भारतीय क्रिकेट में आज भी जब ऑलराउंडर की बात होती है तो सबसे पहले कपिल देव ही याद आते हैं। रॉबिन सिंह से लेकर इरफान पठान और हार्दिक पांड्या तक सभी खिलाड़ियों में कपिल को ही खोजने की कोशिश होती है। ये और बात है कि वह कोशिश अब भी जारी है। चंडीगढ़ में 6 जनवरी, 1959 को जन्में कपिल देव ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने क्रिकेट में भारतीय फैंस को वह उम्मीदें दी, जिसकी कभी कल्पना भी मुश्किल थी। 1983 का वर्ल्ड बेशक भारत में क्रिकेट और इसके उभरते बाजार का सबसे बड़ा आधार बना और इसके लिए कई दूसरे खिलाड़ियों को भी श्रेय जाता है लेकिन कपिल सबसे बड़े चेहरे के तौर पर उभरे। कपिल को अगर भारतीय टीम का पहला ऑलराउंडर कहें तो गलत नहीं होगा। कपिल की सबसे बड़ी खासियत यह थी वह तेज गेंदबाजी के साथ बेहतरीन बल्लेबाजी भी करते थे, जो उस समय एक अनूठी बात थी। कपिल के नाम 131 टेस्ट मैचों में जहां 434 विकेट हैं वहीं 5000 से ज्यादा रन भी उनके बल्ले से निकले। बतौर भारतीय गेंदबाज टेस्ट में सबसे ज्यादा 434 का रिकॉर्ड तो कई दिनों तक कायम रहा जिसे बाद में अनिल कुंबले ने तोड़ा। कपिल करीब आठ साल तक विश्व में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज भी बने रहे। साल-2000 में वेस्टइंडीज के कॉर्टनी वॉल्श ने उन्हें पीछे छोड़ा।