पटना, 14 अगस्त:बिहार के मुजफ्फरपुर और पटना के बालिका आश्रय गृह के बाद अब हाजीपुर महिला अल्पावास गृह में लड़कियों से यौन उत्पीड़न के आरोप में डीपीएम मनमोहन प्रसाद को पुलिस ने सोमवार की देर रात गिरफ्तार कर लिया है। यह उत्पीड़न करनेवाला कोई और नहीं बल्कि डीपीएम है। पुलिस ने लड़की की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए यह कार्रवाई की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर डीएम राजीव रोशन ने आरोपी डीपीएम के खिलाफ एफआईआर करने का निर्देश दिया। जांच टीम की रिपोर्ट में आरोपी डीपीएम मनमोहन कुमार प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए हैं, जिसके बाद ये कार्रवाई की गई है। डीपीएम के खिलाफ नगर थाने में केस दर्ज किया गया है।
20 जुलाई को अल्पावास गृह में रह रही लड़कियों ने डीपीएम पर अल्पावास गृह की जांच के नाम पर अश्लील हरकत करने का संगीन आरोप लगाया था। इस आरोप के बाद हड़कंप मच गया था। मामला प्रकाश में आने के बाद जिलाधिकारी ने पांच अधिकारियों की टीम को जांच का जिम्मा सौंपा था और उन्हें 24 घंटे के अंदर जांच प्रतिवेदन देना था।
24 घंटे के अन्दर रिपोर्ट देना था, लेकिन रिपोर्ट आई मंगलवार को 22 दिन बाद। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट डीएम को सौंपी। इस रिपोर्ट के आधार पर डीएम ने कार्रवाई का आदेश जारी किया। इस मामले में आरोपी डीपीएम मनमोहन कुमार ने अपने ऊपर लगे आरोपों को झूठा करार दिया है।
उन्होंने कहा कि उन्हें गलत तरीके से फंसा दिया गया है। डीपीएम की गिरफ्तारी के बाद हाजीपुर का अल्पावास गृह भी चर्चा में आ गया है। अब जिला प्रशासन सभी लड़कियों से पूछताछ की योजना बना रहा है। महिला अल्पावास गृह मामले में वैशाली के एसपी मंजीत सिंह ढिल्लो के निर्देश पर सोमवार को नगर थाने की पुलिस ने महिला विकास निगम के जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) मनमोहन प्रसाद को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया।
लड़कियों ने आरोप लगाया था कि जांच के नाम पर डीपीएम मनमोहन प्रसाद सिंह अल्पावास गृह आकर लड़कियों के साथ अश्लील हरकत करते थे और मुंह खोलने पर उन्हें जान से मारने की धमकी देते थे। पीड़ित लड़कियों ने यह भी बताया था आरोपी अधिकारी अकेले कमरे में आ जाते थे और हाथ पैर दबाने के लिए दबाव बनाते थे और फिर अश्लील हरकत करते थे।
एक लड़की के मना करने पर उन्होंने उसके कपड़े भी फाड़ दिए थे। वहीं, इस घटना के बाद अल्पावास गृह की संचालिका करूणा कुमारी का बयान दिया था कि जांच के नाम पर अधिकारी सभी स्टाफ को नीचे रहने का निर्देश देते थे और अल्पावास गृह के ऊपर के कमरे में जांच के नाम पर अकेले चले जाते थे।
लड़कियों का आरोप है कि यह कारनामा लंबे समय से चल रहा था, लेकिन जब सरकार की ओर से इस अल्पावास गृह को समस्तीपुर तबादला किए जाने का आदेश आया उसके बाद लड़कियां अधिकारी के खिलाफ भड़क गईं और अल्पावास गृह का काला सच का उजागर कर दिया।