बिहार: एक बार फिर शेल्टर होम पर उठे सवाल, खगड़िया के अल्पावास गृह से हुई तीन लड़कियां फरार
By एस पी सिन्हा | Updated: October 29, 2018 15:51 IST2018-10-29T15:51:08+5:302018-10-29T15:51:08+5:30
इस मामले में डीएम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जांच टीम का गठन किया है। इस टीम में डीपीओ प्रियंका कुमारी, थानाध्यक्ष किरण कुमारी और डीपीएम सुलेखा भारती शामिल है। जिलाधिकारी ने इस मामले में 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट तलब करने का आदेश जारी किया है।

बिहार: एक बार फिर शेल्टर होम पर उठे सवाल, खगड़िया के अल्पावास गृह से हुई तीन लड़कियां फरार
बिहार में एक बार फिर से बालिका अल्पवास गृह की सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। सूबे के खगड़िया जिले के एक अल्पसंख्यक बालिका अल्पवास गृह से देर रात एक-एक कर तीन लड़कियां फरार हो गई है। मामले के बाद संस्थापक ने पुलिस को सूचना दी है। मामले की जानकारी देते हुए संस्थापक ने बताया कि पिछले महीने पांच लड़कियां वैशाली से यहां ट्रांसफर की गई थी।
इसके बाद देर रात तीनों मेन गेट का ताला खोलकर भाग गई हैं। मौके पर पहुंची पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जांच शुरू कर दी है। वहीं, शेल्टर होम से फरार हुई लड़कियों की घटना सीसीटीवी में कैद हो गई है। इसमें साफ रूप से देखा जा सकता है कि कैसे एक-एक कर शेल्टर होम की तीन लड़कियां फरार हो गई।
वहीं मौके पर मौजूद महिला कांस्टेबल अपनी नींद पूरी करती रही। इस मामले में डीएम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जांच टीम का गठन किया है। इस टीम में डीपीओ प्रियंका कुमारी, थानाध्यक्ष किरण कुमारी और डीपीएम सुलेखा भारती शामिल है। जिलाधिकारी ने इस मामले में 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट तलब करने का आदेश जारी किया है।
बताया जा रहा है कि 27 अगस्त को वैशाली से पांच लड़कियों को खगड़िया के अल्पवास गृह में शिप्ट किया गया था। दोनों में से एक युवती वैशाली की रहने वाली थी ,वहीं दीपा नेपाल की रहने वाली है। बालिका अल्पवास गृह के सचिव मोम्हदमुउद्दीन ने बताया कि जिस वक्त ये घटना हुई उस वक्त महिला चौकीदारी ड्यूटी पर थी और गेट की चाभी उसी के पास थी।
ऐसे में लड़कियों के भागने के बाद सवाल ये खड़ें हो रहे हैं कि चाभी उनके पास कैसे आया और कैसे आराम से वो शेल्टर होम से निकल गईं? जबकि अल्पवास गृह में पुलिस के जवान भी तैनात है।
वहीं, सीवान में भी एक मामाला सामने आया है, जहां फर्जी भाई बनकर एक संवासिनी को अल्पावास गृह से ले जाने आये एक युवक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। जांच में उसकी ओर से दिया गया आधार कार्ड भी फर्जी पाया गया है। दरअसल, इस पूरे मामला का खुलासा तब हुआ, जब संवासिनी ने भाई बनकर आये युवक को पहचानने से इन्कार कर दिया।
जानकारी के अनुसार ऑर्केस्ट्रा में कार्य करने वाली एक संवासिनी को कोर्ट ने परिजनों के साथ घर जाने की अनुमति दी है। कोर्ट के आदेश पर एक युवक अल्पावास में रहने वाली संवासिनी को लेने के लिए उसका भाई बनकर पहुंच गया। लेकिन जब संवासिनी को सामने लाया गया तो उसने युवक को पहचानने से इन्कार कर दिया।
इसके बाद अल्पावास गृह के सचिव और प्रशिक्षण सह पुनर्वास पदाधिकारी ने नगर थाने को सूचना दी। सूचना पर पहुंची पुलिस के समक्ष युवक द्वारा दिये गये आधार कार्ड की जांच की गयी तो वह फर्जी पाया गया।
बताया जाता है कि भगवानपुर हाट थाने की पुलिस ने क्षेत्र में ऑर्केस्ट्रा संचालकों के यहां छापेमारी की थी। इस दौरान पश्चिम बंगाल के सियालदह जिले के सियालदह निवासी एक युवती को पकडा गया था, जिसे पूछताछ के बाद आल्पावास गृह भेज दिया गया था। इधर कोर्ट ने सुनवायी के बाद युवती को उसके घर जाने की अनुमति दे दी।
कोर्ट ने प्रशिक्षण सह पुनर्वास पदाधिकारी प्रीति कुमारी को निर्देश दिया कि संवासिनी को उसके परिजनों के साथ भेज दिया जाये। इसकी जानकारी मिलने पर भगवानपुर हाट निवासी अंगद मांझी का पुत्र भीम मांझी अपने एक दोस्त के साथ अल्पावास गृह पहुंचा। उसने अपने आप को युवती का भाई बताते हुए उसे ले जाने की बात कही।
इस पर पदाधिकारियों ने आधार कार्ड की मांग करते हुए युवती को बुलाया। युवती नीचे उतरने के बाद अपने भाई को खोजने लगी। उसके द्वारा युवक को नहीं पहचानने जाने पर शक हुआ इसके बाद उसके आधार कार्ड की जांच कराई गई तो फर्जी निकला।