मैदान पर फूट-फूट कर रोया, रोहित शर्मा का दोस्त, क्रिकेट को कहा अलविदा...

Ranji Trophy Final: मुंबई घरेलू टीम ने कमाल कर इतिहास रच दिया। 8 साल चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। क्रिकेट से संन्यास ले रहे धवल कुलकर्णी को शानदार तोहफा दिया गया। कुलकर्णी ने जीत के बाद कहा कि हर क्रिकेटर का सपना ऐसा होता है। यह मेरा छठा फाइनल और पांचवां खिताब है। मैं इस दिन को कभी नहीं भूलूंगा।

मुंबई ने रिकॉर्ड 42वीं बार खिताब जीतकर इतिहास कायम किया। फाइनल में विदर्भ को 169 रनों से हराया। मुंबई ने 42वां रणजी ट्रॉफी खिताब जीत लिया। टूर्नामेंट के इतिहास में 90 में से 48वीं बार मुंबई फाइनल में पहुंची थी।

मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) ने 42वीं बार रणजी ट्रॉफी का खिताब जीतने वाली टीम की पुरस्कार राशि दोगुनी कर दी है जिसका मतलब है की टीम को पांच करोड़ रुपए की अतिरिक्त धनराशि मिलेगी। एमसीए के सचिव अजिंक्य नाइक ने बयान में कहा,‘‘एमसीए के अध्यक्ष अमोल काले और शीर्ष परिषद ने रणजी ट्रॉफी की पुरस्कार राशि दोगुनी करने का फैसला किया है।

एमसीए रणजी ट्रॉफी जीतने वाली मुंबई की टीम को पांच करोड रुपए की अतिरिक्त धनराशि देगी।’’ उन्होंने कहा,‘‘एमसीए के लिए यह साल शानदार रहा है और उसने सात खिताब जीते। इसके अलावा हमारी टीम बीसीसीआई के आयु वर्ग की सभी प्रतियोगिताओं के नॉकआउट चरण में पहुंची।’’

वानखेड़े स्टेडियम पर खेले गए फाइनल का नतीजा लगभग उसी समय तय हो गया था जब विदर्भ को 538 रन का लगभग नामुमकिन सा लक्ष्य मिला था। विदर्भ के कप्तान अक्षय वाडकर (102) और हर्ष दुबे (65) ने हालांकि पूरे पहले सत्र में मुंबई के गेंदबाजों को परेशान किया। विदर्भ ने पांच विकेट पर 248 रन से आगे खेलना शुरू किया था और उसे 290 रन और चाहिये थे।

विदर्भ की टीम 368 रन पर आउट हो गई। वाडकर ने इस साल पहला शतक जड़ने के साथ ही सत्र में 600 रन का आंकड़ा भी पार किया। वहीं दुबे ने प्रथम श्रेणी कैरियर में दूसरा अर्धशतक जमाया। दोनों ने 194 मिनट और 255 गेंद तक चली साझेदारी निभाई। दूसरे सत्र का खेल शुरू होने के कुछ देर बाद ही वाडकर को तनुष कोटियान ने आउट किया, कुलकर्णी ने पहले ही इस सत्र के समापन के बाद संन्यास की घोषणा की थी। रहाणे ने कहा, ‘‘ हम अंडर-14 के समय के मुंबई के लिए एक साथ खेल रहे है। हमने साथ में भारत अंडर-19 (न्यूजीलैंड) का दौरा किया। मैं उनकी तारीफ में जो भी कहूं वह कम होगा। उनका योगदान सराहनीय रहा है।’’