द्रविड़ से सीखना चाहते हैं पडिक्कल, सकारिया और राणा

By भाषा | Published: July 15, 2021 03:25 PM2021-07-15T15:25:01+5:302021-07-15T15:25:01+5:30

Padikkal, Sakariya and Rana want to learn from Dravid | द्रविड़ से सीखना चाहते हैं पडिक्कल, सकारिया और राणा

द्रविड़ से सीखना चाहते हैं पडिक्कल, सकारिया और राणा

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नयी दिल्ली, 15 जुलाई अंतरराष्ट्रीय पदार्पण का इंतजार कर रहे देवदत्त पडिक्कल, नितीश राणा और चेतन सकारिया श्रीलंका दौरे के दौरान एक खिलाड़ी, व्यक्ति और कोच के रूप में राहुल द्रविड़ के गुणों को आत्मसात करना चाहते हैं।

यहां 18 जुलाई से शुरू हो रही सीमित ओवरों की श्रृंखला के लिए भारतीय टीम में छह ऐसे खिलाड़ियों को जगह मिली है जिन्हें अंतरराष्ट्रीय पदार्पण का इंतजार है। राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के प्रमुख द्रविड़ को दौरे के लिए मुख्य कोच नियुक्त किया गया है जबकि टेस्ट टीम इस समय ब्रिटेन के दौरे पर है। श्रीलंका दौरे पर टीम तीन एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय और इतने ही टी20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेलेगी।

पडिक्कल ने स्टार स्पोर्ट्स पर एक कार्यक्रम के दौरान याद करते हुए कहा, ‘‘हम एक ही स्कूल से हैं, पहली बार असल में मैं उनसे हमारे खेल दिवस कार्यक्रम में मिला था जहां मुझे उन्हें फूलों का गुलदस्ता भेंट करना था-वहां मैंने पहली बार उनसे बात की।’’

बायें हाथ का यह बल्लेबाज द्रविड़ के जमीन से जुड़े होने के स्वभाव से काफी प्रभावित है।

कर्नाटक के लिए खेलने वाले 21 साल के पडिक्कल ने कहा, ‘‘उनका (द्रविड़ का) हमारा कोच होना, आप इससे अधिक कुछ नहीं मांग सकते और उनके जैसा मार्गदर्शक आपके साथ होना, यह शानदार अहसास है और उम्मीद करता हूं कि मैं उनसे काफी कुछ सीख पाऊंगा।’’

बायें हाथ के एक अन्य बल्लेबाज राणा भी द्रविड़ के साथ काम करने को लेकर उत्सुक हैं।

घरेलू क्रिकेट में दिल्ली की ओर से खेलने वाले राणा ने कहा, ‘‘मैंने सुना है कि कोच के रूप में राहुल द्रविड़ और खिलाड़ी के रूप में राहुल द्रविड़ समान हैं। काश उनमें जितना धैर्य है मैं उसका एक प्रतिशत भी अपने अंदर ला पाऊंगा तो यह मेरे लिए बड़ी उपलब्धि होगी।’’

सौराष्ट्र के युवा तेज गेंदबाज सकारिया भी द्रविड़ की तरह प्रतिबद्ध बनना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह सीखना चाहता हूं कि जब आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी विरोधी टीमें दबदबा बनाती हैं तो वह कैसे इतने प्रतिबद्ध रहते थे।’’

सकारिया ने कहा, ‘‘मैं समझना चाहता हूं कि वह कैसे उन्हें परेशान करते थे और कैसे अपनी प्रतिबद्धता से उन्होंने इतना कुछ हासिल कर लिया। मैं उनके दिमाग में चल रही प्रक्रिया को सीखना और समझना चाहता हूं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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