोर्ट के मुताबिक सजा देने के नाम पर या अनुशासन का उल्लंघन करने के नाम पर लडकियों के साथ यौन हिंसा की जाती थी। आश्रय गृह की लडकियों को बाहर खुली जगह में जाने की इजाजत नहीं थी। उन्हें उनके वार्ड में बंद करके रखा जाता था। अगर लडकियां अपने परिजनों या रिश्तेदारों से फोन पर बात करने के लिए कहती थीं तो उन लडकियों को पीटा जाता था। लडकियों पर होने वाले इन अत्याचारों ने आश्रय गृह में आतंक की स्थिति पैदा कर रखी थी।
टिस ने अपनी रिपोर्ट 15 मार्च को ही सौंप दी थी जिसमें मोतिहारी, गया और कैमूर के अल्पवास गृह संचालकों के खिलाफ कडी कार्रवाई की सिफारिश की गई है। जहां मुजफ्फरपुर मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई, वहीं बाकी आश्रय गृहों के बारे में मिली गंभीर रिपोर्टों की जांच बिहार पुलिस कर रही है। वहीं, बिहार सरकार ने समाज कल्याण विभाग के सात जिलों के सहायक निदेशकों और छह चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर को मिलंबित कर दिया। लेकिन मोतिहारी, कैमूर और गया में आश्रय गृह चलाने वाले एनजीओ के मालिकों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मोतिहारी और गया के बाल गृह में रहने वाले बच्चों ने टिस की ओर से सोशल ऑडिट करने गई 'कोशिश' की टीम को दर्दनाक दास्तान सुनाई। ऑडिट रिपोर्ट में इन दोनों बाल गृहों का संचालन करने वाले एनजीओ के खिलाफ अविलंब कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
टिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि मोतिहारी बाल गृह का संचालन एनजीओ 'निर्देश' कर रहा था। यहां फ्री ग्रुप डिस्कशन के दौरान बच्चों ने बताया कि कुछ लोग उनके साथ समलैंगिक संबंध बनाते हैं। यहां छोटे और बडे बच्चों के ग्रुप को एक साथ रखा जाता था। दोनों ही ग्रुप के बच्चों ने बताया कि उनके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाया गया। इस दौरान बच्चों को गंभीर शारीरिक यातना का भी शिकार होना पडा।
बच्चों ने बताया कि छोटी-छोटी बातों के लिए वहां के स्टाफ सभी बच्चों के एक कमरे में बंद कर मारते थे। जब कोशिश की टीम ने पूछा कि किन बातों के लिए मारते थे, तो जवाब मिला... जब बदमाशी करता, भागने की कोशिश करता या आपस में लडाई करता। टिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बाल गृह में निरीक्षण के दौरान सिर्फ एक स्टाफ मौजूद था और वो भी ये नहीं बता सका कि उसकी क्या भूमिका है। रिपोर्ट में एनजीओ के अधिकारियों की गैरमौजूदगी का जिक्र करते हुए कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की गई है। यही कहानी के बाल गृह के बच्चों ने सुनाई जिसका संचालन दाऊदनगर ऑरेगेनाइजेशन फॉर रूरल डेवलपमेंट (डीओआरडी) नाम का एनजीओ करता है। यहां की महिलाकर्मी लडकों से जबर्दस्ती कागज पर गंदे मैसेज लिखवाती थी और अपनी ही जूनियर सहकर्मियों से शेयर करती थी। यहां बच्चों को हमेशा बंद कमरे में रखा जाता था.
वहीं, कैमूर अल्पवास गृह का संचालन ग्राम स्वराज सेवा संस्थान के जरिए हो रहा था। अल्पवास गृहों में भूली भटकी वयस्क महिलाएं रहती हैं। यहां रहने वाली महिलाओं ने वहां के गार्ड पर ही यौन उत्पीडन के आरोप लगाए। उस गार्ड को बाद में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वैसे यहां से सारी महिलाओं को शिफ्ट कर दिया गया है और इस संस्था को समाज कल्याण विभाग ने ब्लैकलिस्ट कर दिया है। लेकिन बिहार में संचालित सभी अल्पवास गृहों के कार्यप्रणाली को कटघरे में खडा कर दिया है।