पटना: राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के साले और पूर्व सांसद साधु यादव को पटना के एमपीएमएलए कोर्ट ने आज सरकारी काम में बाधा डालने के मामले में तीन साल की कैद की सजा सुनाई है। हालांकि इस सजा के बाद कोर्ट ने उन्हें प्रोविजनल बेल दे दी है। साधु यादव ने साल 2001 के जनवरी महीने में संयुक्त परिवहन कार्यालय में अधिकरियों के साथ मारपीट की थी। इसी मामले में कोर्ट ने साधु यादव को तीन साल की सजा सुनाई है।
साधु यादव के अधिवक्ता ने बताया कि प्रोविजनल बेल मिल गयी है, अब पूर्व विधायक याचिका दायर करेंगे। साधु यादव को लालू ने विधान परिषद सदस्य व विधायक बनाया था। इसके बाद साल 2004 के लोकसभा चुनाव में साधु यादव गोपालगंज सीट से राजद के सांसद भी बने।
लालू ने अपने दूसरे साले सुभाष यादव को भी राजनीति में आगे बढ़ाया। इसके बाद लालू के दोनों सालों साधु व सुभाष की जोड़ी की धाक पूरे बिहार में थी। कहा जाए तो लालू-राबड़ी राज में इन दोनों भाईयों की तूती बोलती थी।
शासन-प्रशासन में उन्हें लालू व राबड़ी का दायां हाथ माना जाता था। यूं कहें कि तब साधु यादव की बात का अर्थ था लालू व राबड़ी का आदेश होता था। हालांकि लालू के बिहार की सत्ता से बाहर जाने के बाद साधु के साथ बहन व जीजा के साथ रिश्ते बिगड़े तो वे राजनीति में अर्श से फर्श पर आ गए।
वहीं, तेजस्वी यादव के विवाह के बाद उनके मामा साधु यादव खुलकर बगावत पर उतर आए थे। उन्होंने तेजस्वी के पटना आने पर जूतों की माला से स्वागत करने की बात कही तो लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने मामा को अपनी हद में रहने, नहीं तो गर्दा छुड़ा देने की धमकी दी। साधु यादव ने अपनी भांजियों, बहन राबड़ी देवी व जीजा लालू प्रसाद यादव के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया था।