पापी पेट का सवाल, भूख से तड़पते रिक्शा चालक बना मुर्दा, कफन, गले में डाला माला, जलाई अगरबत्ती, सड़क पर लेटा, मिले पैसे से खाया खाना
By एस पी सिन्हा | Updated: July 24, 2020 20:36 IST2020-07-24T20:36:22+5:302020-07-24T20:36:22+5:30
भूख मिटाने के लिए उसे जिंदा ही कफन ओढ़कर शरीर पर फूलों की माला रखनी पड़ रही है. रिक्शाचालक ने पींक कलर की कफन ओढ़ रखी है. बगल में अगरबत्ती जला रखा है और माला भी पहना हुआ हैं.

मजबूरी में जिंदा रहते हुए भी मुर्दा बनना पड़ रहा है. मजबूरी में उसने यह तरकीब अपनाई है. (photo-lokmat)
पटनाः बिहार में कोरोना संक्रमण के दौरान लोगों की तंगी की कई सारी हैरान करने वाली कहानी सामने आ रही है. ऐसे में कोरोना संकट में जब भूख मिटाने को जिंदा रिक्शा चालक कफन ओढ़ कर मुर्दा बन गया. दरअसल, पेट की भूख और जिंदगी का सवाल है.
ऐसे में भूख मिटाने के लिए उसे जिंदा ही कफन ओढ़कर शरीर पर फूलों की माला रखनी पड़ रही है. रिक्शाचालक ने पींक कलर की कफन ओढ़ रखी है. बगल में अगरबत्ती जला रखा है और माला भी पहना हुआ हैं. दरअसल, कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए बिहार में फिर से किये गये लॉकडाउन में रिक्शे की सवारी नहीं मिलने के कारण उसके सामने भूखमरी की स्थिति आ गई है.
इसलिए पटना जिले के बिहटा निवासी रिक्शा चालक रामदेव को आरा में भूख मिटाने को यह तरकीब अपनानी पड़ रही है. वह आरा में ही रिक्शा चलाकर परिवार का भरण पोषण करता है, लेकिन सवारी नहीं मिलने के कारण कभी-कभी खाना भी जुटाना मुश्किल हो रहा है.
मजबूरी में उसने यह तरकीब अपनाई. स्थिति यह हो गई तो उसने शरीर पर कफन ओढ़ कर माला रखी और अगरबत्ती जलाई, फिर रोड के किनारे लेट गया. जो भी राहगीर आते- जाते थे, उस पर रूप में पैसे रख देते थे. इस तरह उसे कुछ पैसे मिल गये. उसने बताया कि पहले लॉकडाउन में कुछ वितरण में मदद भी मिली पर अब तो मदद भी नहीं मिल रही. लिहाजा मजबूरी में जिंदा रहते हुए भी मुर्दा बनना पड़ रहा है. मजबूरी में उसने यह तरकीब अपनाई है.