आईसीसी के नोटिस बोर्ड पर पाकिस्तान के बारे में नकारात्मक सुर्खियां ही देखी: पीसीबी सीईओ

By भाषा | Published: December 22, 2021 04:36 PM2021-12-22T16:36:41+5:302021-12-22T16:36:41+5:30

Only saw negative headlines about Pakistan on ICC notice board: PCB CEO | आईसीसी के नोटिस बोर्ड पर पाकिस्तान के बारे में नकारात्मक सुर्खियां ही देखी: पीसीबी सीईओ

आईसीसी के नोटिस बोर्ड पर पाकिस्तान के बारे में नकारात्मक सुर्खियां ही देखी: पीसीबी सीईओ

googleNewsNext

कराची, 22 दिसंबर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के नये मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) फैसल हसनैन ने खुलासा किया है कि देश के बारे में ‘ज्यादातर नकारात्मक’ रिपोर्ट और ‘सुर्खियां’ ही आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बोर्ड) के नोटिस बोर्ड पर लगायी जाती रहीं और कहा कि देश के बारे में धारणा और इसकी प्रतिष्ठा एक समस्या है।

आईसीसी के मुख्य वित्तीय अधिकारी के रूप में काम कर चुके हसनैन ने कहा कि यह सिर्फ देश के क्रिकेट को ही नहीं बल्कि व्यापार और पर्यटन को भी प्रभावित कर रहा है।

हसनैन ने बुधवार को कहा, ‘‘पाकिस्तान के प्रति धारणा अच्छी नहीं है। मैं इसके बारे में काफी ईमानदार हो सकता हूं। मैं आईसीसी और जिम्बाब्वे क्रिकेट के साथ काम कर चुका हूं इसलिये मैं जानता हूं कि पाकिस्तान क्रिकेट के बारे में अंदर किस तरह की चर्चायें होती हैं। पाकिस्तान के प्रति धारणा और इसकी प्रतिष्ठा एक समस्या है। ’’

पाकिस्तान की प्रतिष्ठा के कारण उसके लिये शीर्ष अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीमों को आमंत्रित करना मुश्किल कर देता है।

लाहौर में 2009 में श्रीलंका की टीम बस पर हुए आतंकी हमले के बाद से एक दशक से ज्यादा समय किसी भी टीम ने पाकिस्तान का दौरा नहीं किया था।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आईसीसी के कार्यालयों के नोटिस बोर्ड पर पाकिस्तान के बारे में नकारात्मक सुर्खियां या खबरें ही देखता रहा हूं। ’’

हसनैन ने मीडिया से पीसीबी (पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड) के साथ मिलकर देश के बारे में नकारात्मक धारणा को बदलने में सकारात्मक भूमिका निभाने की बात करने के साथ कहा कि देश में क्रिकेट की पिचों में सुधार की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘अब धारणा यह है कि अगर आप पाकिस्तान जाओगे तो आप लगभग एक महीने तक कमरे में रहोगे, आप बाहर नहीं जा सकते, पिचें निर्जीव हैं आदि आदि और इससे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की मानसिकता पर असर पड़ता है। मेरा काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस धारणा को बदलने का है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in app