बिहार में बहाल 2912 शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्र फर्जी?, अब तक 1707 पर FIR, कई दिनों से सरकारी नौकरी का उठा रहे लाभ
By एस पी सिन्हा | Updated: December 28, 2025 16:26 IST2025-12-28T16:25:12+5:302025-12-28T16:26:12+5:30
जांच प्रक्रिया पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर वर्ष 2006 से 2015 के बीच नियुक्त नियोजित शिक्षकों की डिग्रियों को लेकर की जा रही है।

सांकेतिक फोटो
पटनाः बिहार में फर्जी शिक्षकों पर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो लगातार शिक्षकों पर नजरे बनाए हुए है और फर्जी दस्तावेजों का खुलासा भी हो रहा है। इसी कड़ी में निगरानी की जांच में सामने आया है कि बिहार में बहाल 2912 शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्र फर्जी हैं। ये शिक्षक फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे इतने दिनों से सरकारी नौकरी का लाभ उठा रहे थे। इस मामले में निरगानी ने अब तक 1707 प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है। फर्जी शिक्षकों पर कानूनी कार्रवाई जारी है। निगरानी से मिली जानकारी के अनुसार, अब तक 6 लाख 46 हजार 796 शिक्षकों के मूल शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच पूरी कर ली गई है।
यह जांच प्रक्रिया पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर वर्ष 2006 से 2015 के बीच नियुक्त नियोजित शिक्षकों की डिग्रियों को लेकर की जा रही है। जांच के दायरे में लाखों शिक्षक शामिल हैं, जिनके प्रमाण पत्रों की सत्यता परखी जा रही है। निगरानी विभाग के अनुसार, 30 नवंबर 2025 तक दर्ज 1,707 प्राथमिकी में कुल 2,912 शिक्षकों को अभियुक्त बनाया गया है।
कई मामलों में एक ही प्राथमिकी में एक से अधिक शिक्षकों को नामजद किया गया है। वर्ष 2025 में ही अब तक राज्य के विभिन्न जिलों में 126 नई प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी हैं। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के डीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि विभाग हर महीने जांच की प्रगति की समीक्षा कर रहा है ताकि किसी भी स्तर पर ढिलाई न हो।
उन्होंने बताया कि 2025 में कार्रवाई में तेजी आई है। इस वर्ष मार्च में सबसे अधिक 21 मामले दर्ज हुए, जबकि जनवरी में 16 और नवंबर में 15 प्राथमिकी दर्ज की गईं। जांच के दौरान बड़ी संख्या में शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं। विश्वविद्यालयों और बोर्डों से सत्यापन के क्रम में फर्जीवाड़े के बड़े रैकेट का भी खुलासा हुआ है।
निगरानी विभाग का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद दोषी शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों की सेवाएं समाप्त की जाएंगी। साथ ही उनसे वेतन भी वसूला जाएगा। निगरानी की इस कार्रवाई से शिक्षकों में हड़कंप मचा हुआ है।