चंडीगढ़, नौ सितंबर पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने केंद्र की भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार पर गेहूं के एमएसपी में बढ़ोतरी को लेकर बृहस्पतिवार को निशाना साधा और पूछा कि क्या किसानों की आय उनके खर्च के अनुपात में बढ़ी है?
सिद्धू ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के वादे को "जुमला" करार दिया, जबकि इस बात पर जोर दिया कि केंद्र के पास किसानों की वित्तीय स्थिति के बारे में कोई आंकड़े नहीं थे और उसने बिना इन आंकड़ों के विवादास्पद कृषि कानून बना दिए।
केंद्र ने बुधवार को गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 40 रुपये बढ़ाकर 2,015 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया था।
सिद्धू ने ट्वीट किया, “केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था लेकिन गन्ने पर एफआरपी (फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस) 1.75 प्रतिशत (सिर्फ 5 रु), गेहूं पर एमएसपी दो फीसदी (सिर्फ 40 रु) बढ़ा दिया। इस बीच, पिछले एक साल में डीजल में 48 फीसदी, डीएपी (खाद) में 140 प्रतिशत, सरसों के तेल में 174 फीसदी, सूरजमुखी तेल में 170 प्रतिशत और एलपीजी सिलेंडर में 190 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। ”
अपने ट्विटर हैंडल पर अपलोड की गई वीडियो में सिद्धू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने कहा था कि वह किसानों की आय को दोगुना करना चाहती है लेकिन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा था कि उनके मंत्रालय के पास किसानों की वित्तीय स्थिति से संबंधित कोई आंकड़े नहीं है।
उन्होंने कहा, “अगर आपके पास किसानों की आर्थिक स्थिति से संबंधित आंकड़े नहीं हैं तो आप उनकी आय दोगुनी करने का जुमला देकर तीन कृषि कानून कैसे बना सकते हैं?”
उन्होंने कहा कि गेहूं के एमएसपी में 40 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है जो महज दो फीसदी का इजाफा है और पिछले 12 साल में सबसे कम है।
सिद्धू ने पिछले एक साल में डीजल और सरसों के तेल सहित अन्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों का हवाला देते हुए केंद्र से पूछा कि क्या किसानों की आय उसी अनुपात में बढ़ी है?
तीन कृषि कानूनों को लेकर केंद्र पर निशाना साधते हुए सिद्धू ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “किसान आय-कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं, किसान आत्महत्या - कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं, नौकरी छूटना-कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं, प्रवासी श्रमिक - कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं, अब एनडीए (राजग) का मतलब ‘नो डेटा एवीलेबल’ (कोई डेटा उपलब्ध नहीं) हो गया है।"
उन्होंने आरोप लगाया कि तीन कृषि कानूनों को कुछ उद्योगपतियों को "लाभ" पहुंचाने के लिए लाया गया है।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने आरोप लगाया, “सरकार केवल अपने अमीर उद्योगपति दोस्तों के बारे में जानती है, जिनका कर्ज माफ किया जाता है, जिनके विमानों में यात्रा की जाती है और जो उनकी नीतियां बनाते हैं, जैसे कि तीन कृषि कानून, जिससे 0.1 फीसदी लाभान्वित होते, जबकि 70 प्रतिशत भारतीयों को लूटा जाता।”
पूर्व क्रिकेटर एवं कांग्रेस नेता ने कृषि कानूनों पर बादल परिवार के सदस्यों पर निशाना साधा और उनपर ‘घड़ियाली आंसू बहाने’ का आरोप लगाया। सिद्धू ने कहा कि पहले उन्होंने कानूनों का समर्थन किया और फिर जन दबाव में ‘यू टर्न’ (पलटी मार ली) ले लिया।
सिद्धू ने कहा कि हरसिमरत कौर बादल ने स्वेच्छा से नहीं बल्कि जन दबाव में केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दिया और उनसे कृषि अध्यादेशों पर दिए गए "असहमति नोट" को सार्वजनिक करने को कहा।
उन्होंने कृषि कानून के मुद्दे पर दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की भी आलोचना की और आरोप लगाया कि उसने पिछले साल तीन कृषि कानूनों में से एक को अधिसूचित किया था।
सिद्धू ने दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या उसने इसकी अधिसूचना वापस ली?
सिद्धू ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “सुखबीर बादल ने जून 2020 में सर्वदलीय बैठक में कृषि कानूनों का समर्थन किया, प्रकाश सिंह बादल और हरसिमरत कौर बादल ने सितंबर 2020 तक कृषि कानूनों के पक्ष में वीडियो बनाए और फिर जन दबाव में यू टर्न ले लिया… आप की दिल्ली सरकार ने किसानों को फर्जी समर्थन देते हुए निजी मंडियों में कृषि कानूनों को लागू किया।
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