मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड में कई नए खुलासे, इंकार करने पर सिगरेट से जलाते थे नाबालिग लड़कियों के प्राइवेट पार्ट
By एस पी सिन्हा | Updated: July 27, 2018 20:31 IST2018-07-27T20:31:29+5:302018-07-27T20:31:29+5:30
मुजफ्फरपुर बालिका अल्पवास गृह में हुए यौन उत्पीड़न मामले में गिरफ्तार किए गए 10 आरोपियों में सात महिलाएं हैं। जांच-पड़ताल में हुए कई नए खुलासे...

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड में कई नए खुलासे, इंकार करने पर सिगरेट से जलाते थे नाबालिग लड़कियों के प्राइवेट पार्ट
पटना, 27 जुलाईःबिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बालिका अल्पवास गृह में हुए यौन उत्पीडन के मामले में रोज नया राज खुल रहा है। महिला थाना प्रभारी को दिये गये बयान में लड़कियों ने कहा है कि बालिका गृह में उसके साथ गलत काम होता था। एक 14 साल की लड़की ने गायघाट में इलाज करा रहे डॉक्टरों को बताया है कि जब उसने एक ग्राहक से संबंध बनाने से इंकार किया था तो उसके बदन और प्राइवेट पार्ट को सिगरेट से जला दिया गया था।
उसके द्वारा दिये गये बयान में उस लडकी के जेहन में वे खौफनाक यादें अभी तक ताजी हैं, जिसकी याद आते ही वह सिहर जाती है। पटना सिटी स्थित गायघाट निशांत गृह में रिहैबिलिटेशन के लिए लाई गई उस नाबालिग लडकी ने बताया है कि जब उसे पहली बार एक आदमी के साथ सोने के लिए कहा गया तो वह आग बबूला हो उठी। इसके बाद उसने आदमी का सर फोड दिया। इसके बाद उस पर आफत आ गई और उस ग्राहक के साथ अन्य साझेदारों ने सिगरेट से उसके तन बदन को सिगरेट से कई बार दाग दिया। यही नहीं उसके प्राइवेट पार्ट को भी दागने से नहीं छोड़ा गया। उसके पूरे शरीर पर दर्जनों दाग अभी भी कुकर्मों की कहानी कह रहे हैं।
ज्यादातर लड़कियों ने बयान दिया है कि उन्हें नंगा कर मारा पीटा जाता था। एक मूक बधिर लड़की के अनुसार उसके कपडे खोल कर छत पर ले जाकर मारपीट किया जाता था। वह इसके आगे कुछ इशारा नहीं कर सकी। सभी ने यह बताया कि उन्हें गलत काम करने के लिए मजबूर किया जाता था। इधर एक लड़की इतना मानसिक अवसाद में हो गई कि दुष्कर्म के बाद अपने जीवन को समाप्त करने के लिए कई बार नस काट लिया था। उसे समझाने के लिए पहुंची बाल कल्याण समिति पटना की चेयरमैन मंजू सिन्हा पर ही हमला बोल दिया। अभी निशांत गृह में रोज उसके जख्मों पर मरहम लगाया जाता है। डॉक्टर उसके साथ हुई हैवानियत को देख सदमें में हैं। वे उसे कहते हैं कि सबकुछ ठीक हो जायेगा। इसी उम्मीद में इनकी जिंदगी पटरी पर आ रही है।
बालिका अल्पवास गृह में तीन साल में तीन बच्चियों की मौत
मुजफ्फरपुर स्थित बालिका अल्पवास गृह में तीन साल के दौरान तीन बच्चियों की मौत हो चुकी है। एसकेएमसीएच के पोस्टमार्टम रिपोर्ट से रिकार्ड का मिलान किया गया। एसएसपी हरप्रीत कौर ने बताया कि 19 नवंबर 2015 व 28 जून 2017 को दो बच्चियों की मौत का रिकार्ड मिला है। एक की मौत फेफडा व दूसरे की मौत कार्डियो वैस्कूलर फेल होने से हुई थी। तीसरे की मौत की वजह विसरा रिपोर्ट से मिलेगी। वहीं, बालिका अल्पवास गृह से गायब छह लड़कियों में तीन का पता चल गया है। शेष तीन के बारे में पता लगाया जा रहा है।
रजिस्टर में दर्ज सभी लडकियों के नाम व पते पर विशेष टीम जांच कर रही है। पता चला कि यूपी के इटावा व दिल्ली की दो लड़कियों बालिका अल्पवास गृह से गायब है। इसके लिए दिल्ली व यूपी में टीम गई है। बताया जाता है कि बालिका गृह के संचालन की जिम्मेदारी सेवा संकल्प समिति को 2013 में सौंपी गई थी। लड़कियों के साथ यौन दुर्व्यवहार का मामला भले अब जाकर उजागर हुआ है। लेकिन लड़कियों ने जो बयान दर्ज कराये हैं उनके मुताबिक यह सब काफी पहले से होता रहा है। हर स्तर पर लापरवाही बरती गई। पांच साल के दौरान कई अधिकारियों ने बालिका गृह का निरीक्षण किया। हर निरीक्षण में अधिकारियों ने वहां सब कुछ ठीक पाया और रजिस्टर पर 'ओके' लिखा। टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीस) मुंबई की टीम जब जनवरी माह में सोशल ऑडिट करने पहुंची तो बालिका गृह में लैंगिंग दुर्व्यवहार से लेकर कई स्तर पर गड़बड़ी मिली।
TISS की ऑडिट में खुलासा
टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइंस(टिस) की टीम के आने से पहले सिर्फ एक बार अधिकारियों ने निरीक्षण किया और सभी चीजों को दुरुस्त लिखा था। सीआईडी के वरीय अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि बालिका गृह का निरीक्षण मार्च, 2018 में हुआ है। इस निरीक्षण में सभी अधिकारियों ने 'ओके' लिखा है। देखने से लग रहा है कि सिर्फ सतही जांच की जाती थी। बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ हरपाल कौर 21 दिसंबर, 2017 को बालिका गृह का निरीक्षण करने पहुंची थीं। उन्होंने जनवरी माह में तत्कालीन डीएम धर्मेंद्र सिंह को बालिका गृह खाली कराने की रिपोर्ट दी थी। लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने निरीक्षण में पाया था कि बालिका गृह में बच्चियों की स्थिति ठीक नहीं है। कई बच्चियों की हालत खराब थी। 2013 से 2018 के बीच कई टीमें बालिका गृह में जांच करने पहुंची। लेकिन किसी ने सीसीटीवी नहीं लगे होने पर आपत्ति नहीं जताई। हालांकि मार्च माह में निरीक्षण के दौरान बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक ने सीसीटीवी की अनुशंसा की थी। लेकिन उनकी अनुशंसा पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। निरीक्षण प्रतिवेदन में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि बालिका गृह में में सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं। हालांकि नियमित निरीक्षण नहीं होने पर सीआईडी भी सवाल उठा रही है।
सूत्रों के अनुसार जब लगातार निरीक्षण करना है सीधे मार्च में क्यों निरीक्षण किया गया। निरीक्षण नहीं होने के पीछे कोई दवाब था या और कोई वजह। टिस की कोशिश टीम ने जनवरी में प्रदेश के सभी बालिका गृह का निरीक्षण किया था। 15 मार्च, 2018 को 250 पन्ने में समाज कल्याण विभाग को रिपोर्ट सौंप दी थी। मई के अंतिम सप्ताह में यह रिपोर्ट मुजफ्फरपुर पहुंची। चार दिन बाद 31 मई को महिला थाने में सहायक निदेशक ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। यानी ढाई माह तक रिपोर्ट को दबाकर रखा गया है। इसे लेकर भी सवाल खडा हो रहे हैं कि आखिर रिपोर्ट को दबाकर क्यों रखा गया था?
टिस की कोशिश टीम की रिपोर्ट के अनुसार बालिका गृहों में दिव्यांग बच्चों की देखभाल के लिए कर्मचारियों को कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया था। इस कारण तीन साल के बच्चे ठीक से नहीं बोल पा रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार बाल गृहों में बच्चों के इलाज के लिए डॉक्टर ठीक से इलाज नहीं करते। इमरजेंसी की स्थिति में बच्चियों को सरकारी अस्पताल में दिखाया जाता है। निजी अस्पताल में बच्चियों का इलाज नहीं कराया जाता था। रिपोर्ट में कई और जिलों के बाल गृहों में अव्यवस्था उजागर की गई है।
टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) मुंबई की एक टीम ने दिसंबर माह में पूरे प्रदेश के बालिका गृह, बाल गृह व अल्पावास गृह का सोशल ऑडिट की थी। 26 मई को टीस की रिपोर्ट निदेशक को मिली थी, जिसमें लिखा गया है- द गर्ल चिल्ड्रेन होम इन मुजफ्फरपुर रन बाई सेवा संकल्प एवं विकास समिति वाज बोथ फाउंड बाई अस टू बी रनिंग इन ए हाइली क्वेश्चनेबल मैनर एलांग वीथ ग्रेव इंसटेंस ऑफ वायलेंस. सेवरल गर्ल्स रिपोर्टेड अबाउट वायलेंस एंड एबुज्ड सेक्सुअली। दीस इज ए वेरी सीरियस एंड नीड्स टू बी फरदर इंवेस्टीगेटेड प्रांप्मटली। इमिडियेट लीगल प्रोसिडियोर मस्ट बी फॉलोड टू इन्कायर इंनटू चार्जेज एंड करेक्टिव मीजर बी टेकेन।
मुजफ्फरपुर बालिका अल्पवास गृह यौन उत्पीडन मामले में जिन दस लोगों की गिरफ्तारी हुई है, उनमें सात महिलाएं हैं। इन पर लड़कियों को प्रताडित करने से लेकर बाहरी लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करने के जघन्य आरोप लगाए गए हैं। इन सभी सात महिलाओं को मुजफ्फरपुर पुलिस ने दो जून को हिरासत में लिया और पीडित लडकियों के बयान के आधार पर पोक्सो एक्ट के तहत अगले ही दिन जेल भेज दिया गया।
1. इंदु कुमारी - मुजफ्फरपुर के ब्रह्मपुरा रोड में संजय सिनेमा के पास रहने वाली इंदु कुमारी यौन उत्पीडन के मास्टर माइंड ब्रजेश ठाकुर की करीबी मानी जाती है। ब्रजेश ठाकुर का एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति ही इस बालिका अल्पवास गृह को चलाता था। ब्रजेश ने इंदु को सुपरिंटेंडेंट का पद दिया था। ब्रजेश ठेकेदारी और अन्य कामकाज में जब बाहर रहता था तो इंदु ही पूरे बालिका अल्पवास गृह को मैनेज करती थी। इंदु पर बाहरी लोगों को बालिका अल्पवास गृह में प्रवेश देने और यौन प्रताडना में सहभागी होने का आरोप है।
2. चंदा देवी - मुजफ्फरपुर के छोटी कल्याणी की रहने वाली चंदा देवी का पोस्ट गृहमाता का था। ये बच्चियों की देखभाल की जिम्मेदारी संभाल रही थी। बालिका अल्पवास गृह में 14 बच्चियां दिव्यांग थी जिन्हें खास देख-भाल की जरूरत होती थी। पुलिस ने चंदा देवी पर लडकियों के साथ मार पीट करने का आरोप लगाया है।
3. हेमा मसीह - मुजफ्फरपुर जिले के ही गुदरी बहलखाने की रहने वाली हेमा मसीह बालिका अल्पवास गृह में स्वीपर का काम करती थी। इसकी जिम्मेदारी बच्चों के कमरों और कॉमन हॉल की साफ-सफाई करना था। साबुन, तेल या रोजमर्रा की किसी और ज़रूरत को पूरा करने की जिम्मेदारी हेमा मसीह की थी। पुलिस ने इस पर लडकियों के साथ हुए जघन्य अपराध में साथ देने का आरोप लगाया है।
4. किरण कुमारी - मुजफ्फरपुर के सरैया थाने के चकना की रहने वाली किरण हेल्पर का काम करती थी। इस पर बच्चियों को बालिका अल्पवास गृह के बाहर ले जाने का आरोप है। कई लडकियों ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया है कि किरण उन्हें जान से मारने की धमकी देती थी।
5. मीनू देवी- छपरा जिले में रसूलपुर थाने के रामपुर गांव की है। ये भी हेल्पर का काम करती थी और कई बार नाइट ड्यूटी में रहती थी। पीडित लडकियों ने मीनू पर बाहरी लोगों के रूम में लाने में साथ देने का आरोप लगाया है।
6. नेहा कुमारी - मुजफ्फरपुर के कांटी थाना क्षेत्र के पठान टोला की रहने वाली नेहा नर्स का काम करती थी। इसकी जिम्मेदारी बच्चों के स्वास्थ्य पर नजर रखना था। लेकिन इसके उलट नेहा पर आरोप है कि ये बच्चियों को नशे का इंजेक्शन लगाती थी। कई बार लडकियां अपने साथ हो रहे गलत व्यवर्हार का विरोध करती थी और उन्हें काबू में करने के लिए बेहोशी की दवा भी देने का आरोप लगाया गया है।
7. मंजू देवी - मिठनपुरा की रहने वाली मंजू का काम लड़कियों की विशेष जरूरतों को पूरा करना था. ये काउंसिलिंग का काम करती थीं। दिव्यांग बच्चों को मदद करना इनकी जिम्मेदारी थी। लेकिन इसके उलट ये बच्चियों के साथ गलत व्यवहार करती थीं। कई लडकियों ने आरोप लगाया है कि ये उन्हें फर्श पर पटक देती थीं और प्राइवेट पार्ट पर मारती थी।
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